Video: जनवरी में सबरीमाला जाने वाली बिंदू पर लाल मिर्च से हमला, लगाया छेड़छाड़ का आरोप
तिरुवनंतपुरम। बिंदू आमिनी उन दो महिला कार्यकर्ताओं में से एक हैं, जो जनवरी में केरल के सबरीमाला मंदिर में जाने में कामियाब रही थीं। उनपर सोमवार को कोच्चि के पुलिस कमिश्नर ऑफिस में लाल मिर्च से हमला किया गया है। वह तृप्ति देसाई सहित अन्य कार्यकर्ताओं के साथ एक बार फिर मंदिर की ओर जा रही थीं। बंदू और तृप्ति सबरीमाला जाने के लिए सुरक्षा मांगने पुलिस कमिश्नर के दफ्तर पहुंची थीं।
Horrific Visuals from #Kerala
Red chilli spray / pepper spray attack against Bindu Ammini out side the Kochi commissioner office. She was there to seek police protection to visit Shabarimala Temple.
Bindu managed to visit #sabarimala
— Dr. B. Balagopal (@balunair99) November 26, 2019
last year #sabarimalaverdict pic.twitter.com/ZYF449TJb9
छेड़छाड़ का दावा
बिंदू ने दावा किया है कि प्रदर्शनकारियों ने उनके साथ छेड़छाड़ की है। हैरानी की बात तो ये है कि बिंदू के साथ ये सब पुलिस कमिश्नर दफ्तर के बाहर हुआ है। जहां वह सुरक्षा मांगने पहुंची थीं। उन्हें इसके बाद अस्पताल तक नहीं ले जाया गया। जब तृप्ति देसाई कोच्चि हवाईअड्डे पहुंची तो प्रदर्शनकारियों ने उनका रास्ता रोक लिया और कहा कि वह किसी भी हालत में उन्हें मंदिर तक नहीं जाने देंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने फैसले पर कोई रोक नहीं लगाई
इन महिला कार्यकर्ताओं का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने 2018 के फैसले पर कोई रोक नहीं लगाई है। ये फैसला सभी उम्र की महिलाओं को सबरीमाला जाने की इजाजत देता है। ये कहती हैं कि आज संविधान दिवस है, यानी वो दिन जब सदियों से उम्र को लेकर चली आ रही इस पाबंदी को तोड़ा जाना चाहिए। इन महिलाओं का कहना है कि अगर कोई इनका रास्ता रोकेगा तो ये अवमानना याचिका के साथ कोर्ट तक जाएंगी। ये कहती हैं कि इन्हें सुरक्षा पहुंचाना पुलिस का कर्तव्य है।
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क्या कहती हैं केरल की वामपंथी सरकार?
इस मामले में केरल की वामपंथी सरकारों का कहना है कि जब तक कोर्ट का आदेश नहीं आ जाता, तब तक वह मंदिर जाने की इच्छुक महिलाओं को कोई सुरक्षा प्रदान नहीं करेंगे। बता दें सबरीमाला मंदिर में प्रवेश के लिए सदियों से प्रथा चलती आ रही है, कि यहां 10 से 50 साल की उम्र की महिलाएं प्रवेश नहीं कर सकती हैं क्योंकि उन्हें मासिक धर्म होता है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बीते साल ऐतिहासिक फैसला सुनाया था और सभी उम्र की महिलाओं को प्रवेश के लिए इजाजत दे दी थी, जिसका काफी विरोध हुआ। कोर्ट में समीक्षा याचिका डाली गईं, जिसके बाद पांच जजों की बेंच ने मामला सात जजों की बेंच को सौंप दिया। हालांकि इस दौरान कोर्ट ने अपने पिछले आदेश पर ना तो कोई रोक लगाई और ना ही उसके विरोध में कुछ कहा।
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