छत्तीसगढ़ की विराट जीत का फॉर्मूला असम में दोहराने की कोशिश में भूपेश बघेल
गुवाहाटी: असम में कांग्रेस का सामना भाजपा जैसी मजबूत पार्टी से है। यह ऐसा चुनाव है, जो वर्षों बाद पार्टी पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई जैसे दिग्गज नेता के बिना लड़ रही है। लेकिन, फिर भी तीन महीने पहले की स्थिति मुकाबले आज इसका आत्मविश्वास काफी बढ़ा हुआ है। इसकी एक वजह ये है कि काफी समय बाद पार्टी ने राज्य में चुनाव की कमान एक प्रदेश के मुख्यमंत्री और उनकी टीम को दी है। ये हैं छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल और उनके साथ आई उनकी वो टीम जो तकरीबन ढाई साल पहले रायपुर में सत्ता का सिंहासन बदल चुकी है। कांग्रेस के नेता मान रहे हैं कि छत्तीसगढ़ी मॉडल असम में भी काम कर रहा है।
बघेल अपनी टीम के साथ आए हैं असम
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री बघेल अकेले गुवाहाटी नहीं आए हैं। उनके साथ उनके सलाहकार विनोद वर्मा, रुचिर गर्ग और राजेश तिवारी के अलावा करीब दो दर्जन स्थानीय कांग्रेसी भी आए हुए हैं, जो इस समय असम में ही डेरा डाले हुए हैं। बघेल के अलावा इनके ऊपर पार्टी के प्रदेश प्रभारी जीतेंद्र सिंह की भी निगरानी है, जो सीधे राहुल गांधी का आशीर्वाद लेकर आए हैं। अभी तक की इनकी बड़ी उपलब्धि ये है कि असम में पार्टी के अंदर जो गुटबाजी थी, नेताओं के मुताबिक वह काफी हद तक नियंत्रित हो चुकी है और फोकस सिर्फ चुनाव पर रह गया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पार्टी ने इस समस्या को दूर करने के लिए एक रणनीति ये भी अपनाई है कि वह किसी को मुख्यमंत्री उम्मीदवार नहीं बनाएगी।
बूथ वर्करों को दी गई है विशेष ट्रेनिंग
असम में कांग्रेस की चुनावी रणनीति में इसबार सबसे ज्यादा चर्चा बघेल की मौजूदी और उनके छत्तीसगढ़ मॉडल की हो रही है। उनकी टीम जनवरी से ही यहां कैंप किए हुए है। आलाकमान ने सीएम बघेल को यहां कैंपेन मैनेजमेंट का सीनियर ऑब्जर्वर नियुक्त करके भेजा है। उन्होंने यहां आकर जनवरी के पहले हफ्ते में ही सबसे पहला काम ये किया था कि बूथ वर्करों के लिए 'संकल्प शिविर' आयोजित करवाने शुरू कर दिए थे। पार्टी नेताओं के मुताबिक आज की तारीख में बोडो इलाके के कुछ विधानसभा क्षेत्रों को छोड़कर ऐसे शिविर हर सीट के बूथ वर्करों के लिए आयोजित हो चुके हैं। सूत्रों के मुताबिक इस आइडिया के पीछे कार्यकर्ताओं को उत्साहित करने और उनका मनोबल बढ़ाने का है। कांग्रेस छत्तीसगढ़ में इसका सफल प्रयोग कर चुकी है।
कांग्रेस: असम जीतने का छत्तीसगढ़ी फॉर्मूला
कुछ महीने पहले असम में कांग्रेस कार्यकर्ताओं का मनोबल गिरा हुआ था। लगातार दो लोकसभा चुनावों में उसे सिर्फ 3-3 सीटें ही मिली थीं और 2016 के विधानसभा चुनाव में तो उसकी जमीन ही खिसक गई थी। ऊपर से गोगोई के कद का कोई नेता नहीं रहा और हाल में भाजपा ने बोडोलैंड टेरिटोरियल काउंसिल (बीटीसी) और तिवा ऑटोनोमस काउंसिल (टीएसी) में शानदार प्रदर्शन किया और दोनों जगहों पर कांग्रेस का प्रदर्शन बहुत ही खराब रहा। लेकिन, कहते हैं कि छत्तीसगढ़ में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रहते बघेल ने जो शिविर लगवाई थी, असम में उसने कार्यकर्ताओं में गजब की जान फूंक दी है। इंडियन एक्सप्रेस ने पार्टी के एक नेता के हवाले से बताया है, 'उसी मॉडल को असम में दोहराया गया है। बूथ-लेवल के कार्यकर्ताओं को कई तरह की ट्रेनिंग दी गई है, जिसमें वोटर लिस्ट का वितरण, वोटरों की पहचान करना, फ्लोटिंग वोटर को अलग करना और उनसे संपर्क करते रहना....'
चुनाव तक असम में रुकेगी छत्तीसगढ़ वाली टीम
यही नहीं, पार्टी ने वहां सीएए जैसे मुद्दों पर सर्वे भी करवाए हैं और पार्टी सूत्रों के मुताबिक उसके परिणाम चौंकाने वाले रहे हैं। लेकिन, बघेल के साथ आई टीम का काम अभी खत्म नहीं हुआ है। एक नेता ने कहा है, 'ज्यादातर चुनाव क्षेत्रों में छत्तीसगढ़ की टीम प्रचार का काम भी देखेगी, जिसमें दीवारों पर चित्रकारी से लेकर प्रचार सामग्री का वितरण तक शामिल होगा। 'एक वरिष्ठ कांग्रेसी के मुताबिक, 'अभी भी मुकाबला कड़ा है, लेकिन हमें लगता है कि तीन-चार महीने पहले जो स्थिति तो उससे हालात बेहतर हुए हैं।' 126 सदस्यीय असम विधानसभा चुनाव के लिए तीन चरणों में यानी 27 मार्च, 1 अप्रैल और 6 अप्रैल को वोट डाले जाएंगे और वोटों की गिनती 2 मई को होगी।
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