क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

बिलावल भुट्टो दावोस में यूक्रेन से कश्मीर की तुलना करते हुए यूएन पर भड़के

विश्व आर्थिक मंच में बिलावल भुट्टो ने कहा कि यूक्रेन संकट पहला मामला नहीं जब संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद और अंतरराष्ट्रीय नियमों की अवमानना की गई हो.

By BBC News हिन्दी
Google Oneindia News
बिलावल भुट्टो
SALVATORE DI NOLFI/EPA-EFE/REX/Shutterstock
बिलावल भुट्टो

पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ज़रदारी ने कश्मीर की तुलना यूक्रेन से करते हुए कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद और अंतरराष्ट्रीय क़ानून सभी मुल्कों पर समान पर से लागू किए जाने चाहिए.

दावोस में हो रहे विश्व आर्थिक मंच में एक कार्यक्रम में शिरकत करते हुए बिलावल भुट्टो ने सवाल किया कि "कश्मीर की बात आने पर ये रेज़ोल्यूशन और क़ानून अर्थहीन क्यों हो जाते हैं?"

उन्होंने कहा कि यूरोप और पश्चिम के देश संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद रेज़ोल्यूशन को बेहद महत्वपूर्ण मानते हैं लेकिन कश्मीर के मामले में ये मात्र काग़ज़ का टुकड़ा बन कर रह जाते हैं.

विश्व आर्थिक मंच पर एक मौजूदा वक्त की भू-राजनीतिक स्थिति और हेल्सिन्की समझौते पर हो रही चर्चा में हिस्सा लेते हुए बिलावल भुट्टो ने ये बात कही.

चर्चा में बिलावल भुट्टो के अलावा स्लोवानिया की विदेश मंत्री तान्या फेयॉन, रोमानिया के विदेश मंत्री बोगदान अरस्कू, अमेरिका की पूर्व राजनेता जेन हरमन और विदेशी मामलों के जानकार डेनियल कर्त्ज़ फेलन में शामिल थे.

शीत युद्ध के दौरान सोवियत संघ, अमेरिका और यूरोप के देशों के नेताओं ने फिनलैंड के हेल्सिंकी में मुलाक़ात की थी और मुल्कों के बीच तनाव कम करने के लिए समझौता हुआ.

इसके तहत यूरोपीय देशों की सीमाओं के लेकर सहमति बनी थी और इस बात पर सभी मुल्क एकमत हुए थे कि वो एक-दूसरे के मानवाधिकारों का सम्मान करेंगे और आर्थिक और मानवीय मुद्दों समेत दूसरे मसलों पर एक-दूसरे का साथ देंगे.

https://twitter.com/MediaCellPPP/status/1616364298904928258

यूक्रेन से की कश्मीर की तुलना

यूक्रेन युद्ध और उसके असर पर ग्लोबल साउथ के एक देश के तौर पर उनकी राय पूछे जाने पर उन्होंने कहा, "हम संयुक्त राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय नियमों का समर्थन करते हैं. लेकिन जहां तक बात इस कारण जानो-माल के नुक़सान और दूसरों पर इसके असर की बात है हम मानते हैं कि इसका असर केवल यूरोप या पश्चिमी देशों पर ही नहीं बल्कि पाकिस्तान पर भी पड़ा है."

उन्होंने पाकिस्तान की आर्थिक हालात का ज़िक्र तो नहीं किया लेकिन अनाज संकट की तरफ इशारा करते हुए कहा कि "अमेरिका के साथ-साथ पाकिस्तान में भी ईंधन की कीमतें बढ़ी हैं और हम भी खाद्य संकट का सामना कर रहे हैं."

हालांकि उन्होंने ये भी कहा, "लेकिन हम नहीं मानते कि यूक्रेन संकट इस तरह का पहला मामला है जब संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद और अंतरराष्ट्रीय नियमों की अवमानना की गई है."

ये भी पढ़ें

उन्होंने संयुक्त राष्ट्र के नियमों के पालन में फर्क की बात करते हुए कहा, "ये विडंबना है कि संयुक्त राष्ट्र यूक्रेन मामले में जो लागू करता है वो इराक़ मामले में नहीं करता. ये दुख की बात है कि यूरोप और पश्चिमी देशों में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के जिन रेजोल्यूशन को बेहद अहम माना जाता है, लेकिन कश्मीर का मामला आने पर ये मात्र कागज़ का टुकड़ा बन जाते हैं."

उन्होंने कहा, "हम उम्मीद करते हैं कि ये अगला युद्ध न बन जाए और चाहते हैं कि इस संकट का हल जल्द से जल्द निकला जाए. हम इस मामले में दोनों तरफ़ से सकारात्मक अप्रोच चाहते हैं और शांति के लिए कूटनीति का रास्ता अपनाने की हिमायत करते हैं."

https://twitter.com/NazBaloch_/status/1616509171830231040

चर्चा के दौरान यूक्रेन-रूस युद्ध के बारे में बात करते हुए उन्होंने दो दशक पहले के अफ़ग़ानिस्तान और तालिबान के दौर को याद किया.

