अयोध्या पर मुस्लिम नेता का ओवैसी को जवाब, 'क्यों ना लें 5 एकड़ जमीन, आप मुसलमानों के ठेकेदार नहीं'
सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि मुसलमानों को 5 एकड़ जमीन की खैरात नहीं चाहिए। अब इसपर सलमान निजामी ने जवाब दिया है...
नई दिल्ली। देश के सबसे संवेदनशील मामलों में शामिल अयोध्या केस में शनिवार को सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की संविधान पीठ ने अपना ऐतिहासिक फैसला सुना दिया। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में विवादित जमीन का मालिकाना हक रामलला विराजमान को देते हुए केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वो अयोध्या में किसी अन्य जगह 5 एकड़ जमीन मुस्लिम पक्ष को दे। हालांकि सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने अपना अंसतोष जाहिर करते हुए कहा मुसलमानों को 5 एकड़ जमीन की खैरात नहीं चाहिए। ओवैसी के इस बयान को लेकर कांग्रेस नेता सलमान निजामी ने पलटवार करते हुए करारा जवाब दिया है।
'घंटियों की आवाज़ , अज़ान के साथ...'
कांग्रेस नेता सलमान निजामी ने ओवैसी के बयान पर कहा, 'पांच एकड़ जमीन को अस्वीकार क्यों किया जाए? ओवैसी 20 करोड़ से ज्यादा मुसलमानों के ठेकेदार नहीं हैं। हमें 'मस्जिद' का निर्माण करना चाहिए, और साथ में एक ऐसा शैक्षिक संस्थान भी बनाना चाहिए, जहां हिंदू और मुस्लिम दोनों एक साथ मिलकर पढ़ाई कर सकें। इस मामले में किसी को भी निराश नहीं होना चाहिए। नफरत और बुराई के मंसूबों को केवल सकारात्मक सोच और ऊर्जा से ही हराया जा सकता है। मंदिर की घंटियों की आवाज़ और उसका कंपन, अज़ान के साथ...यही मेरे भारत की खूबसूरती है।
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'हमें 5 एकड़ जमीन के प्रस्ताव को ठुकरा देना चाहिए'
आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद अपनी प्रतिक्रिया देते हुए असदुद्दीन ओवैसी ने कहा था, 'भारत के मुस्लिम को खैरात की जरूरत नहीं है। हमें संविधान पर पूरा भरोसा है और हम अपने कानूनी हक की लड़ाई लड़ रहे थे। हमें 5 एकड़ जमीन के प्रस्ताव को ठुकरा देना चाहिए। मैं सुप्रीम कोर्ट के फैसले से सहमत नहीं हूं। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के वकीलों ने भी कहा कि वे इस फैसले से सहमत नहीं हैं। हम मस्जिद के लिए जमीन खरीद सकते हैं। कांग्रेस ने भी आज अपना असली रंग दिखा दिया है। अगर 1949 में मूर्तियों को नहीं रखा गया होता और तत्कालीन पीएम राजीव गांधी ने ताले नहीं खुलवाए होते तो मस्जिद अभी भी होती। नरसिम्हा राव ने अपने कर्तव्यों का पालन किया होता तो मस्जिद अभी भी होती।'
'100 एकड़ जमीन भी दे दें तो कोई फायदा नहीं'
वहीं, सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के कमाल फारुकी ने कहा, 'इसके बदले हमें 100 एकड़ जमीन भी दे दें तो कोई फायदा नहीं है। हमारी 67 एकड़ जमीन पहले ही अधिगृहीत की जा चुकी है, तो फिर हमको दान में क्या दे रहे हैं वो? हमारी 67 एकड़ जमीन लेने के बाद 5 एकड़ जमीन दे रहे हैं, ये कहां का इंसाफ है? दूसरी तरफ सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील जफरयाब जिलानी ने कहा कि यदि हमारी समिति सहमत होती है तो हम एक समीक्षा याचिका दायर करेंगे।
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तीन महीने के भीतर ट्रस्ट बनाएगी सरकार
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को मुस्लिम पक्ष को अयोध्या में ही किसी और जगह 5 एकड़ जमीन देने का आदेश भी दिया है। अयोध्या में रामजन्मभूमि की विवादित जमीन पर शिया वक्फ बोर्ड और निर्मोही अखाड़ा भी दावेदार थे। अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने इन दोनों की दावेदारी को खारिज कर दिया। हालांकि कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया है कि मंदिर निर्माण के लिए बनने वाले ट्रस्ट में निर्मोही अखाड़े को भी प्रतिनिधित्व दिया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि विवादित भूमि पर मंदिर के निर्माण के लिए केंद्र सरकार तीन महीने के भीतर ट्रस्ट बनाए।