विजय माल्या के प्रत्यर्पण फैसले पर अरुण जेटली ने दिया अहम बयान
नई दिल्ली। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने यूके की कोर्ट के उस फैसले का स्वागत किया है जिसमे विजय माल्या को भारत प्रत्यर्पण करने का आदेश दिया गया है। कोर्ट के फैसले की तारीफ करते हुए जेटली ने कहा कि विजय माल्या ने यूपीए सरकार के कार्यकाल में फायदा उठाया था और एनडीए सरकार के दौरान उसके खिलाफ हमने कार्रवाई की और मामला दर्ज किया। माल्या भारत में अपराधी है, उसपर कथित रूप से फर्जीवाड़ा करने और मनी लॉड्रिंग का केस है। उसने कथित रूप से 9000 करोड़ रुपए का फर्जीवाड़ा किया है। यूके की कोर्ट के फैसले के बाद माल्या के पास 14 दिन का समय है जब वह कोर्ट के फैसले के खिलाप उच्च अदालत में अपील कर सकता है।
भारत के लिए गर्व का पल
अरुण जेटली ने ट्वीट करके कहा कि भारत के लिए यह काफी अच्छा दिन है, जो भी भारत को धोखा देगा वह बच नहीं पाएगा, यूके की कोर्ट के फैसले का स्वागत करता हूं, एक अपराधी जिसने यूपीए सरकार के कार्यकाल में फायदा उठाया और एनडीए की सरकार ने उसके खिलाफ कार्रवाई की। आपको बता दें कि यूके कोर्ट के जज एमा ऑर्बुथनॉट ने कहा कि माल्या के खिलाफ पर्याप्त सबूत है जोकि दर्शाता है कि उसने गलत तरह से वित्तयी लेन-देन किया था, जिसकी वजह से प्रत्यर्पण के लिए भारत की अपील को बल मिलता है।
माल्या ने कहा मैंने कुछ भी गलत नहीं किया
वहीं कोर्ट के फैसले के बाद माल्या ने किसी भी तरह के गलत काम से इनकार किया है। उसने कहा कि उसने कुछ भी गलत नहीं किया है। माल्या ने कहा कि उसके खिलाफ मामला राजनीति से प्रेरित था। माल्या 2000 में कांग्रेस की मदद से राज्य सभा पहुंचा था। इसके बाद उसने भाजपा का दामन थाम लिया और जेडीएस की मदद से एक बार फिर से राज्य सभा पहुंचा था। माल्या को भारत प्रत्यर्पण किए जाने के यूके कोर्ट के फैसले के बाद जेटली ने कांग्रेस पर भी जमकर हमला बोला।
कांग्रेस ने पहुंचाया फायदा
जेटली ने कहा कि कांग्रेस को दोषी करार देते हुए कहा कि आखिर बेंगलुरू के व्यापारी को किसने लोन दिया। आपने ही इस तरह की स्थिति को खड़ा किया कि इस तरह के लोगे फले-फूले, लेकिन अब हम उन्हें वापस लाने में सफल हुए हैं। यह भारत के लिए गौरवपूर्ण क्षण है। आपको बता दें कि माल्या के खिलाफ बैंकों के साथ 9000 करोड़ रुपए फर्जीवाड़ा करने का आरोप है। लेकिन कुछ ही दिन पहले उसने इस पैसे को वापस करने का प्रस्ताव दिया है। लेकिन खास बात यह है कि माल्या सिर्फ मूलधन देने के लिए तैयार है जबकि वह ब्याज को देने के लिए तैयार नहीं है।