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बी चंद्रकला: सोशल मीडिया पर चहेती अधिकारी से एक 'भ्रष्ट' अधिकारी तक

नौकरी की शुरुआत में उन्होंने अपनी संपत्ति शून्य दिखाई थी लेकिन एक साल बाद ही संपत्ति में दस लाख रुपये की बढ़ोत्तरी का रिटर्न भरा.

बी चंद्रकला सोशल मीडिया पर काफ़ी प्रसिद्धी बटोर चुकी हैं. फ़ेसबुक और ट्विटर पर उनके न सिर्फ़ लाखों फॉलोवर्स हैं बल्कि उनकी एक-एक पोस्ट पर हज़ारों की संख्या में लाइक्स आते हैं. इस मामले में वो कई नेताओं और अभिनेताओं से भी आगे निकल चुकी हैं.

By BBC News हिन्दी
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बी चंद्रकला: सोशल मीडिया पर चहेती अधिकारी से एक भ्रष्ट अधिकारी तक

सोशल मीडिया पर लाखों फ़ॉलोवर्स, मातहत अफ़सरों को लताड़ते वीडियो, सख़्त और ईमानदार अफ़सर की पिछले दस साल में हासिल की गई छवि एकाएक धूमिल हो जाएगी, ये शायद बी. चंद्रकला ने पहले कभी नहीं सोचा होगा.

हालांकि, इस तरह की 'रॉबिनहुड' टाइप और ईमानदार छवि के बावजूद उन पर कई तरह के आरोप पहले भी लगे और कार्यशैली की आलोचना भी हुई लेकिन राज्य सरकारों की वो इतनी चहेती थीं कि उन पर कभी आंच नहीं आई.

साल 2008 बैच की आईएएस अधिकारी भुक्या चंद्रकला मूल रूप से तेलंगाना के करीमनगर की रहने वाली हैं और उन्होंने अपनी पढ़ाई हैदराबाद से की है.

आईएएस बनने के बाद साल 2009 में उनकी पहली तैनाती इलाहाबाद (अब प्रयागराज) के फूलपुर में एसडीएम के रूप में हुई. उसी समय से वो सुर्ख़ियों में आनी शुरू हुईं और ये क्रम अब तक बना हुआ है.

साल 2012 में बी. चंद्रकला को हमीरपुर का डीएम बनाया गया और 2017 तक वो कुल पांच ज़िलों में डीएम की ज़िम्मेदारी निभा चुकी थीं.

सपा सरकार का क़रीबी होने की थी चर्चा

लखनऊ में वरिष्ठ पत्रकार परवेज़ अहमद कहते हैं, "हमीरपुर में तैनाती के बाद से ही खनन को लेकर उनकी संदिग्ध भूमिका की चर्चा होने लगी थी. तमाम आलोचनाओं के बावजूद उनकी लगातार होती तरक़्क़ी से ये चर्चा आम हो गई कि वो सपा सरकार के बेहद क़रीब हैं."

हालांकि इस दौरान वो अक्सर अपनी कार्यशैली को लेकर भी चर्चा में रहीं. बुलंदशहर की डीएम रहते हुए उन्होंने एक स्थानीय ठेकेदार और पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों को सार्वजनिक रूप से फटकार लगाई और इसका वीडियो सोशल मीडिया पर ख़ूब वायरल हुआ.

उसके बाद तो ऐसे कई वीडियो वायरल हुए जिनमें बी. चंद्रकला अपने मातहत अधिकारियों और कर्मचारियों को ईमानदारी का पाठ पढ़ा रही हैं.

एक प्राथमिक स्कूल की जांच के दौरान वहां के विद्यार्थियों से उनका संवाद और फिर अध्यापकों को दी गई नसीहत का वीडियो भी काफ़ी सुर्ख़ियों में रहा था.

बीजेपी नेताओं से हुई थी तनातनी

बी. चंद्रकला को क़रीब से जानने वाले एक अधिकारी नाम न छापने की शर्त पर कहते हैं कि सोशल मीडिया में सक्रियता और पब्लिसिटी के चलते उनके ऐसे कई काम मीडिया में जगह नहीं पा सके, जिनमें उनकी छवि ख़राब होती.

उनके मुताबिक़, "यदि मेरठ में वो बीजेपी के नेताओं से न उलझतीं, उन पर एक पार्टी विशेष के लिए काम करने का ठप्पा न लगता तो सत्ता परिवर्तन के बावजूद वो अपनी जगह बनाए रखतीं."

