राष्ट्रपति कोविंद ने यूनिवर्सिटी की डिग्री लेने से मना किया, कहा - मैं इसके काबिल नहीं!
शिमला। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अपने हिमाचल प्रवास के दूसरे दिन सोलन जिला के नौणी यूनिवर्सिटी की मानद उपाधि लेने से मना कर दिया। यूनिवर्सिटी के कार्यक्रम में पहुंचे कोविंद ने डिग्री लेने से इनकार करते हुए कहा कि मैं आपकी भावनाओं की कद्र करता हूं लेकिन इस उपाधि के काबिल नहीं हूं। कोविंद को नौणी यूनिवर्सिटी की डॉक्टर ऑफ साइंस मानद उपाधि से सम्मानित किए जाने का कार्यक्रम था।
राष्ट्रपति के औपचारिक टूअर प्रोग्राम में भी इसे शामिल किया गया था। तय कार्यक्रम के मुताबिक राष्ट्रपति को आज ये मानद उपाधि दी जानी थी। कोविंद विश्वविद्यालय के कार्यक्रम में शामिल होने के लिए तयशुदा कार्यक्रम से 15 मिनट पहले पहुंच गए थे। छात्रों को संबोधित करते हुए उन्होंने साफ कह दिया कि वे इस काबिल नहीं हैं कि डॉक्टर की उपाधि ले सकें। उन्होंने कहा कि लगभग 30 वर्ष पहले, सन 1988 में मेरे पूर्ववर्ती राष्ट्रपति श्री आर. वेंकटरमण इस विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में आए थे। लिहाजा वह होनहार विद्यार्थियों के बीच आकर प्रसन्नता अनुभव कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि सोलन क्षेत्र में आकर यहां के निवासी और हिमाचल प्रदेश के निर्माता कहे जाने वाले डॉक्टर यशवंत सिंह परमार का सहज ही स्मरण होता है। साथ ही सोलन क्षेत्र के ही एक साधारण ग्रामवासी बाबा भलकू के असाधारण योगदान की याद आती है। जैसा कि सभी जानते हैं कि शिमला में 'बाबा भलकू रेल म्यूजियम' की स्थापना की गई है। यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल 112 वर्ष पुरानी कालका-शिमला रेलवे लाइन को बिछाने में ब्रिटिश इंजीनियरों को सफलता नहीं मिल पा रही थी। यहां की दुर्गम पहाड़ियों में बाबा भलकू ने रेल ट्रैक का रास्ता सुझाया। ब्रिटिश इंजीनियरों ने भी उनके सुझावों को सम्मानपूर्वक स्वीकार किया। यह आधुनिक शिक्षा और स्थानीय जानकारी के प्रभावी संगम का भी अच्छा उदाहरण है।
हिमाचल प्रदेश का यह प्राचीन क्षेत्र उपयोगी परंपरागत ज्ञान का भंडार माना जाता है। कृषि क्षेत्र के विद्यार्थियों के लिए आधुनिक ज्ञान और स्थानीय समझ का समन्वय और भी अधिक उपयोगी सिद्ध होगा। 'डॉक्टर यशवंत सिंह परमार विश्वविद्यालय' को एशिया का पहला हॉर्टिकल्चर विश्वविद्यालय होने का गौरव प्राप्त है। इस विश्वविद्यालय में शिक्षा प्राप्त करने के लिए हिमालय-क्षेत्र के दूसरे राज्यों से भी अनेक विद्यार्थी आते हैं। इतने ऊंचे पहाड़ी इलाकों में किसानों के लिए हार्टिकल्चर और फोरेस्ट्री का विशेष महत्व होता है। यहाँ की भौगोलिक परिस्थितियों में खेती की पद्धति और तकनीक भी अलग होती है। पिछले लगभग तीन दशकों के दौरान राज्य में हार्टिकल्चर और फोरेस्ट्री के विकास में इस विश्वविद्यालय का सराहनीय योगदान रहा है। इन उपलब्धियों के लिए विश्वविद्यालय से जुड़े सभी लोग बधाई के पात्र हैं।