पीपीए के 33 विधायक भाजपा में हुए शामिल, बचे सिर्फ 10 विधायक
अरुणाचल प्रदेश की राजनीति में भूचाल आया है। पीपल्स पार्टी ऑफ अरुणाचल प्रदेश के 33 विधायक भाजपा में शामिल हो गए हैं, जिसके बाद से पार्टी के पास कुल 60 में से महज 10 विधायक बचे हैं।
ईटानगर। पीपल्स पार्टी ऑफ अरुणाचल प्रदेश (पीपीए) के 33 विधायकों ने भाजपा का दामन थाम लिया है। इन 33 विधायकों के भाजपा में शामिल हो जाने के बाद अब पीपीए के पास कुल 60 में से सिर्फ 10 विधायक बचे हैं। शुक्रवार को ही भाजपा के समर्थन से सरकार चलाने वाली पीपीए पार्टी ने अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से निलंबित कर दिया था। इनके साथ-साथ 6 अन्य सदस्यों को भी निलंबित किया गया था। यह निलंबन अस्थाई तौर पर किया गया था। इस निलंबन के साथ ही पार्टी ने उनसे सभी वैधानिक फैसले लेने के अधिकार भी छीन लिए थे। पार्टी ने यह कदम अनुशासनात्मक कार्रवाई के चलते उठाया था।
देश
की
दो
पार्टियों
में
आया
भूचाल
पार्टी
ने
सीएम
खांडू
के
अलावा
डिप्टी
सीएम
चोवना
मेन
और
पांच
अन्य
विधायकों
को
भी
पार्टी
की
प्राथमिक
सदस्यता
से
निलंबित
कर
दिया
है।
पार्टी
अध्यक्ष
काहफा
बेंजिया
ने
विधानसभा
अध्यक्ष
को
चिट्ठी
लिखकर
कार्रवाई
की
जानकारी
दी।
उन्होंने
बताया
कि
मुख्यमंत्री
और
छह
अन्य
के
खिलाफ
अनुशासनात्मक
कार्रवाई
की
गई
है।
शुक्रवार
के
दिन
देश
के
दो
राज्यों
की
सरकारों
में
भूचाल
आया
था।
अरुणाचल
प्रदेश
के
अलावा
उत्तर
प्रदेश
की
राजनीति
ने
भी
शुक्रवार
को
करवट
ली
थी।
शुक्रवार
को
समाजवादी
पार्टी
से
उत्तर
प्रदेश
के
मुख्यमंत्री
अखिलेश
यादव
और
पार्टी
महासचिव
राम
गोपाल
यादव
को
भी
पार्टी
से
6
साल
के
लिए
निकाल
दिया
गया
था।
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पढ़ें-
मुलायम
ने
अखिलेश
यादव
को
सपा
से
निकाला
तो
टंकी
पर
चढ़ा
युवक
इसी
साल
जुलाई
में
बने
थे
मुख्यमंत्री
पेमा
खांडू
इसी
साल
17
जुलाई
को
अरुणाचल
प्रदेश
के
मुख्यमंत्री
बने
थे।
यह
पद
संभालने
वाले
वह
देश
के
सबसे
युवा
सीएम
थे।
उनसे
पहले
यूपी
के
मुख्यमंत्री
अखिलेश
यादव
इस
लिस्ट
में
सबसे
आगे
थे।
पेमा
खांडू
राज्य
के
दिवंगत
मुख्यमंत्री
दोरजी
खांडू
के
बेटे
हैं।
खांडू
से
पहले
नवाम
तुकी
अरुणाचल
के
मुख्यमंत्री
थे।
इससे
पहले
राज्य
की
सियासत
में
बड़ा
संकट
तब
खड़ा
हुआ
था
जब
खांडू
समेत
कांग्रेस
के
43
विधायकों
ने
पार्टी
को
अलविदा
कह
दिया
था।
उस
वक्त
ये
सभी
नेता
पीपल्स
पार्टी
ऑफ
अरुणाचल
में
शामिल
हुए
थे।
बीजेपी
के
समर्थन
वाली
पीपीए
में
इन
नेताओं
के
आने
के
बाद
दो
गुट
बनने
लगे
थे।