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान बी. चंद्रकला मेरठ के डीएम के पद पर तैनात थीं. बीजेपी नेताओं से उनकी जमकर तनातनी हुई और बीजेपी ने उनकी शिकायत चुनाव आयोग से भी की थी.

बीजेपी नेताओं ने उन पर पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाने और सत्ताधारी पार्टी की एजेंट के रूप में काम करने का आरोप लगाया था. बीजेपी ने उस वक़्त चुनाव आयोग से उनके ट्रांसफ़र की भी मांग की थी.

मेरठ के तत्कालीन विधायक और बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत वाजपेयी कहते हैं, "पिछली सरकारें अफ़सरों के तालमेल से जिस तरह से भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रही थीं, ये उसका जीता-जागता उदाहरण है. ऐसे अफ़सर न सिर्फ़ उन सरकारों के ग़लत कार्यों को आगे बढ़ाने में सहयोग कर रहे थे बल्कि पार्टी के एजेंट के रूप में कार्य कर रहे थे. हमलोगों ने तब भी उनकी शिकायत की थी, लेकिन तब हमारी सुनवाई नहीं हुई."

केंद्र में भी हो चुका है ट्रांसफ़र

2017 में राज्य में सत्ता परिवर्तन के साथ ही बी. चंद्रकला के प्रभाव में भी परिवर्तन आ गया. केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर पहले वो दिल्ली गईं लेकिन कुछ दिन पहले ही मूल कैडर में वापस आ गईं.

सीबीआई ने उन पर अवैध खनन मामले में छापेमारी की है, जब वो हमीरपुर ज़िले की कलेक्टर थीं.

बुंदेलखंड में पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता आशीष सागर कहते हैं, "केन, बेतवा और यमुना नदियों में अवैध खनन का कारोबार सत्ता समर्थित सिंडिकेट के ज़रिए होता है. बी. चंद्रकला जैसे अधिकारी वही करते हैं जो कि सत्ताधीशों और रसूख़दारों के हित में होता है और ये ऐसा इसलिए करते हैं क्योंकि ये इनके भी हित में होता है."

सोशल मीडिया पर काफ़ी प्रसिद्ध

पिछले साल मई में उन्हें भ्रष्टाचार के एक मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट से भी झटका लगा था. हाईकोर्ट ने इलाहाबाद की सीजेएम कोर्ट से उनके ख़िलाफ़ जारी समन आदेश को सही मानते हुए उनकी अर्ज़ी को ख़ारिज कर दिया था.

इलाहाबाद के वरिष्ठ पत्रकार अखिलेश मिश्र बताते हैं, "इस मामले में चंद्रकला सहित कुछ अन्य लोगों पर आरोप हैं कि इन्होंने मिलकर अनंती देवी नाम की एक महिला के घर को जाने वाले रास्ते को ख़त्म कर दिया था. यह मामला उस समय का है जब बी चंद्रकला इलाहाबाद की फूलपुर तहसील में एसडीएम थीं. गांव की एक महिला आसमा बानो ने साल 2011 में एसडीएम से मिलकर रास्ते में आने वाली ज़मीन पर क़ब्ज़ा कर लिया था."

अनंती देवी ने एसडीएम के इस फ़ैसले को इलाहाबाद की सीजेएम कोर्ट में चुनौती दी थी. सीजेएम कोर्ट ने बी चन्द्रकला समेत अन्य लोगों को समन जारी किया था, जिसे बी चंद्रकला ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. लेकिन हाईकोर्ट ने उनकी अपील ख़ारिज कर दी थी और सीजेएम के समन को वैध ठहराया था.

इसके अलावा बी चंद्रकला सरकारी दस्तावेज़ों में अपनी संपत्ति की घोषणा को लेकर भी चर्चित रही हैं.

नौकरी की शुरुआत में उन्होंने अपनी संपत्ति शून्य दिखाई थी लेकिन एक साल बाद ही संपत्ति में दस लाख रुपये की बढ़ोत्तरी का रिटर्न भरा.

बी चंद्रकला सोशल मीडिया पर काफ़ी प्रसिद्धी बटोर चुकी हैं. फ़ेसबुक और ट्विटर पर उनके न सिर्फ़ लाखों फॉलोवर्स हैं बल्कि उनकी एक-एक पोस्ट पर हज़ारों की संख्या में लाइक्स आते हैं. इस मामले में वो कई नेताओं और अभिनेताओं से भी आगे निकल चुकी हैं.

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English summary
B. Chandrakala From social media officer to a corrupt officer
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