केन्द्र सरकार ने दी नॉन सर्जिकल मास्क के निर्यात की इजाजत
नई दिल्ली।कोरोनावायरस के चलते देशव्यापी लॉकडाउन से देश की आर्थिक व्यवस्था डमाडोल हो चुकी हैं। ऐसे में केन्द्र सरकार लगातार अर्थव्यस्था को पटरी पर लाने के लिए एक बाद एक बड़े फैसले ले रही हैं। वहीं अब केंद्र सरकार ने शनिवार को नॉन-मेडिकल और नॉन-सर्जिकल मास्क के निर्यात को इजाजत दे दी है।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने करीब दो महीने बाद सरकार ने नॉन-मेडिकल और नॉन-सर्जिकल मास्क के निर्यात की अनुमति प्रदान की हैं। मालूम हो कि देश पर छाए कोरोना संकट के मद्देनजर सरकार ने 9 मार्च को सर्जिकल/ डिस्पोजेबल मास्क और उस कपड़े के निर्यात पर रोक लगा दी थी जिससे यह मास्क बनता है। यह फैसला कोरोना वायरस महामारी को ध्यान में रखते हुए लिया गया था। उससे पहले 31 जनवरी को सरकार ने पीपीई (पर्सनल प्रोटेक्शन यूनिट) के निर्यात पर रोक लगा दी थी। लेकिन इतने दिनों में अत्यधिक कंपनियां मास्क का निर्माण करना आरंभ कर दिया हैं। मास्क के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने ये फैसला लिया हैं।
किसी भी ITCHS कोड के अंतर्गत आने वाले अन्य सभी प्रकार के मास्क, जिनमें HS कोड भी शामिल हैं, निर्यात के लिए निषिद्ध बने रहेंगे। कपड़ा निर्यातक सरकार से लगातार कॉटन, सिल्क , वुल और बुने हुए मास्क के निर्यात पर ढील देने की मांग कर रहे थे। सरकार के इस फैसले का उन्होंने स्वागत किया है। इन निर्यातकों का कहना है कि हमारे पास बहुत ज्यादा डिमांड आई है, लेकिन बैन की वजह से कारोबार बंद था। ढील देने से हमारा बिजनस फिर शुरू हो पाएगा। उम्मीद की जा रही है कि अगले तीन महीने में एक अरब अमेरिकी डॉलर मूल्य के मास्क का निर्यात किया जाएगा मालूम हो कि 19 मार्च को सरकार ने सर्जिकल/ डिस्पोजेबल मास्क और उस कपड़े के निर्यात पर रोक लगा दी थी जिससे यह मास्क बनता है। यह फैसला कोरोना वायरस महामारी को ध्यान में रखते हुए लिया गया था। उससे पहले 31 जनवरी को सरकार ने पीपीई (पर्सनल प्रोटेक्शन यूनिट) के निर्यात पर रोक लगा दी थी।
लॉकडाउन ने दिल्ली के गरीबों को गरीब बना दिया, लेकिन उनमें हुआ ये व्यवहार परिवर्तन: शोध