जानिए, जयराम की कैबिनेट में किसे मिली जगह, मिलिए हिमाचल के नए मंत्रियों से
शिमला: बुधवार को शिमला के ऐतिहासिक रिज मैदान में जय राम ठाकुर हिमाचल प्रदेश के नए मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली। जय राम ठाकुर के साथ ही 11 भाजपा विधायकों ने मंत्री पद की शपथ ली। जयराम ठाकुर के शपथ ग्रहण में शामिल होने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह समेत कई राज्यों के मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री शामिल पहुंचे। नई सरकार में एक महिला कोटे से और एक दलित कोटे से मंत्री बनाए गए हैं।
अनिल शर्मा
कांग्रेस को अलविदा कह कर भाजपा में शामिल हुए अनिल शर्मा को जयराम सरकार में मंत्री पद मिला है। अनिल शर्मा पूर्व केंद्रीय संचार मंत्री पंडित सुख राम के बेटे हैं। मंडी चुनाव क्षेत्र में इस परिवार का अपना जनाधार है। वीरभद्र सिंह की सरकार में अनिल शर्मा पंचायती राज मंत्री रह चुके हैं। लेकिन कांग्रेस पार्टी में चल रही खटपट के चलते उन्होंने भाजपा का दामन थाम लिया था।
सरवीन चौधर
सरवीन चौधरी शाहपुर विधानसभा सीट से चुनाव जीती हैं। वे हिमाचल प्रदेश राज्य विधासभा की सदस्य रह चुकी हैं। कांगड़ा जिले के शाहपुर विधानसभा सीट का प्रतिनिधित्व करती हैं और गुरदेव सिंह की बेटी हैं। उनका जन्म 21 अक्तूबर 1966 में हुआ था। उन्होंने क्लासिकल डांस में एम.ए व योगा, पेंटिंग और कुकरी में डिप्लोमा ले रखा है। उनकी शादी ब्रिगेडियर पवन कुमार से हुई है। उन्होंने अपने पढ़ाई के दौरान नेहरू युवा केंद्र और एनएसएस की गतिविधियों में हिस्सा लिया था। उन्होंने लोकनृत्य में राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्टीय स्तर की प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया है। वह पांच साल तक पंजाब यूनिवर्सिटी में बेस्ट लोकनर्तकी रहीं। न्होंने राजनीति में 1992 में प्रवेश किया था। 1992 से 1994 तक वह BJP की महिला मोर्ता की मंडल प्रधान रही हैं। उन्हें दो बार 1993 और 1998 में विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की थी। वह 2008 से 2012 तक सोशल जस्टिस और एवं एम्पावरमेंट मंत्री रही हैं।
रामलाल मार्कंडेय
रामलाल मार्कंडेय ने हिमाचल की लाहौल स्पीति विधानसभा सीट से चुनाव जीता है। लाहौल स्पीति से रामलाल मार्केंडय 1478 से जीते। रामलाल ने कांग्रेस के रवि ठाकुर को हराया है। मार्कंडेय पत्तन घाटी से आते हैं। रामलाल मार्कंडेय लाहौल के के रहने वाले हैं और यहां पर उनकी मजबूत पकड़ है।
विपिन सिंह परमार
हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव 2017 में भाजपा के उम्मीदवार विपिन सिंह परमार सुलह सीट से चुनाव जीतकर विधायक बने। उनके पिता का नाम कंचन सिंह परमार है। उन्होंने ग्रेजुएशन में बीए और एलएलबी भी किया है। सिंह एक एलआईसी एजेंट और गणपति एसोसिएट के बिजनस पार्टनर हैं। उनके ऊपर किसी भी प्रकार का आपराधिक मामला दर्ज नहीं है। इन्होंने अपने कॉलेज के दिनों में ही ABVP का दामन थामा था। वे 1980 में हिमाचल प्रदेश यूनिवर्सिटी के छात्रसंघ अध्यक्ष भी रहे हैं। वह 8 साल से हिमाचल प्रदेश ABVP के आयोजक सचिव रहे हैं। वह दो बार राज्य बीजेपी के जनरल सेक्रेटरी भी रहे हैं। वर्तमान में वे हिमाचल प्रदेश बीजेपी कांगड़ा चंबा युवा मोर्चा के अध्यक्ष हैं। वह 1999 से 2003 तक हिमाचल प्रदेश के खादी बोर्ड के चेयरमैन रहे हैं।
वीरेन्द्र कंवर
वीरेन्द्र कंवर भाजपा के तेज तर्रार नेताओं में शुमार रहे हैं। वीरेन्द्र कंवर कुटलैहड़ सीट से चुनाव जीते हैं। वीरेन्द्र कंवर शुरू से आरएसएस से जुड़े रहे हैं। नादौन में जन्में 53 वर्षीय कंवर ला ग्रेजूयेट हैं। उन्होंने फार्मेसी में डिप्लोमा कोर्स भी किया है। वे केमिस्ट व किसान रहे हैं। उनका एक बेटा व एक बेटी है। 1981 में हमीरपुर से अपने राजनैतिक सफर की शुरूआत की थी। बाद में वे1993 में ऊना में भाजयुमो के जिला अध्यक्ष बने। 2000 में जिला परिषद में चुने गये। पहली बार 2003 के चुनावों में विधायक चुने गये। दूसरी बार 2007 में व तीसरी बार 2012 का चुनाव उन्होंने जीता।
विक्रम सिंह
हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव 2017 में विक्रम सिंह ने कांग्रेस के प्रत्याशी सुरेंद्र सिंह मनकोटिया को 1862 मतों के अंतर से हराया।विक्रम ठाकुर को राजनीति विरासत में नहीं मिली जसवां के विधायक व्रिकम ठाकुर 28 अगस्त 1964 को जसवां तहसील के जोल गांव में पैदा हुए। विज्ञान स्नातक ठाकुर का एक बेटा व एक बेटी है। पहली बार वह 2003 में जसवां जो अब जसवां परागपुर के नाम से जाना जाता है। विक्रम ठाकुर प्रदेश जनता युवा मोर्चा के उपाध्यक्ष भी रहे हैं। सरकार में खादी बोर्ड और प्रदेश वन निगम के उपाध्यक्ष पद पर भी रहे हैं। उन्हें राजनीति विरासत में नहीं मिली व पहले नौकरी करते थे।
महेंद्र सिंह ठाकुर
हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव 2017 में भाजपा ने धर्मपुर विधानसभा से महेंद्र सिंह ठाकुर को अपना प्रत्याशी घोषित किया था। महेंद्र सिंह के खिलाफ मैदान में कांग्रेस के चंद्र शेखर थे। महेंद्र सिंह ने कांग्रेस के उम्मीदवार चंद्रशेखर को 11964 मतों के अंतर से हराया। एक साधारण परिवार से राजनिति में आकर उन्होंने कई कीर्तिमान स्थापित किये। जिससे आज भी उनका एक बड़ा वर्ग मुरीद है। उन्होंने दल भी बदले,लेकिन चुनाव नहीं हारे। भाजपा और कांग्रेस का इस सीट पर अच्छा वोट बैंक माना जाता है।
गोविंद ठाकुर
जिला कुल्लू की मनाली सीट से गोविंद ठाकुर को राजनिति विरासत में मिली। 49 वर्षीय गोविंद पूर्व मंत्री कुंज लाल ठाकुर के बेटे हैं। कुल्लू में जन्में कृषक, बागवान व ट्रांसपोर्टर गोविन्द कला स्नातक हैं। उनके दो बेटे हैं। शुरू में अपने आरएसएस से जुड़ाव की वजह से वह सामाजिक गतिविधयों में जुड़े रहे। बाद में एबीवीपी व युवा मोर्चा में अपनी सक्रिय भूमिका निभाई। संगठन से जुड़े होने की वजह से उन्हें राजनीति भी भा गई। 2007 में पहली बार कुल्लू विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुने गये। 2012 में मनाली में विधानसभा क्षेत्र से दोबारा विधायक चुने गये। मौजूदा चुनावों में भाजपा ने उन्हें दोबारा टिकट दिया व चुनाव लड़ रहे हैं।
राजीव सैजल
भाजपा के प्रत्याशी राजीव सैजल ने कांग्रेस के उम्मीदवार विनोद सुल्तानपुरी को 442 मतों के अंतर से हराया। कसौली विधानसभा क्षेत्र से जीतकर आए पेशे से डाक्टर राजीव सैजल ने 2012 में कांग्रेस के विनोद सुल्तानपुरी से मात्र 24 मतों के अंतर से चुनाव जीता था। राजनिति में आने से पहले वह आर्युवैदिक मेडिकल प्रेक्टिशनर रहे। व इलाके में मशहूर डाक्टर रहे। वह ग्रेजुएट व बीएएमएस हैं। 46 वर्षीय सैजल का एक बेटा है। उन्होंने 2012 में दूसरी बार चुनाव जीता। कसौली विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र हिमाचल प्रदेश विधानसभा में सीट नंबर 54 है। सोलन जिले में स्थित यह निर्वाचन क्षेत्र अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है।
किशन कपूर
भाजपा ने धर्मशाला विधानसभा क्षेत्र से 2017 के विधानसभा चुनावों के लिए किशन कपूर को टिकट दिया था। धर्मशाला से भाजपा प्रत्याशी किशन कपूर ने कांग्रेस के उम्मीदवार सुधीर शर्मा को 2997 मतों के अंतर से हराया। किशन कपूर राजनीति के पुराने घोड़े हैं। वे चार बार विधायक रह चुके हैं। उन्हें अपने गद्दी सुमदाय से अच्छा खासा समर्थन प्राप्त है। धर्मशाला में करीब 18,000 गद्दी जनजातीय के मतदाता हैं और कपूर अपने समेकित वोट बैंक पर अच्छी पकड़ रखते हैं। अगर किशन कपूर की शिक्षा की बात की जाए तो उन्होंने पंजाब विवि से 12वीं पास किया है।
सुरेश भारद्वज
शिमला सीट से भाजपा के प्रत्याशी सुरेश भारद्वज ने निर्दलीय उम्मीदवार हरीश जनरठा को 1903 मतों से हराया। शिमला से भाजपा उम्मीदवार सुरेश भारद्धाज किस्मत के धनी हैं। इस बार उनका पहले टिकट कटा,लेकिन बाद में फिर मिल गया। अब वह एक बार फिर भाजपा प्रत्याशी के तौर पर चुनाव मैदान में हैं। 65 वर्षीय भारद्धाज बीएससी व ला ग्रेजूयेट हैं। छात्र काल में एबीवीपी से जुड़े रहे। व बाद में राजनिति में आये। 1982 में प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष रहे। उसके बाद 2003 से लेकर 2006 तक फिर भाजपा की कमान उन्होंने संभाली। 1990 में पहली बार विधायक चुने गये। उसके बाद 2007 में फिर विधायक बने। और 2012 में भी उन्होंने शिमला से चुनाव जीता।