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सहारा ग्रुप में जमा 4 करोड़ लोगों के 86,000 करोड़ रुपये खतरे में, सरकार ने SFIO से जांच के लिए लिखा

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नई दिल्ली- 2012 से 2014 के दौरान जब सुप्रीम कोर्ट ने सहारा ग्रुप की दो कंपनियों को जमाकर्ताओं के साथ धोखाधड़ी का दोषी पाया था और उसके प्रमुख सुब्रत रॉय की गिरफ्तारी हुई थी, उस समय भी ग्रुप ने तीन नई सहकारी समितियां शुरू कीं और उसके नाम पर करीब 4 करोड़ जमाकर्ताओं से 86,673 करोड़ रुपये के रकम वसूल लिए। अब सहकारी समितियों के केंद्रीय रजिस्ट्रार ने कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय को इस मामले में आम जनता की गाढ़ी कमाई गायब होने की गंभीर आशंका के मद्देनजर सीरियस फ्रॉड इंवेस्टिगेशन ऑफिस से इसकी जांच कराने को कहा है। फिलहाल सहारा की इन चारों सहकारी समितियों में नई जमा पर रोक लगा दी गई है।

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Sahara Group का एक और बड़ा फ्रॉड,4 करोड़ लोगों के 86,000 करोड़ रुपये खतरे में | वनइंडिया हिंदी
सहारा ग्रुप की 4 सहकारी समितियां संदेह के घेरे में

सहारा ग्रुप की 4 सहकारी समितियां संदेह के घेरे में

सहारा ग्रुप एक बार फिर से बड़ी आर्थिक अनियमितताओं के आरोपों में सुर्खियों में आ गया है। इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक जिस समय सहारा ग्रुप पर संकट की शुरुआत हुई थी और उसके प्रमुख सुब्रत रॉय तिहाड़ जेल भेज दिए गए थे, उस दौरान भी यह ग्रुप लोगों के पैसे के साथ कथित तौर पर खिलवाड़ में लगा हुआ था। इस ग्रुप ने उस समय तीन-तीन सहकारी समितियां शुरू किए थे। इनके इलावा एक सहकारी समिति 2010 में भी बनाई गई थी। लेकिन, अब सरकार ने इनके जरिए जमा की जनता की गाढ़ी कमाई की सुरक्षा पर संदेह जताते हुए नई जमाओं पर रोक लगा दी है और बहुत बड़े पैमाने पर अनियमितताओं की आशंका में जांच की दिशा में पहल शुरू कर दी है।

4 करोड़ लोगों से 86,673 करोड़ रुपये जुटाए

4 करोड़ लोगों से 86,673 करोड़ रुपये जुटाए

रेगुलेटर के मुताबिक सहारा ने अपनी इन चारों सहकारी समितियों के द्वारा जमा की गई कुल 86,673 करोड़ रुपये की राशि में से कम से कम 62,643 करोड़ रुपये महाराष्ट्र के लोनावला स्थित एंबी वैली प्रोजेक्ट में निवेश किया। यह वही चर्चित प्रोजेक्ट है जिसे 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने अटैच कर लिया था, लेकिन जब जमाकर्ताओं के पैसे वापस करने के लिए इस प्रॉप्रटी को नीलाम करने की कई कोशिशें नाकाम साबित हुईं तो फिर 2019 में इसे रिलीज कर दिया गया। सहारा की ये चारों संदिग्ध सहकारी समितियों के नाम हैं- सहारा क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड (2010), हमारा इंडिया क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड, सहारियन यूनिवर्सल मल्टीपरपस सोसाइटी लिमिटेड और स्टार्स मल्टीपरपस कोऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड।

एसएफआईओ से जांच कराने की पहल

एसएफआईओ से जांच कराने की पहल

बीते 18 अगस्त को केंद्रीय कृषि मंत्रालय के संयुक्त सचिव विवेक अग्रवाल ने सहारा ग्रुप से जुड़ी इन सहकारी समितियों की जांच सीरियस फ्रॉड इंवेस्टिगेशन ऑफिस (SFIO) से करवाने के लिए कॉर्पोरेट अफेयर्स मंत्रालय को लिखा है। बता दें कि विवेक अग्रवाल सहकारी समितियों के केंद्रीय रजिस्ट्रार भी हैं। रेगुलेटर के रिकॉर्ड के मुताबिक सहारा क्रेडिट कोऑपरेटिव ने करीब 4 करोड़ जमाकर्ताओं से 47,254 करोड़ रुपये जुटाए और उसमें से 28,170 करोड़ रुपये एंबी वैली में निवेश किया। सहारियन यूनिवर्सल ने 3.71 करोड़ जमाकर्ताओं से करीब 18,000 करोड़ रुपये जमा किए और 17,945 करोड़ रुपये निवेश किया, हमारा इंडिया ने 1.8 करोड़ लोगों से 12,958 करोड़ रुपये जुटाए और 19,255 करोड़ रुपये निवेश किया और स्टार्स मल्टीपरपस ने 37 लाख जमाकर्ताओं से 8,470 करोड़ रुपये जमा किए और एंबी वैली में 6,273 करोड़ रुपये निवेश किया।

चारों सहकारी समितियों पर जमा लेने पर रोक

चारों सहकारी समितियों पर जमा लेने पर रोक

कॉर्पोरेट मंत्रालय को भेजे खत में अग्रवाल ने कहा है कि सहारा गुप्र से जुड़ी चारों समितियों से एंबी वैली में लेनदेन से 'बनावटी लाभ' की बात सामने आती है, जबकि इनके शेयरों की लेनदेन ग्रुप के अंदर ही किए गए हैं। फिलहाल रजिस्ट्रार ने चारों संदिग्ध सहकारी समितियों में लोगों के पैसे जमा करने पर पाबंदी लगा दी है। खत में स्पष्ट रूप से लिखा गया है कि देश के करोड़ों नागरिकों की गाढ़ी कमाई के इन सहकारी समितियों में जमा होने से उसके सुरक्षित रहने पर गंभीर खतरा पैदा हो गया है। क्योंकि, यह रकम अब सहारा गुप्र की कंपनियों खासकर एंबी वैली की मर्जी के भरोसे है, इसलिए जनता के हित में जांच उचित है। उधर सहारा ग्रुप ने दावा किया है कि उसकी समितियां आम जनता से पैसे नहीं लेतीं, बल्कि सारे उसके सदस्य हैं, जिन्हें वोटिंग राइट्स भी है। यही नहीं उसने सहकारी समितियों से जुड़े किसी भी नियम का उल्लंघन नहीं किया है।

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English summary
86,000 crore rupees of 4 crore people deposited in Sahara group at high risk
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