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क्या है हिंडनबर्ग रिसर्च, जिसने डुबो दिए अडानी के खरबों

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गौतम अडाणी

भारत के सबसे धनी व्यक्ति गौतम अडानी की कंपनियों के शेयरों में बुधवार को भारी गिरावट आई, जब अमेरिकी रिसर्च ग्रुप हिंडनबर्ग ने ऐलान किया कि वह इस कंपनी में अपनी हिस्सेदारी बेच रहा है. हिंडनबर्ग रिसर्च ने एक रिपोर्ट जारी की है जिसमें अडानी ग्रुप पर कई गंभीर आरोप लगाए गए हैं.

रिपोर्ट में कहा गया है कि अडानी ग्रुप के ऊपर कर्ज बहुत ज्यादा है जिसके कारण उसकी कंपनियों की स्थिरता पर संदेह है. यह रिपोर्ट कहती है कि अडानी ग्रुप ने टैक्स हेवन माने जाने वाले देशों का अनुचित इस्तेमाल भी किया है.

'अडानी ग्रुपः हाउ द वर्ल्ड थर्ड रिचेस्ट मैन इज पुलिंग द लारजेस्ट कॉन इन कॉरपोरेट हिस्ट्री' नाम की यह रिपोर्ट 27 जनवरी से सिर्फ दो दिन पहले जारी हुई है जब गौतम अडानी की कंपनी शेयर बाजार में सेकेंड्री शेयर जारी करने वाली है. इसके जरिए ग्रुप को 2.5 अरब डॉलर जुटाने की उम्मीद है जिससे कुछ कर्ज उतारा जाएगा.

क्या है हिंडनबर्ग?

अमेरिकी निवेश कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च को नेट एंडरसन नामक उद्योगपति ने स्थापित किया है. इस कंपनी का दावा है कि वह फॉरेंसिक फाइनेंशल रिसर्च में विशेषज्ञता रखती है और उसके पास निवेश का दशकों का अनुभव है. अपनी वेबसाइट पर कंपनी कहती है, "हम निवेश करने के अपने फैसलों के लिए मूलभूत विश्लेषण को आधार बनाते हैं, लेकिन हम असामान्य सूत्रों से मिली ऐसी जानकारियों के आधार पर शोध करने में यकीन करते हैं जिन्हें खोजना मुश्किल होता है."

हिंडनबर्ग रिसर्च इस तरह की कार्रवाइयों से पहले भी कई कंपनियों के शेयरों के भाव गिरा चुका है. 2020 में उसने अमेरिकी ट्रक निर्माता कंपनी निकोला और सोशल मीडिया कंपनी ट्विटर में भी अपनी हिस्सेदारी बेची थी, जिससे दोनों कंपनियों के शेयरों के भावों में खासी गिरावट आई थी. 2016 से अब तक हिंडनबर्ग रिसर्च ने दर्जनों ऐसी कंपनियों के बारे में रिपोर्ट प्रकाशित की हैं और उनकी कथित धोखाधड़ी उजागर की है.

कंपनी का नाम हिंडनबर्ग भी एक विशेष मकसद से रखा गया है. वेबसाइट के मुताबिक यह एक ऐसी त्रासदी पर आधारित है जिसे पूरी तरह से टाला जा सकता था. 6 मई 1937 लगभग सौ लोगों को लेकर जा रहा हिंडनबर्ग एयलाइंस का एक विमान अमेरिका के न्यू जर्सी में मैनचेस्टर कस्बे में हादसे का शिकार हो गया था. इस घटना में 37 लोगों की मौत हो गई थी.

अडानी ग्रुप को बताया सबसे बड़ा फ्रॉड

हिंडनबर्ग ने अडानी पर अपनी रिपोर्ट में ग्रुप की गतिविधियों पर गंभीर सवाल उठाए हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि अडानी ग्रुप ने विदेशों में बनाई अपनी कंपनियों का इस्तेमाल टैक्स बचाने के लिए किया है. रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि मॉरिशस और कैरेबियाई द्वीपों जैसे टैक्स हेवन में बनाई गईं कई बेनामी कंपनियां हैं जिनके पास अडानी की कंपनियों में हिस्सेदारी है.

