हिमाचल चुनाव: 101 साल के देश के पहले मतदाता ने किया मतदान, रेड कार्पेट बिछाकर स्वागत
शिमला। हिमाचल प्रदेश के इतिहास में उस समय आज नया पन्ना जुड़ गया, जब देश के पहले मतदाता 101 वर्षीय श्याम शरण नेगी ने किन्नौर जिला में कल्पा के पोलिंग स्टेशन नंबर एक पर मतदान किया। इस अवसर पर चुनाव आयोग ने उनके स्वागत के लिये खास इंतजाम किये थे। प्रशासन ने उनके घर से लेकर पोलिंग स्टेशन तक रेड कार्पेट बिछाकर उनका स्वागत किया। प्रशासन की ओर से नेगी को मतदान करने में कोई परेशानी ना आए, उसके लिए पूरी व्यवस्था की गई थी। उन्हें घर से लाने व वापिस पहुंचाने की विशेष व्यवस्था की गई थी।
मतदान केंद्र पर किया स्वागत
कल्पा मतदान केंद्र के प्रवेश द्वार पर उनका स्वागत किया गया व चुनाव आयोग की ओर से परंपरागत किन्नौरी टोपी, शॉल और स्मृति चिन्ह के साथ उनका सम्मानित किया गया। इस अवसर पर किन्नौर के डीसी नरेश कुमार लठ्ठ व कल्पा के उपसंभागीय मजिस्ट्रेट डॉ. अवनिंदर कुमार मौजूद रहे।
1952 में डाला था पहला वोट
गौरतलब है कि भारत में मतदान की शुरूआत 1952 में हुई थी। हिमाचल प्रदेश में 25 अक्टूबर, 1952 को चुनाव हुए थे क्योंकि बर्फ पड़ने के कारण हिमाचल प्रदेश के उस इलाके में समय से पहले मतदान कराया गया था जिसमें श्याम शरण नेगी ने सबसे पहले मतदान किया था और इस तरह वह स्वतंत्र भारत के पहले मतदाता बन गए थे। उस समय वह कल्पा में चुनाव ड्यूटी पर थे और उसी मतदान केंद्र पर उन्होंने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया था। सौ साल की उम्र पार कर चुके नेगी ने अब तक सभी 16 लोकसभा चुनावों तथा 14 विधानसभा चुनावों में मताधिकार का इस्तेमाल किया है और इस तरह से वह अब तक 31 बार मतदान कर चुके है। आज उन्होंने 32 वीं बार मतदान किया। इन दिनों उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं चल रहा है लेकिन मतदान को लेकर उनके परिवार में भी खासा उत्साह आज दिखाया।
अच्छे नेताओं के लिए करते हैं मतदान
पूर्व प्रधानमंत्री दिवंगत लाल बहादुर शास्त्री के बड़े प्रशंसक नेगी ने कहा कि लोगों को अच्छे नेताओं के लिए मतदान करना चाहिए क्योंकि इससे देश को विकसित होने में मदद मिलेगी। नेगी बताते हैं, 'मुझे अब भी याद है कि जब गिने-चुने स्कूल ही हुआ करते थे और वहां तक पहुंचने के लिए लंबी दूरी तय करनी पड़ती थी। अब तो दूरदराज के इलाकों में भी स्कूल हैं और मुझे सबसे ज्यादा खुशी इस बात से होती है कि लड़कियों की शिक्षा पर जोर दिया जा रहा है जबकि पहले लड़कियों को घर की चारदीवारी में ही रखा जाता था।'
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