यूपी चुनाव से पहले अयोध्या को एक और सौगात, एयरपोर्ट के लिए CRPF की जमीन ट्रांसफर करने का रास्ता साफ
अयोध्या, 10 अक्टूबर: अयोध्या में इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर निर्माण का कार्य बहुत ही तेजी से चल रहा है। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को देखते हुए केंद्र और राज्य सरकार इस काम में तेजी लाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रही है। अब केंद्र सरकार ने नए टर्मिनल के निर्माण के लिए उस जमीन को ट्रांसफर करने की मंजूरी दे दी है, जो अभी सीआरपीएफ के कब्जे में है। माना जा रहा है कि इस जमीन के बदले यूपी सरकार जल्दी ही उतनी ही जमीन सीआरपीएफ को दूसरी जगह उपलब्ध करवाएगी। अयोध्या में इंटरनेशनल प्रोजेक्ट भाजपा सरकार का बहुत बड़ा अभियान है और भव्य राम मंदिर के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से वह चुनावों में उड़ान भरना चाहती है।
केंद्र ने एयरपोर्ट के लिए 3 एकड़ जमीन ट्रांसफर को दी मंजूरी
केंद्र सरकार ने अयोध्या एयरपोर्ट के नए टर्मिनल के लिए 3 एकड़ जमीन उत्तर प्रदेश सरकार को देने की मंजूरी दे दी है। यह जमीन अभी केंद्रीय रिजर्व पुलिस फोर्स (सीआरपीएफ) के पास है। अधिकारियों के मुताबिक उत्तर प्रदेश सरकार को अयोध्या एयरपोर्ट के नए टर्मिनल और गवर्मेंट मेडिकल कॉलेज तक संपर्क रोड बनाने के लिए यह जमीन चाहिए थी। दरअसल, अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए भगवान राम की नगरी अयोध्या में इंटरनेशनल एयरपोर्ट प्रोजेक्ट के काम को फास्ट-ट्रैक पर डाल दिया गया है और केंद्र और राज्य सरकार इसके लिए जमीनें आवंटित कर रही हैं और केंद्र से फंड भी दिया जा रहा है।
इंटरनेशनल एयरपोर्ट के लिए चाहिए 660 एकड़ जमीन
बता दें कि इंटरनेशनल एयरपोर्ट के निर्माण के लिए राज्य सरकार ने अयोध्या जिला प्रशासन को जमीन के लिए 1,000 करोड़ रुपए उपलब्ध करवाए हैं। नागरिक उड्डयन मंत्रालय के मुताबिक अयोध्या एयरपोर्ट के चरणबद्ध विकास के लिए 660 एकड़ जमीन की आवश्यकता है। ऐसे में जब सीआरपीएफ की जमीन एयरपोर्ट के लिए ट्रांसफर करने का फैसला लिया गया है तो केंद्रीय गृह मंत्रालय ने उसको भी वैकल्पिक जमीन उपलब्ध करवाने के लिए यूपी सरकार को निर्देश भी दे दिए हैं। गौरतलब है कि अयोध्या में निर्माणाधीन राम मंदिर की सुरक्षा का जिम्मा सीआरपीएफ ही संभाल रही है, इसलिए अधिकारियों ने कहा है कि गृह मंत्रालय ने राज्य सरकार से कहा है कि वहीं पास के इलाके में प्रदेश शिक्षा विभाग की उतनी ही जमीन, उसके लिए ट्रांसफर कर दे।
1990 से वहां काम कर रहा है गृह मंत्रालय का डिविजन
केंद्र ने 1990 में अयोध्या के विवादित क्षेत्र में अलग-अलग दावों के चलते वहां पर गृह मंत्रालय के तहत अयोध्या डिविजन स्थापित किया था। 1992 में जब पुराना ढांचा गिरा दिया गया तो यह मंत्रालय के इंटर्नल सिक्योरिटी डिविजन के रूप में काम करता रहा, जिसकी जिम्मेदारी नियमित तौर पर विभिन्न केंद्रीय और प्रदेश एजेंसियों के बीच तालमेल बिठाना है। अयोध्या नगरी 5 जुलाई, 2005 की वह घटना कभी नहीं भुला सकती जब सीआरपीएफ ने 5 पाकिस्तान समर्थित आतंकियों की ओर से अस्थाई राम मंदिर पर हमले की कोशिश को नाकाम कर दिया था। एक घंटे चले इस एनकाउंटर में सभी पांच दहशतगर्द मार गिराए गए थे। (ऊपर की तस्वीरें- राम मंदिर निर्माण की)
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सीआरपीएफ के जिम्मे है मंदिर के आंतरिक परिसर की सुरक्षा
मौजूदा समय में सीआरपीएफ के पास राम मंदिर के आंतरिक परिसर की सुरक्षा का जिम्मा है। लेकिन, माना जा रहा है कि भव्य राम मंदिर के निर्माण के बाद उसका दायरा बढ़ाया जा सकता है। यही नहीं सीआरपीएफ के अलावा केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) को भी भविष्य में मंदिर में दर्शन के लिए जुटने वाली श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को कंट्रोल करने के लिए बुलाया जा सकता है। (तस्वीरें-फाइल)