हिमाचल प्रदेश: हादसे के वो बड़े कारण जिसने छीन ली 27 मासूमों की जिंदगियां
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कांगड़ा। कांगड़ा जिला के नूरपूर इलाके के वजीर राम सिंह पठानिया मेमोरियल पब्लिक हाईस्कूल के बच्चों के मलकवाल-ठेहड़ मार्ग पर चेली में हुए दर्दनाक सड़क हादसे ने हर किसी को झकझोर कर रख दिया है। नूरपुर के सिविल अस्पताल के बाहर सैकड़ों लोगों का तांता लगा हुआ है। यहां मारे गए स्कूली बच्चों के शव रखे गए हैं। पोस्टमार्टम के बाद इन्हें परिजनों को सौंपा जाएगा। इस दर्दनाक वारदात के बाद इससे पूरे इलाके में लोग अपने आंसूओं को थाम नहीं पा रहे हैं। इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने बस हादसे पर दुख जताया है। जानिए बड़े कारण जिनकी वजह से हुआ ये बड़ा सड़क हादसा...
ड्राइवर पर था स्कूल प्रबंधन का दबाव
ओवरलोडिंग व तेज गति ने कई घरों के चिराग बुझा कर रख दिए। मारे गए ज्यादातर बच्चे पांच से 14 साल के बीच के बताए जा रहे हैं। बताया जा रहा है कि बस चालक पर स्कूल प्रबंधन का दवाब था कि वह बच्चों को छोडकर दोबारा आए व दूसरे गंतव्य पर फिर बस को लेकर जाए। बस में करीब साठ बच्चे ठूंस-ठूंस कर भरे गए थे। स्कूल से महज छह किलोमीटर ही बस चली थी कि हादसे का शिकार हो गई व 26 बच्चे मौत के मुंह में समा गए साथ ही मारे गए दो अध्यापक भी स्कूल से ही बस से चढ़े थे, जबकि एक महिला रास्ते में चढ़ी थी। वह भी बस चालक सहित मारी गई। तीन बच्चे अभी पबानकोट अस्पताल में दाखिल हैं। उनकी हालत भी नाजुक बताई जा रही है।
दस साल के बच्चे ने दिखाई हिम्मत
हादसे में जीवित बचा दस साल का रणवीर सिंह वह बहादुर बच्चा था जिसने कई और जिंदगियों को बचाने में अहम रोल अदा किया। रणवीर सिंह घायल होते हुए भी पहाड़ी को चढ़ कर सडक पर पहुंचा और घटना की सूचना स्थानीय लोगों को दी और इसके बाद ही राहत व बचाव कार्य शुरू हो पाया। बस हादसे की जगह से लेकर नूरपुर अस्पताल परिसर मृतक बच्चों के परिजनों की चीख-पुकार से गूंज रहा है। हादसे के बाद एक-एक करके जब गाडियों में भरकर बच्चों को लाया गया तो चेली क्षेत्र से अस्पताल तक खून ही खून था। घटना स्थल तथा अस्पताल परिसर में अपने-अपने बच्चों की सलामती की दुआ करते परिजन उस समय सिहर उठते थे, जब उनके सामने उनके बच्चों को चिकित्सक मृतक घोषित कर रहे थे।
20 मीटर और चल जाती बस तो बच जाती कई जिंदगियां
नूरपुर के चेली में हुए बस हादसे में 4 ऐसे मासूम भी थे, जिन्होंने मात्र 20 मीटर ही आगे उतरना था और उनके परिजन उनकी प्रतीक्षा कर रहे थे। घटना स्थल पर मौजूद स्थानीय लोगों की मानें तो जैसे ही बस नीचे गिरी, उक्त 20 मीटर की दूरी पर खड़े परिजन घटना स्थल पर पहुंचे और चिल्लाने लगे कि कोई उनके बच्चों को बचाए। इस बस हादसे में एक महिला भी मौत का शिकार हुई है, जो लिफ्ट लेकर बस में सफर कर रही थी। जानकारी अनुसार बस चालक पूर्व सैनिक था तथा पिछले 12 साल से उसी स्कूल की बस चला रहा था। स्कूल के मालिक दलजीत पठानिया से जब बात की गई तो उन्होंने कहा कि उनको कुछ पता नहीं चला कि यह क्या हो गया। उन्होंने कहा कि फिलहाल वह इस समय कुछ कहने की दशा में नहीं हैं। वहीं प्रिंसिपल सुनीता कुमारी ने बताया कि पहली से लेकर दसवीं में पढने वाले बच्चे बस में थे।
स्पीड गवर्निंग डिवाइस थी या नहीं इस बात की जांच की जा रही है
आ.टी.ओ. की माने तो जिला कांगड़ा में जब भी स्कूल बसों की पासिंग होती है तो बस में स्पीड गवर्निंग यंत्र का होना अनिवार्य रखा गया है। स्पीड गवर्निंग यंत्र के चलते स्कूली बसों की अधिकतम गति 40 किलोमीटर प्रति घंटा रहती है तथा इस यंत्र को लगाने से गति 40 किलोमीटर प्रति घंटा के आगे नहीं जा सकती है। आर.टी.ओ. की मानें तो यह यंत्र इसलिए स्थापित किया जाता है ताकि नौनिहालों की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ न हो। नूरपुर में हुए इस हादसे की भी जांच की जाएगी कि बस में स्पीड गवर्निंग सिस्टम सही था या गलत और बस कितने स्पीड में चल रही थी। वहीं स्कूल बसों में यह प्रावधान भी उनकी सुरक्षा के मध्य रखा गया है कि 12 साल के नीचे के बच्चों के लिए एक बच्चे पर डेढ़ सीट का प्रावधान है और 12 साल से ऊपर के बच्चों के लिए एक सीट पूरी ही मानी जाएगी।
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