मध्यप्रदेश में मायावती के 22 कदम बढ़ाने से दहशत में कांग्रेस, पढ़िए कांग्रेस नेताओं की बैठक में किसने किस पर फोड़ा ठीकरा
नई दिल्ली। मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं। दोनों राज्यों में बीजेपी पिछले 15 साल से सत्ता पर काबिज है। कांग्रेस इस बार इन दोनों राज्यों में वापसी की उम्मीद लगाए बैठी है लोकिन उसकी इस उम्मीद को बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमों मायावती ने तगड़ा झटका दिया है। जहां मायावती की पार्टी बीएसपी ने छत्तीसगढ़ में अजीत जोगी की पार्टी से गठबंधन कर लिया है तो वहीं मध्यप्रदेश में भी उसने अपने 22 उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने मध्यप्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ पर बीएसपी से गठबंधन की पूरी जिम्मेदारी छोड़ी थी लेकिन उनका ये फैसला अब कांग्रेस के लिए महंगा साबित होता दिख रहा है। छत्तीसगढ़ में बीएसपी के जोगी के साथ जाने से वहां काग्रेस को बड़ा झटका लगा है क्योंकि वहां पर पार्टी के नेता बीजेपी को सत्ता से बाहर करने के लिए बीएसपी से गठबंधन करना चाहते थे।
मायावती के साथ गठबंधन ना करा पाने के चलते छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के नेताओं में अपने नेताओं के खिलाफ ही आक्रोश पैदा हो गया है। छत्तीसगढ़ में अब तक बनते समीकरणों के चलते वहां के कांग्रेस नेताओं को पूरी उम्मीद थी कि इस बार छत्तीसगढ़ में पार्टी का 15 साल से चल रहा वनवास खत्म होगा और वो प्रदेश में सरकार बनाने में कामयाब होगी। लेकिन अब मायवती के जोगी के साथ जाने से उनकी पूरी रणनीति एक तरह से धराशाही हो गई है।
कमलनाथ पर फूटा ठीकरा
मायवती
के
अजीत
जोगी
के
साथ
जाने
के
फैसले
से
कांग्रेस
इतनी
चिंतित
है
कि
ये
मामला
दिल्ली
में
15
गुरुद्वारा
राकबगंज
रोड
पर
हुई
पार्टी
की
स्क्रीनिंग
कमेटी
की
बैठक
में
सबसे
ज्यादा
चर्चा
में
रहा।
बैठक
की
अध्यक्षता
मधुसूदन
मिस्त्री
ने
की
और
इसमें
कांग्रेस
महासचिव
और
मध्य
प्रदेश
प्रभारी
दीपक
बावरिया,
प्रदेश
अध्यक्ष
कमलनाथ,
विधायक
दल
के
नेता
अजय
सिंह,
चुनाव
प्रचार
अभियान
समिति
के
प्रभारी
ज्योतिरादित्य
सिंधिया
और
पूर्व
मुख्यमंत्री
दिग्विजय
सिंह
मौजूद
थे।
बीएसपी
ने
न
सिर्फ
छत्तीसगढ़
में
कांग्रेस
को
झटका
दिया
बल्कि
उसने
मध्यप्रदेश
में
भी
अपने
22
उम्मीदवारों
की
पहली
सूची
जारी
करके
कांग्रेस
को
साफ
संदेश
दे
दिया
है।
मायावती
के
इस
कदम
ने
एक
तरह
से
मध्यप्रदेश
कांग्रेस
को
आतंकित
कर
दिया
है।
कांग्रेस
सूत्रों
ने
कहा
कि
राज्य
में
बीएसपी
के
साथ
गठबंधन
ना
होने
के
लिए
पूरी
तरह
से
कमलनाथ
ही
उत्तरदायी
हैं
क्योंकि
उन्होंने
गठबंधन
के
लिए
बातचीत
में
किसी
और
को
शामिल
ही
नहीं
होने
दिया।
ये
भी
पढ़ें:-
प्रशांत
किशोर
को
लेकर
अमित
शाह
से
अचानक
मिलने
पहुंचे
नीतीश
कुमार,
जाना
पड़ा
पासवान-कुशवाहा
की
शरण
में
कमलनाथ नहीं हुए राजी
एक वरिष्ठ बीएसपी नेता ने कहा कि कमलनाथ राज्य में बीएसपी को 26 से ज्यादा सीटें देने के लिए तैयार नहीं थे जिसने राज्य में गठबंधन की राह मुश्किल कर दी। पार्टी को इसके लिए छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश में भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है। बीएसपी नेता ने कहा कि चूंकि छत्तीसगढ़ में बीजेपी को अजीत जोगी से 35 सीटें मिली हैं, इसलिए अगर अब कांग्रेस से कोई प्रस्ताव आता भी है तो ये मध्यप्रदेश में कम से कम 30 सीटों के लिए होना चाहिए।
कांग्रेस ने गवां दिया मौका
दिल्ली में वरिष्ठ कांग्रेस नेता, कांग्रेस और बीएसपी के बीच गठबंधन न होने को राज्य में कांग्रेस के लिए बड़े नुकसान के रूप में देख रहे हैं। अगर कांग्रेस इस बार राज्य में सत्ता में वापसी का मौका खो देती है तो उसे अगला मौका कब मिलेगा ये कहा नहीं जा सकता है। कहा जा रहा है कि पार्टी के पूर्व प्रभारी ने भी कांग्रेस अध्यक्ष को मध्यप्रेदश और छत्तीसगढ़ में बीएसपी के साथ गठबंधन में जाने का सुझाव दिया था और कहा था कि इसके लिए सभी तरह के प्रयास होने चाहिए। उन्होंने मध्प्रदेश में अगर जरूरत हो तो बीएसपी को 35 से 40 सीटें तक देने का भी सुझाव दिया था क्योंकि ये गठबंधन कांग्रेस की जीत को आश्वस्त करेगा। लेकिन फिलहाल लग रहा है कि कांग्रेस ने बड़ा मौका गंवा दिया है।
ये भी पढ़ें:- पश्चिम बंगाल कांग्रेस में राहुल गांधी ने किया बड़ा बदलाव, इन दो नेताओं को सौंपी अहम जिम्मेदारी