शिमला जल संकट: जमीनी हकीकत जानने के लिए सड़क पर उतरे चीफ जस्टिस
शिमला। हिमाचल प्रदेश के शिमला में जल संकट के समाधान और जमीनी हकीकत जानने के लिए हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस संजय करोल आधी रात सड़कों पर उतरे। इस दौरान उन्होंने नगर निगम के रजिस्ट्रेर को चेक किया और टैंकरों के जरिए शहर में सप्लाइ का रिकॉर्ड भी देखा।
शिमला में सरकारी दावों के विपरीत पिछले जल संकट को कोई ठोस समाधान नहीं निकल पाया है। पीने के पानी के लिए हो रही मारामारी के बीच जनता में सरकार व नगर निगम के प्रति आक्रोश बढ़ा है। बिगड़ते हालातों को देखते हुए हिमाचल हाईकोर्ट ने इस मामले का स्वत: संज्ञान लिया और सरकार से जवबा तलब किया। इसी के चलते हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस संजय करोल खुद रात साढ़े 11 बजे से लेकर सुबह तीन बजे तक शिमला की सडक़ों पर रहे।
उन्होंने जमीनी हालातों को परखने के लिए नगर निगम शिला की ओर से स्थापित तीनों कंटरोल रूम की मौका पर जाकर जांच की। सडक़ों पर लोगों से बातचीत की। बताया जा रहा है कि सबसे पहले चीफ जस्टिस रात 12 बजे रिज मैदान पर मुख्य कंटरोल रूम पहुंचे और वहां पानी की सप्लाई के लिए रखे रजिस्ट्रेरों को खुद चेक किया। वहां मौजूद कर्मचारियों से पूरा सिस्टम की जानकारी ली। यहां उन्हें बताया गया कि कैथू में पानी की सप्लाई का दिन तय था। लेकिन उन्हें पानी ही नहीं मिला।
इसके बाद उन्होंने रात को ही डीसी शिमला नगर निगम व आईपीएच के अधिकारियों को तलब किया। उन्होंने अधिकारियों को हालात सुधारने को कहा। उसके बाद करोल संजौली, छोटा शिमला व चौड़ा मैदान तक गए। खास बात यह रही कि उन्होंने सरकारी अधिकारियों को पहले ही दूर रहने की हिदायत दी थी। जिससे उन्हें कई लोग पहचान भी नहीं सके। कई लोगों ने इस दौरान चीफ जस्टिस को पानी की सप्लाई में आ रही दिक्कतों के बारे में बताया।