उसने यह भी कहा है कि अडानी की शेयर बाजारों में सूचीबद्ध कंपनियों पर "भारी कर्ज" है जिसने पूरे ग्रुप को एक "अस्थिर वित्तीय स्थिति" में डाल दिया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि अडानी ग्रुप की सात सूचीबद्ध कंपनियों के "आसमान से ऊंचे मूल्यांकन" के कारण उनके शेयरों की कीमत मूलभूत आधार से 85 प्रतिशत तक ज्यादा हैं.

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हिंडनबर्ग का कहना है कि उसकी रिपोर्ट दो साल तक चली रिसर्च के बाद तैयार हुई है और इसके लिए अडानी ग्रुप में काम कर चुके पूर्व अधिकारियों के साथ-साथ कई अन्य लोगों से भी बात की गई है और कई दस्तावेजों को आधार बनाया गया है.

31 मार्च 2022 को खत्म हुए वित्त वर्ष में अडानी ग्रुप पर कर्ज 40 प्रतिशत बढ़कर 2.2 खरब रुपये हो गया था. रेफिनिटिव ग्रुप द्वारा जारी डेटा दिखाता है कि अडानी ग्रुप की सात सूचीबद्ध कंपनियों पर कर्ज उनके इक्विटी से ज्यादा है. अडानी ग्रीन एनर्जी पर तो इक्विटी से दो हजार प्रतिशत ज्यादा कर्ज है.

अडानी ग्रुप ने क्या कहा?

हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट पर अडानी ग्रुप ने तीखी प्रतिक्रिया दी है. कंपनी के चीफ फाइनेंशल ऑफिसर जुगेशिंदर सिंह ने एक बयान जारी कर कहा कि यह रिपोर्ट "चुनिंदा गलत सूचनाओं और निराधार व यकीन ना किए जाने लायक आरोपों का एक दुर्भावनापूर्ण मिश्रण है."

उन्होंने रिपोर्ट में लगाए गए किसी आरोप पर तो जवाब नहीं दिया लेकिन कहा कि उनकी कंपनी "हमेशा कानूनों का पालन करती है." उन्होंने रिपोर्ट आने के वक्त पर सवाल उठाए और कहा, "इस रिपोर्ट का इस वक्त आना निष्पक्षता के नियम का बेशर्म उल्लंघन है और दिखाता है कि अडानी इंटरप्राइजेज के पब्लिक ऑफरिंग को नुकसान पहुंचाने के मकसद से अडानी ग्रुप की छवि को धक्का पहुंचाने की दुर्भावना के चलते ऐसा किया गया है."

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यह रिपोर्ट आने के बाद अडानी ग्रुप की कई कंपनियों के शेयरों में बड़ी गिरावट देखी गई. अडानी ट्रांसमिशन के शेयर नौ फीसदी तक गिर गए. अडानी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकनॉमिक जोन के शेयरों में 6.3 प्रतिशत की कमी आई जबकि अडानी इंटरप्राइजेज 1.5 फीसदी नीचे गिरी. इस रिपोर्ट के कारण अडानी ग्रुप के कुल मार्किट मूल्यांकन में 10.73 अरब डॉलर का नुकसान दर्ज हुआ.

पिछले सितंबर में फिच ग्रुप ने भी अडानी ग्रुप को लेकर ऐसी ही रिपोर्ट जारी की थी जिसमें उसके वित्तीय आधारों पर सवाल उठाए गए थे. हालांकि बाद में उसने कुछ आंकड़ों में बदलाव किया था लेकिन कहा था कि अडानी ग्रुप को लेकर वह अपनी चिंताओं पर कायम है.

रिपोर्टः विवेक कुमार (रॉयटर्स)

Source: DW

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English summary
hindenburg-shorts-indias-adani-citing-debt-accounting-concerns-shares-plunge
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