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पर्यावरण और स्वास्थ्य को बचाने के लिए जरूरी है तंबाकू की तरह मांस खाने वालों पर भी लगे टैक्स

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नई दिल्ली। धूम्रपान करने और बहुत ज्यादा मांस खाने से लोगों पर तो इसका प्रभाव पड़ता ही है, लेकिन पर्यावरण और स्वास्थ्य के लिए भी यह उतना ही हानिकारक है। मांस उत्पादन से तेजी के साथ ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन होता है, जो कि पर्यावरण को बिगाड़ने का काम करती है। इसके लिए अधिक जमीन का उपयोग तो होता ही है, लेकिन साथ में प्रोटिन की प्रति यूनिट में पानी की खपत भी ज्यादा होती है। वहीं, घूम्रपान से स्वास्थ्य बिल में भारी वृद्धि होती है, जिसका खामियाजा अक्सर लोगों को भूगतना पड़ता है।

मांस से पर्यावरण और स्वास्थ्य को नुकसान

मांस से पर्यावरण और स्वास्थ्य को नुकसान

वर्ल्ड इकनॉमिक फोरम वेबसाइट पर पब्लिश एक रिपोर्ट के मुताबिक, जो स्मोकर्स के लिए टैक्स लगाया गया है, उसी तरह से मांस खाने वालों पर भी अलग से टैक्स लगाया जाना चाहिए, क्योंकि ये दोनों ही पर्यावरण और पब्लिक को प्रभावित करते हैं। रॉसी वार्डले जो एफएआईआरआर (Farm Animal Investment Risk and Return) के इन्वेस्टर हैं, जो बताते हैं कि स्वास्थ्य और पर्यावरण पर विपरित प्रभाव डालने में मीट सेक्टर का भी बहुत बड़ा योगदान है।

चौथा टैक्स, मीट टैक्स

चौथा टैक्स, मीट टैक्स

अपनी रिपोर्ट में वार्डले ने कहा कि सभी को स्वास्थ्य रहने और पोष्टिक आहार का अधिकार है। इसलिए जरूर है कि हमें ज्यादा से ज्यादा प्लांट प्रोटिन की ओर शिफ्ट होना चाहिए, जो कि स्वास्थ्य और पर्यावरण दोनों के लिए फायदेमंद है। इस रिपोर्ट के मुताबिक, 180 देशों में तम्बाकू पर टैक्स लगा है, 60 देशों में कार्बन उत्सर्जन करने वालों पर अलग टैक्स लगाया गया है और करीब 25 देशों में चीनी (Sugar) पर भी टैक्स लगा है। इनमें से चौथा टैक्स मांस उत्पादन भी हो सकता है, जिससे की इसकी खपत को कम किया जा सकता है।

एशिया करता है सबसे ज्यादा मांस उत्पादन

एशिया करता है सबसे ज्यादा मांस उत्पादन

मांस पर टैक्स लगने से ना सिर्फ पैसा जनरेट होगा, बल्कि हेल्थकेयर में भी बहुत सुधार हो जाएगा। वॉलर ने कहा कि अभी तक दुनियाभर में इस नए टैक्स को लेकर चर्चा तक नहीं की गई थी, लेकिन सरकारें अब इस पर विचार कर रही है और यह एक चर्चा का मुद्दा बन गया है। ऑक्सफॉर्ड यूनिवर्सिटी ने वर्ल्ड डाटा प्रोजेक्ट जारी की है, जिसमें कहा गया है विश्व में 1961 से लेकर अब तक पांच गुना से ज्यादा बार मांस उत्पादन बढ़ा है। दुनिया में एशिया अकेला 40 से 45 प्रतिशत मांस का उत्पादन करता है। एशिया में 1961 से लेकर अब तक 15 गुना से ज्यादा बार मांस उत्पादन में वृद्धि हुई है।

मांस खाने से कैंसर-डायबिटीज जैसी बीमारियों को बढ़ावा

मांस खाने से कैंसर-डायबिटीज जैसी बीमारियों को बढ़ावा

रिपोर्ट में मीट पर टैक्स लगाने पर जोर देते हुए कहा गया है कि यह ना सिर्फ कार्बन उत्सर्जन करती है, बल्कि इससे कैंसर, डायबिटीज और एंटीबायोटिक प्रतिरोध को भी बढ़ावा देती है। हालांकि, रिपोर्ट यह नहीं कहती है कि मीट पर प्रतिबंध लगना चाहिए, बल्कि उनके अनुसार, इसका संतुलित तरीकों से सेवन करने से स्वास्थ्य और पर्यावरण दोनों को फायदा है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि जहां पर भी भूख या कुपोषण फैला है, वहां बीफ और पोर्क (सुअर का मांस) बांटने से स्वास्थ्य में जल्दी लाभ हो सकता है।

पांच से दस साल में आ सकता है मीट टैक्स

पांच से दस साल में आ सकता है मीट टैक्स

मीट पर कोई बैन नही लगा सकता क्योंकि यह रेवेन्यू का बहुत बड़ा हिस्सा है। वार्डले के अनुसार, मीट टैक्स सरकारों को आकर्षित करेगा और ज्यादातर विकसित देशों को। वार्डले ने कहा कि आने वाले पांच से 10 साल में मीट टैक्स को सरकारों की टेबल पर रखने के लिए हम बहुत कुछ कर सकते हैं।

English summary
A new report says we should tax meat-eaters like smokers
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