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अलर्ट को किया नजरअंदाज, सच साबित हुआ डर

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Naxal attack
रायपुर। मंगलवार को छत्‍तीसगढ़ के सुकुमा में हुए एक नक्‍सल हमले में 11 सीआरपीएफ जवानों के साथ 16 लोगों की मौत हो गई थी। बुधवार को केंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे और छत्‍तीसगढ़ के मुख्‍यमंत्री रमन सिंह ने इन जवानों को श्रद्धांजलि अर्पित की।

एक न्‍यूज चैनल की ओर से किए जा रहे दावों पर अगर यकीन किया जाए तो यह मौतें न होती, अगर राज्‍य सरकार ने केंद्र सरकार की ओर से भेजे गए एक अलर्ट को गंभीरता से लिया होता। इस चैनल ने गृह मंत्री के हवाले से दावा किया है कि केंद्र सरकार की ओर से राज्‍य सरकार को बहुत पहले ही इस तरह के हमले के बारे में आगाह कर दिया गया था।

राज्‍य सरकार ने केंद्र सरकार की ओर से जरूरी सुरक्षा उपायों की कमी का हवाला दिया है। वजह जो भी हो लेकिन एक सवाल यहां पर सबसे अहम है कि आखिर कब तक आपसी तालमेल का खामियाजा सुरक्षा जवान और आम जनता भुगती रहेगी और कब तक हर हमले के बाद इस तरह से आरोप-प्रत्‍यारोपों का दौर चलता रहेगा?

मंगलवार को हुए हमले से साल 2010 में दांतेवाड़ा नक्‍सल हमले की याद दिला दी है जिसमें 76 जवानों की मौत हो गई थी। रमन सिंह की मानें तो केंद्र सरकार और राज्‍य सरकार के बीच आपसी तालमेल की कमी नक्‍सल समस्‍या को खत्‍म न कर पाने की अहम वजह है। कई बार जरूरी सुरक्षा उपायों का हवाला भी दिया गया है।

इन सब बातों से अलग सवाल यह है कि इस तरह के अलर्ट पर सरकार और सुरक्षा एजेंसिया समय रहते एक्‍शन लेने से क्‍यों बचती हैं ?

चुनाव आयोग को भी इस बात को लेकर आशंकित था कि कहीं लोकसभा चुनावों से पहले राज्‍य में कोई बड़ा हमला न हो जाए और मंगलवार को उसका डर सही साबित हुआ। विषेशज्ञ मानते हैं कि इस हमले के बाद शायद चुनाव आयोग को सुरक्षा के लिए जरूरी इंतजामों में इजाफा करना पड़ जाए।

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English summary
Home Ministry claims an alert related to Tuesday's naxal attack had been issued to state government much before.
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