Exclusive: 15 लाख रूपए प्रति कैंडिडेट है मायावती का बर्थडे गिफ्ट
लखनऊ। दरअसल ये बड़ा खुलासा पार्टी के संस्थापक सदस्यों में से एक रहे, बसपा में ऊंचे कद के नेता माने जाने वाले आरके चौधरी ने वन इंडिया के साथ बातचीत के दौरान किया।
माया पर कब-तक रहेगा बागियों का साया, क्या कहते हैं सितारे?
हालांकि सवाल था बसपा सुप्रीमों मायावती के द्वारा आज उना कांड के पीड़ितों से मुलाकात के लिए अहमदाबाद यात्रा को लेकर, लेकिन बसपा छोड़ चुके आरके चौधरी ने जब दर्द बयां किया तो कई राज खुले।
पेश है ये रिपोर्ट-
सवाल- आज बसपा सुप्रीमों मायावती सियासत की बेहतरी की खातिर हमदर्दी का मरहम लेकर उना कांड के पीड़ितों से मिलने पहुंच रही हैं जबकि सूबे में ही दलित उनसे परेशान हैं, क्या कहना चाहेंगे आप ?
मायावती का दोहरा चरित्र है, गरीब से गरीब कैंडीडेट से पैसा लिया गया है। जबकि यह मान्यवर कांशीराम जी के आदर्शों के ये खिलाफ है। जमीनी कार्यकर्ता मान्यवर कांशीराम ने अदद मेहनत करके इतनी बड़ी पार्टी खड़ी कर दी। आपको एक उदाहरण बता दूं कि घामू राम भास्कर जैसे व्यक्ति जिनके पास महज 12 बिस्वा जमीन थी, उन्हें मान्यवर कांशीराम जी ने फैजाबाद के जहांगीर क्षेत्र से इलेक्शन लड़वाया, पैसा न होने पर खुद मदद की। पर, मायावती केवल दलितों का हितैषी होने का दिखावा करती हैं।
सतीश मिश्रा ने बदली मायावती की राह !
बातचीत के दौरान चौधरी ने कहा कि जनता आज सोचती है कि मायावती कांशीराम से विपरीत क्यों है ? दरअसल मायावती के करीबी माने जाने वाले सतीश चंद्र मिश्रा ने इनकी राह बदल दिया है।
जन्मदिन पर माया का बर्थडे गिफ्ट
वन इंडिया के साथ बड़ा खुलासा करते हुए आरके चौधरी ने बताया कि इस बार जन्मदिन के नाम पर 15 लाख रूपये प्रति कैंडि़डेट से लिया गया है। प्रत्येक विधानसभा से पैसा लिया गया मैं सौ प्रतिशत कह सकता हूं। क्योंकि इस बार मायावती का जन्मदिन इलेक्शन के आस-पास पड़ेगा तो कीमत बढ़ा दी गई थी। और एकसाथ इतनी रकम ली गई। आपको बताते चलें कि 15 जनवरी को मायावती का जन्मदिन होता है। पर, यूपी विधानसभा चुनाव जनवरी-फरवरी के आस-पास होना है, ऐसा माना जा रहा है।
इतना पैसा कहां इन्वेस्ट हो रहा है ?
बसपा नेता आरके चौधरी ने कहा कि बहुजन समाज पार्टी के प्रत्येक कार्यकर्ता के जहन में सवाल है कि आखिर इतने पैसे का वे करती क्या हैं ? कहां इन्वेस्ट करती हैं ? ये पैसा कहीं न कहीं इंडिया या इससे बाहर इन्वेस्ट हो रहा है।
दलितों से मिलना तो बहाना असल में ये सिर्फ सियासत है
मायावती जी पैसा लेती हैं तो जमीनी कार्यकर्ता सोचता है कि जब हमारा लीडर पैसा लेता है तो हम कैसे न लें, हजार-दो हजार वो भी लेने की सोचता है। अब आप समझ लीजिए कि लोगों ने अपना-अपने बच्चों का पेट काटकर इस पार्टी को खड़ा किया है। मान्यवर कांशीराम जी का कहना था कि एक वोट एक नोट।
30 हजार से अधिक कार्य कर्ता तैयार
अगर वे चाहते तो क्या बंगला, गाड़ी जैसी तमाम सुविधाओं का उपभोग नहीं कर सकते थे, कर सकते थे लेकिन उन्होंने हर क्षेत्र में जबरजस्त मेहनत करके 30 हजार से अधिक कार्य कर्ता तैयार किए, पैसों के खेल में वे नहीं पड़े। वे पार्टी को तैयार करते रहे। विशाल रूप देते रहे।
मायावती दलितों के बहाने सियासत करती हैं
लेकिन मायावती दलितों से मिलने जाने के बहाने से सियासत कर रही हैं। सुर्खियां पाना चाहती हैं। उन तीस हजार कार्यकर्ताओं को अपना करीबी बताना चाहती हैं। पर, लोग मायावती से नाराज हैं।