उन्होंने कहा, "मैं यूक्रेन से कहना चाहता हूं कि नेटो पाकिस्तान के पड़ोसी मुल्क में मौजूद था और हमें लग रहा था कि आख़िरी आतंकवादी को ख़त्म करने तक वो यहां रहेगा. लेकिन ये संकट भी बाद में बातचीत की मेज़ पर आकर हल हुआ. मुझे लगता है कि हमने बिना कारण वक्त बर्बाद किया. 2002 में तालिबान आत्मसमर्पण के लिए तैयार था लेकिन हमने उस मौक़े का फायदा नहीं उठाया, उस मुद्दे को लेकर गंभीरता नहीं दिखाई. और अब 2022 में वो हमारे सामने लौट आए हैं. मुझे उम्मीद है कि हम बातचीत के रास्ते की तलाश कर सकेंगे."

यूक्रेन-रूस युद्ध पर तान्या फेयॉन ने कहा कि यूरोप में युद्ध है और इस बात को नज़रअंदाज़ नहीं किया जाना चाहिए लेकिन दुनिया के दूसरों में संघर्ष चल रहा है. कई देश जलवायु परिवर्तन, खाद्य संकट, ऊर्जा संकट, ग़रीबी और अलग तरह की परेशानियों से जूझ रहे हैं. सभी को मिलकर आगे बढ़ना चाहिए और असमानता कम करने पर काम करना चाहिए.

वहीं बोगदान अरस्कू ने कहा, "संघर्ष की बात करें तो हमें ये नहीं भूलना चाहिए कि इस मामले में एक पीड़ित होता है और दूसरा हमलावर. यूक्रेन-रूस युद्ध में यूक्रेन पीड़ित है. यूक्रेन को अपना इलाक़ा खोना पड़ा है जो सीधे तौर पर अंतरराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन है. कूटनीति के ज़रिए बातचीत की मेज़ तक पहुंचा जा सकता है और संकट का हल निकाला जा सकता है."

ये भी पढ़ें

न्यू वर्ल्ड ऑर्डर पर क्या बोले बिलावल भुट्टो?

विश्व आर्थिक मंच पर पुराने वर्ल्ड ऑर्डर और न्यू वर्ल्ड ऑर्डर और इसमें ग्लोबल साउथ की जगह के बारे में भी बिलावल भुट्टो खुलकर बोले.

उन्होंने कहा कि आज के दौर में हम घरेलू स्तर पर और वैश्किव स्तर पर अति-ध्रुवीकरण, अति-कट्टरवाद देख रहे हैं और यही भू-राजनीतिक स्थिति में भी दिख रहा है. इस कारण घरेलू राजनीति में आम राय तक पहुंचने के लिए जो गणतांत्रिक व्यवस्थाएं हुआ करती थीं उनकी अवमानना की जा रही है और ये अर्थहीन होते जा रहे हैं.

उन्होंने कहा, "संयुक्त राष्ट्र और इस तरह के अंतरराष्ट्रीय संस्थान, जैसे कि दुनिया के देशों को एक धागे में बांधकर साथ रखने वाला इंटरनेशनल ऑर्डर, अलग-अलग मतों पर चर्चा कर एक राय बनाने के लिए बनाए गए इंस्टिट्यूशनल फ्रेमवर्क पर अति-ध्रुवीकरण और अति-कट्टरवाद का असर पड़ रहा है. यूरोप में तो ये हो ही रहा है लेकिन दुनिया के और हिस्सों में भी इनकी अवमानना की जा रही है."

उन्होंने कहा, "मुझे नहीं लगता कि इसके लिए किसी एक देश को दोष दिया जा सकता है. लेकिन विवादों के निपटारे के लिए बना पुराना इंटरनेशनल ऑर्डर स्पष्ट रूप से नाकाम हो चुका है. इसका नतीजा ये है कि आप दूसरे विश्व युद्ध के बाद यूरोप की मुख्यभूमि पर पहली बार युद्ध देख रहे हैं और इसका असर पूरे विश्व पर पड़ रहा है."

उन्होंने कहा कि दुनिया को ज़रूरत है कि वो घरेलू स्तर पर और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहले बनाए गए फ्रेमवर्क पर लौटें.

उन्होंने कहा, "आज के वक्त में इसे लेकर काफी चर्चा हो ही है कि न्यू वर्ल्ड ऑर्डर क्या होगा और इसमें किन बातों की जगह होगी. ये ज़रूरी है कि हम एक सभ्य समाज की तरह अपने विवादों का निपटारा करने के लिए इसमें व्यवस्थाएं बनाएं. मुझे इस बात पर संदेह है कि आज के अति-ध्रुवीकरण और अति-कट्टरवाद के वक्त में हम इस दिशा में बढ़ सकेंगे, लेकिन मुझे उम्मीद है कि भविष्य में हम ऐसा कर सकेंगे."

उन्होंने कहा कि न्यू वर्ल्ड ऑर्डर में ग्लोबल साउथ की आवाज़ों को भी जगह दी जानी चाहिए.

उन्होंने कहा, "इस बात पर ध्यान देने की ज़रूरत है कि पहले जो वर्ल्ड ऑर्डर बना था वो पश्चिमी मुल्कों का बनाया था, वो उपनिवेशवाद का दौर था और आज की दुनिया से काफी अलग था."

(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)

BBC Hindi
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
English summary
Bilawal Bhutto lashes out at UN for comparing Ukraine to Kashmir in Davos
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X