'गर्भपात कराने के लिए पत्नी को पति की इजाजत लेने की जरूरत नहीं' - सुप्रीम कोर्ट
कोर्ट ने कहा कि महिला को यह पूरा अधिकार है कि वह बच्चे को जन्म देना चाहती है या फिर उसे गिराना चाहती है। हरिया और पंजाब कोर्ट में याचिका खारिज होने के बाद व्यक्ति ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी।
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने अपने अहम फैसले में महिलाओं को बड़ा अधिकार दिया है। कोर्ट ने कहा है कि गर्भपात कराना है या नहीं यह पूरी तरह से महिला के उपर निर्भर करता है। सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला एक याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है जिसमे कहा गया था कि गर्भपात कराने से पहले महिला को पुरुष की भी इजाजत लेनी चाहिए। कोर्ट ने कहा कि महिला को यह पूरा अधिकार है कि वह बच्चे को जन्म देना चाहती है या फिर उसे गिराना चाहती है। हरिया और पंजाब कोर्ट में याचिका खारिज होने के बाद व्यक्ति ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी।
इस मामले में हाई कोर्ट ने कहा था कि अगर पति पत्नी के बीच तनाव है और रिश्ते में टकराव आ गया है तो बच्चे को जन्म देना है या नहीं यह पूरी तरह से पत्नी का अधिकार क्षेत्र है। कोर्ट ने कहा कि महिला मां है और वह वयस्क है, आखिर मैं कैसे किसी और को उसके लिए फैसला लेने के लिए कहा जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने कहा कि यहां तक कि मानसिक रुप से विक्षिप्त महिला को भी यह अधिकार है कि वह अपना गर्भपात करा सके।
दंपति
पहुंचे
थे
कोर्ट
गौरतलब
है
कि
जिस
व्यक्ति
ने
इस
मामले
को
लेकर
कोर्ट
का
दरवाजा
खटखटाया
था
उसका
विवाह
1995
में
हुआ
था,
लेकिन
दोनों
के
बीच
रिश्तों
में
खटास
आने
की
वजह
से
पत्नी
अपने
बेटे
के
साथ
चंडीगढ़
स्थित
अपने
मायके
में
वर्ष
1999
से
रह
रही
थी।
नवंबर
2002
से
दोनों
ने
साथ
रहना
शुरू
कर
दिया
था,
लेकिन
2003
में
एक
बार
फिर
से
दोनों
के
बीच
तनाव
हुआ
और
तलाक
हो
गया,
लेकिन
इस
दौरान
महिला
गर्भवती
हो
गई।
महिला को पूरा अधिकार
दोनों के बीच संबंध बेहतर नहीं होने की वजह से महिला गर्भपात कराना चाहती थी, लेकिन इसपर पति ने विरोध जताया। जिसके बाद महिला ने अपने परिवार से संपर्क किया, जिसके पाद माता-पिता महिला को लेकर चंडीगढ़ के अस्पताल ले गए यहां पति ने अस्पताल के दस्तावेज जिसमे गर्भपात की इजाजत मांगी गई थी पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया। इसके बाद पति ने कोर्ट में 30 लाख रुपए के मुआवजे का केस ठोक दिया, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज करते हुए कहा कि विवाद के बाद दोनों के बीच शारीरिक संबंध की इजाजत है लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि महिला गर्भ धारण करने के लिए भी राजी हुई है, यह पूरी तरह से महिला पर निर्भर है कि वह बच्चे को जन्म देना चाहती है या नहीं।
इसे भी पढ़ें- अब सिर्फ एम-आधार दिखाकर मिल जाएगी एयरपोर्ट में एंट्री, आईडी प्रूफ के दस दस्तावेजों की लिस्ट हुई जारी