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गरीबी से तंग आकर जान देने के लिए मिट्टी खाना शुरू किया, 100 वर्ष की उम्र में भी हैं जिंदा

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Jharkhand: 100 years old man हर दिन खाता है मिटटी, फिर भी है जिंदा | वनइंडिया हिंदी

नई दिल्ली। देश में गरीबी के आलम का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि आजादी के इतने साल बाद भी एक बुजुर्ग मिट्टी खाकर खाने को मजबूर है। झारखंड के साहिबगंज में 100 वर्ष की आयु में भी एक वृद्ध पुरुष मिट्टी खाकर जिंदा रह रहा है। हालांकि उन्होंने शुरुआत में गरीबी और मजबूरी की वजह से मिट्टी खानी शुरू की थी, लेकिन समय के साथ उन्हें मिट्टी खाने की आदत पड़ गई और आज भी वह मिट्टी खाकर जिंदा रहते हैं।

गरीबी की वजह से खाना शुरू किया

गरीबी की वजह से खाना शुरू किया

कारू का कहना है कि उनका जन्म 1919 में हुआ था और 11 वर्ष की आयु से उन्होंने मिट्टी खाना शुरू कर दिया ,जिसके बाद उन्हें इसकी आदत पड़ गई। वह कहते हैं कि मैं अपनी गरीबी से काफी व्यथित था, मुझे अपने 10 बच्चों को पालना था, मैं मर जाना चाहता था, इस वजह से मैंने मिट्टी खानी शुरू कर दी, लेकिन बाद में मुझे इसकी आदत पड़ गई और खुद को इससे दूर नहीं कर सका।

पूरी तरह से फिट हैं

पूरी तरह से फिट हैं

कारू के बड़े बेटे सियाराम का कहना है कि हमने कई बार उन्हें रोकने की कोशिश की लेकिन वह हमारी नहीं सुनते हैं, वह मिट्टी के टुकड़े उठाते हैं और उसे खाना शुरू कर देते हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि अपनी इस आदत के बाद भी कारू पूरी तरह से स्वस्थ्य हैं। उन्हें 2015 में बिहार सरकार ने सम्मानित भी किया था। झारखंड के साहिबगंज में रहने वाले वीरू पासवान का कहना है कि वह अब मिट्टी खाए बिना नहीं रह सकते हैं, उन्होंने बताया कि जब उनकी उम्र महज 11 वर्ष की थी तो उन्होंने गरीबी की वजह से मिट्टी खानी शुरू कर दी थी, लेकिन बाद में उन्हें इसकी आदत पड़ गई। आपको बता दें कि इससे पहले भी झारखंड में भूख के चलते पिछले वर्ष लोगों की मौत हो गई थी, जिसको लेकर विपक्ष ने सरकार को कटघरे में खड़ा किया था।

पहले भी हो चुकी है मौत

पहले भी हो चुकी है मौत

पिछले वर्ष 11 साल की मासूम की भूख की वजह से मौत हो गई थी, बच्ची की मां का आरोप था कि उसके पास आधार कार्ड नहीं था जिसकी वजह से राशन की दुकान पर उन्हें राशन नहीं मिला और भूख की वजह से बच्ची की मौत हो गई। इससे पहले भी इस तरह के कई मामले सामने आए थे लेकिन हर बार सरकार की ओर से इन मौतों की वजह भूख मानने से इनकार कर दिया गया था।

English summary
100 year old Karu Paswan says I can not live without eating mud. He has started eating mud because of poverty.
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