वैक्सीन की गुणवत्ता पर उठे सवालों पर भारत बायोटेक ने दी सफाई, कहा- पूरी जांच के बाद ही की जाती है सप्लाई
भारत बायोटेक की कोवैक्सिन के कुछ बैचों की गुणवत्ता को लेकर मीडिया में आई खबरों के बाद, कंपनी ने इसपर स्पष्टीकरण जारी किया है।
नई दिल्ली, 5 अगस्त। भारत बायोटेक की कोवैक्सिन के कुछ बैचों की गुणवत्ता को लेकर मीडिया में आई खबरों के बाद, कंपनी ने इसपर स्पष्टीकरण जारी किया है। कंपनी ने कहा कि गुणवत्ता के स्तर पर पूरी तरह से खरा उतरने के बाद ही वैक्सीन की खेप को सप्लाई किया जाता है। कंपनी ने कहा कि वैक्सीन के सभी बैच को 200 से अधिक गुणवत्ता नियंत्रण जांच से गुजरना होता है।
भारत बायोटेक ने कहा कि उसकी वैक्सीन (कोवैक्सिन) के प्रत्येक बैच को 200 से अधिक गुणवत्ता नियंत्रण परीक्षणों से गुजरना होता है। इसके बाद भारत सरकार की केंद्रीय औषधि प्रयोगशाला (सीडीएल) को नमूने भेजे जाते हैं। सीडीएल की अनुमति के बाद ही वैक्सीन के बैचों को बिक्री के लिए भेजा जाता है।
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बता दें कि हाल ही में कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया था कि भारत बायोटेक की कोवैक्सीन की सप्लाई इसलिए धीमी पड़ी हुई है, क्योंकि शुरुआत में इसके कुछ खेप अच्छी गुणवत्ता के नहीं थे। भारत के कोविड टास्क फोर्स के सदस्य डॉ एनके अरोड़ा ने एनडीटीवी के हवाले से कहा, 'हम Covaxin के उत्पादन में बहुत तेज वृद्धि की उम्मीद कर रहे थे। भारत बायोटेक ने बैंगलुरु में अपनी नई यूनिट शुरू की है। बैंगलुरु में स्थित यह प्लांट दुनिया का सबसे बड़ा वैक्सीन उत्पादन का केंद्र है। लेकिन शुरुआत के कुछ बैच गुणवत्ता के मानदंड पर खरे नहीं उतरे..इनकी क्वालिटी अच्छी नहीं थी। लेकिन अब गुणवत्ता बेहतर हो गई है। हमें उम्मीद है कि 4 से 6 महीनों में भारत बायोटेक वैक्सीन के उत्पादन में तेजी लाएगा।'
भारत
बायोटेक
ने
आरोपों
का
किया
खंडन
इन
खबरों
का
खंडन
करते
हुए
भारत
बायोटेक
ने
कहा
कि
अभी
तक
वैक्सीन
के
सभी
बैच
केवल
हैदराबाद
की
जीनोम
वैली
में
स्थित
प्लांट
में
निर्मित
किये
गए
हैं
और
सभी
बैच
की
पूरी
तरह
जांच
की
जाती
है।
इसके
बाद
इन्हें
अधिकारियों
द्वारा
पास
किया
जाता
है।
कंपनी ने आगे कहा कि इस साल जून की शुरुआत से कोवैक्सिन का उत्पादन कर्नाटक के मलूर और गुजरात के अंकलेश्वर प्लांट में शुरू हुआ है। इन प्लांटों में निर्मित वैक्सीन की सप्लाई सितंबर से की जाएगी। कंपनी ने कहा कि इस तरह की फेक न्यूज से जनता में दहशत का माहौल पैदा होगा और वैक्सीन के प्रति लोगों में हिचकिचाहट बढ़ेगी। हमारा आग्रह है कि ऐसी खबरों को प्रसारित करने समय पूरी सावधानी बरती जाए।