कसौली गोलीकांड में पुलिस की नाकामी के बाद अब डीजीपी की विदाई लगभग तय
शिमला। हिमाचल प्रदेश के डीजीपी सीता राम मरडी की विदाई लगभग तय है। प्रदेश की बिगड़ती कानून व्यवस्था से परेशान भाजपा सरकार जगह प्रदेश पुलिस की कमान आईपीएस संजय कुंडू को सौंपने की तैयारी में है। चूंकि सरकार का विश्वास अपने कार्यकाल के पांच माह में ही वर्तमान डीजीपी खो चुके हैं। 1986 बैच के आईपीएस सीताराम मरडी को भाजपा सरकार ने जनवरी महीने में ही हिमाचल पुलिस के मुखिया की कमान सौंपी थी। इतने संक्षिप्त कार्यकाल में ही मरडी भाजपा सरकार की उम्मीदों पर खरे नहीं उतर पाए हैं। लिहाजा अब उन्हें हटाकर किसी अन्य अफसर को डीजीपी की कमान सौंपी जा सकती है। पुलिस महकमे में चल रही बदलाव की चर्चाओं के बीच प्रदेश सरकार ने भी केंद्र सरकार को चिट्ठी लिखकर प्रदेश कैडर के आईपीएस संजय कुंडू को वापस मांग लिया है। हालांकि उन्हें डीजीपी के तौर पर नियुक्त करने की चर्चा है। लेकिन प्रदेश सरकार ने केंद्र को लिखी चिट्ठी में उन्हें मुख्यमंत्री कार्यालय में बतौर अतिरिक्त प्रधान सचिव तैनात करने का हवाला दिया है। दोनों ही सूरत में वर्तमान डीजीपी के लिए मुश्किलें ही पैदा होंगी।
हिमाचल पुलिस के मुखिया सीताराम मरडी जयराम सरकार के निशाने पर हैं। सीताराम मरडी के डीजीपी बनने के बाद से एक के बाद एक ऐसी घटनाएं हुई हैं, जिससे पुलिस प्रशासन सवालों के घेरे में आ गया। पहले कोटखाई मामले में जेल में बंद शिमला के पूर्व एसपी डीडब्ल्यू नेगी से मुलाकात और फिर कसौली गोलीकांड, इन घटनाओं ने डीजीपी मरडी की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगाया है। हैरानी की बात है कि कोटखाई केस में पूर्व डीजीपी सोमेश गोयल की कथित नाकामी के बाद बड़ी उम्मीदों से सीताराम मरडी को पुलिस की कमान सौंपी गई थी, लेकिन वे सरकार की उम्मीदों पर खरा नहीं उतर पाए हैं।
गुरुवार को कैबिनेट की मीटिंग में कसौली गोलीकांड़ की जांच रिपोर्ट पर चर्चा हुई। उसके बाद सरकार ने डीजीपी को तलब किया और उन्हें ढीली कार्यप्रणाली पर डांट लगाई। बताया जा रहा है कि जयराम सरकार जल्द ही हिमाचल पुलिस का चेहरा बदल सकती है। सीताराम मरढ़ी को हटाकर पुलिस की कमान आईपीएस संजय कुंडू को सौंपी जा सकती है। उनके नाम की चर्चा काफी समय से चल रही है। कुंडू केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर हैं और इसी माह के अंत तक वापिस आएंगे। डीजीपी की कार्यप्रणाली से जयराम सरकार के कई मंत्री भी नाराज बताये जा रहे हैं। शहरी विकास मंत्री सरवीण चौधरी, शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज और उद्योग मंत्री बिक्रम सिंह डीजीपी के रवैये से खुश नहीं हैं। इसी बीच, कसौली गोलीकांड ने तो पुलिस की सुस्त व लापरवाह कार्यप्रणाली की पोल खोलकर रख दी है। इन सारी घटनाओं का ठीकरा डीजीपी के सिर फूट रहा है।
जयराम सरकार डीजीपी की जेल में बंद शिमला के पूर्व एसपी से मुलाकात से खासी नाराज है। हालांकि डीजीपी ने अपने अभी तक के कार्यकाल में पुलिस बल को सक्रिय करने के लिए कुछ कदम भी उठाए हैं, लेकिन वो सरकार का विश्वास नहीं जीत पा रहे। उन्होंने एसपी तक को गश्त लगाने व मासिक रिपोर्ट भेजने के आदेश दिए थे। यही नहीं, उन्होंने थानों-चौकियों के औचक निरीक्षण के भी सभी जिलों के एसपी को निर्देश दिए थे। गुडिय़ा हेल्पलाइन व शक्ति बटन एप लांच किए गए, लेकिन कानून-व्यवस्था की बिगड़ती स्थिति संभालने में मरडी नाकाम रहे। इस कारण विपक्ष को सरकार पर हमला करने का मौका मिला।
कुंडू को वैसे भी मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का करीबी माना जाता है। वीरभद्र सरकार के दौरान एडीजी कानून व्यवस्था रहते हुए संजय कुंडू केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर दिल्ली चले गए थे। वहां वह जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्रालय में संयुक्त सचिव बन गए। इस बीच सूबे में सत्ता बदली और कमान पहली बार मुख्यमंत्री बने जयराम ठाकुर के हाथों में आ गई। जयराम की पहले से संजय कुंडू से नजदीकी मानी जाती है।
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