'सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट से कांग्रेस इसलिए हताश है क्योंकि......' केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर का तंज
नई दिल्ली, 4 जून: केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने शुक्रवार को कांग्रेस के रवैए पर जोरदार तंज कसा है। उन्होंने राजस्थान और महाराष्ट्र सरकार की ओर से चलाए जा रहे इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट का जिक्र करके कांग्रेस पर दोहरा रवैया अपनाने का आरोप लगाया है। उन्होंने तंज भरे अंदाज में कहा है कि कांग्रेस सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को लेकर इसलिए परेशान है क्योंकि, उसने इसका नाम गांधी परिवार के नाम पर रखने का मौका खो दिया है। उन्होंने महामारी के बहाने से दिल्ली में चल रहे सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के निर्माण का उसकी ओर से विरोध किए जाने पर सवाल किया कि क्या कांग्रेस शासित राज्यों ने महामारी के चलते इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट पर काम रोक दिए हैं।
'गांधी
परिवार
के
नाम
पर
रखने
का
मौका
गंवा
दिया'
अनुराग
ठाकुर
ने
कहा
है
कि
सेंट्रल
विस्टा
प्रोजेक्ट
भारत
के
लोगों
का
प्रोजेक्ट
है
और
नई
संसद
भवन
बनाने
की
मांग
कांग्रेस
नेता
जयराम
रमेश
ने
उठाई
थी।
उन्होंने
कहा
है
कि
'कांग्रेस
पार्टी
के
के
उलट,
इसका
न
तो
नाम
और
न
ही
इसका
स्वामित्व
किसी
एक
'परिवार'
के
पास
है।
मैं
कांग्रेस
पार्टी
की
हताशा
को
समझ
सकता
हूं
कि
उसने
इसका
नाम
'गांधी
परिवार'
के
नाम
पर
रखने
का
मौका
गंवा
दिया
है।
कांग्रेस
नेतृत्व
को
नागरिक
शास्त्र
पढ़ने
की
जरूरत
है,
सरकारी
आवास
और
कार्यालय
राष्ट्र
के
होते
हैं,
किसी
व्यक्ति
का
नहीं।'
राजस्थान
और
महाराष्ट्र
का
दिया
उदाहरण
इसके
साथ
ही
अनुराग
ठाकुर
ने
उदाहरण
देकर
बताया
कि
किस
तरह
से
कांग्रेस
और
उसके
सहयोगियों
के
शासित
राज्यों
में
दबाकर
इस
महामारी
के
दौर
में
भी
इंफ्रास्ट्रक्चर
प्रोजेक्ट
पर
काम
जारी
हैं
,
'राजस्थान
सरकार
ने
125
करोड़
रुपये
के
पुनर्निमाण
और
इंफ्रास्ट्रक्चर
के
काम
को
मंजूरी
दी
है।
राजस्थान
के
मुख्यमंत्री
60
करोड़
रुपये
के
ऑडिटोरियम,
20
करोड़
रुपये
के
स्टेडियम
के
शिलान्यास
में
व्यस्त
हैं
और
सड़कों
के
सौंदर्यीकरण
इत्यादि
पर
में
करोड़ो
रुपये
खर्च
कर
रहे
हैं।
महाराष्ट्र
सरकार
नरीमन
प्वाइंट
पर
विधायकों
के
लिए
900
करोड़
रुपये
का
आवासीय
होस्टल
बनवा
रही
है।
'
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बता दें कि पिछले सोमवार को ही दिल्ली हाई कोर्ट ने सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट पर चल रहे निर्माण कार्य को आवश्यक और राष्ट्रीय महत्त्व का बताकर इसे महामारी की वजह से रोके जाने वाली याचिका खारिज कर दी थी। चीफ जस्टिस डीएन पटेल और जस्टिस ज्योति सिंह ने याचिकाकर्ता पर एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था।