Aadhaar से हुआ खुलासा, देश भर के कई विश्वविद्यालयों में पढ़ा रहे 80 हजार फर्जी शिक्षक
नई दिल्ली। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालयय ने आधार के माध्यम से देश के कई कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में करीब 80 हजार ऐसे शिक्षकों का पता लगाया है जो वास्तव में हैं ही नहीं। इस बात की जानकारी खुद मानव संसधान विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने एक कार्यक्रम में दी। उन्होंने कहा कि कोई भी फर्जी शिक्षक केंद्रीय विश्वविद्यालय का नहीं है। जावड़ेकर ने कहा कि कुछ ऐसे शिक्षक हैं कि जो प्रॉक्सी तरीका अपना कर, कई जगहों पर फुलटाइम पढ़ा रहे हैं। आधार शुरू होने के बाद ऐसे 80 हजार शिक्षकों की पहचान हुई है और उनके खिलाफ कार्रवाई का विचार किया जाएगा। जावड़ेकर ने कहा कि केंद्रीय विश्वविद्यालयों में तो ऐसे शिक्षक नहीं पाए गए लेकिन राज्य और निजी विश्वविद्यालयों में ऐसे शिक्षक हैं। मंत्रालय ने सभी विश्वविद्यालयों से उनके यहां कार्यरत कर्मचारियों और छात्रों से आधार नंबर मांगने के लिए कहा है ताकि कोई फर्जीवाड़ा ना हो सके।
आधार डेटा लीक होने की खबर
इन सब के बीच आधार कार्ड्स के डेटा लीक होने की बातें भी सामने आ रही हैं। इस बात का खुलासा अंग्रेजी अखबार द ट्रिब्यून ने अपनी रिपोर्ट में किया है। ट्रिब्यून ने एक ऐसे एजेंट के बारे में पता लगाया है जो सिर्फ 500 रुपये में करोड़ों लोगों के आधार की जानकारी दे रहा है। द ट्रिब्यून ने एक गुमनाम विक्रेता से व्हाट्सऐप के जरिये ऐसी सर्विस खरीदी जिससे उसे देश के 100 करोड़ से अधिक आधार संख्याओं के बारे में जानकारी मिली।
एजेंट को दिए पैसे
ट्रिब्यून की टीम ने इसके लिए केवल 500 रुपये दिए। ये पैसे एजेंट को पेटीएम के जरिये दिए गए और 10 मिनट के अंदर ही उन्हें लॉग-इन-पास्वर्ड के लिए गेटवे दे दिया गया। पोर्टल में किसी भी आधार नंबर डालकर उसके बारे में सारी जानकारी निकाली जा सकती थी। दूसरी चौंकाने वाली बात ये है कि इन आधार कार्ड की जानकारी प्रिंट करवाने का भी एक्सेस एजेंट ने दिया। प्रिंट करवाने के लिए ट्रिब्यून को कवल 300 रुपये देने पड़े। यानि 800 रुपये में देश के करोड़ों लोगों के आधार की जानकारी लीक की जा रही है। आधार में व्यक्ति का नाम, पता, फोटो, फोन नंबर, पिन कोड और ईमेल की जानकारी होती है।
UIDAI के अधिकारी ने कहा...
इस बारे में अखबार ने जब UIDAI से बात की तो हैरान रह गए। चंडीगढ़ में UIDAI के रिजनल एडिशनल डायरेक्टर-जनरल ने माना कि ये राष्ट्रीय सुरक्षा को एक बड़ा खतरा है। उन्होंने तुरंत संज्ञान लेते हुए इसके बारे में बैंगलोर स्थित तकनीकी सलाहकारों को बताया। संजय जिंदल ने बताया कि उनके और डायरेक्टर-जनरल के अलावा पंजाब में किसी भी तीसरे व्यक्ति को आधिकारिक वेबसाइट का एक्सेस नहीं है।
सुरक्षित है डेटा!
द ट्रिब्यून की जांच के अनुसार ये रैकेट लगभग छह महीने पहले एक व्हाट्सऐप पर शुरू हुआ था। इन ग्रुप्स ने विलेज-लेवल एंटरप्राइज ऑपरेटरों को अपना टारगेट बनाया जो देशभर में कॉमन सर्विस सेंटर्स स्कीम (CSCS) के तहत आईटी मंत्रालय द्वारा हायर किए गए थे। हालांकि UIDAI ने इस बात का खंडन किया है और लोगों को आश्नवासन दिलाया है कि उनकी जानकारी पूरी तरह सुरक्षित है।