PICS: चकाचौंध करने वाली है मैसूर पैलेस की खूबसूरती
बेंगलौर। कर्नाटक के एतिहासिक शहर मैसूर में स्थित अंबा विलास पैलेस की भव्यता सभी को चकाचौंध करती है। खासकर दशहरे में इसका आकर्षण देखते ही बनता है। लाखों की तादाद में इस बार भी लोग मैसूर पैलेस का भव्य नजारा देखने के लिए मैसूर पहुंचे । देश के बाकी हिस्सों में जब दिवाली की तैयारियों का माहौल है, कर्नाटक का शहर मैसूर दस दिन से दिवाली जैसा जगमगा रहा है।
मैसूर का महाराजा पैलेस द्रविड़, पूर्वी और रोमन स्थापत्य कला का अद्भुत संगम है। खासकर त्योहारों के दिनों में और रविवार को जब इसे रंगीन लाइटों से सजाया जाता है तब इसकी सुंदरता और भव्यता में चार चांद लग जाती है। पिछले साल मैसूर राजघराने के राजा कंठदत्ता नरसिम्हराजा वाडियार का निधन हो गया था। लेकिन उनकी कोई संतान नहीं होने के कारण किसी को भी उत्तराधिकारी घोषित नहीं किया गया।
तो फिर बढ़ाइए स्लाइडर और देखिए मैसूर पैलेस का अद्भुत और चकाचौंध करने वाला नजारा।
मैसूर पैलेस
कर्नाटक के एतिहासिक शहर मैसूर में स्थापित अम्बा विलास पैलेस अपनी भव्यता के लिए सबसे आकर्षण का केन्द्र है।
आकर्षक है पैलेस का गुबंद
मैसूर पैलेस द्रविड़, पूर्वी और रोमन स्थापत्य कला का अद्भुत संगम है। नफासत से घिसे सलेटी पत्थरों से बना यह महल गुलाबी रंग के पत्थरों के गुंबदों से सजा है।
दशहरे में सजावट
हर वर्ष दशहरे में इसे रंगीन लाइटों से बहुत ही खुबसूरती के साथ सजाया जाता है। जिसे देखने के लिए लाखों की तादाद में लोग मैसूर आते हैं।
चकाचौंध करने वाली भव्यता
महल में एक बड़ा सा दुर्ग है जिसके गुंबद सोने के पत्तरों से सजे हैं। ये सूरज की रोशनी में खूब जगमगाते हैं।
नवरात्रि में आए 30 लाख लोग
सालभर में यहां करीब 25 लाख सैलानी आते हैं। जबकि सिर्फ इसी नवरात्रि में तीस लाख पहुंचे।
गुड़ियों का संग्रह
यहां 19वीं और आरंभिक 20वीं सदी की गुड़ियों का संग्रह है। इसमें 84 किलो सोने से सजा लकड़ी का हौद भी है जिसे हाथियों पर राजा के बैठने के लिए लगाया जाता था।
राजा कंठदत्ता नरसिम्हराजा वाडियार
पिछले साल मैसूर राजघराने के राजा कंठदत्ता नरसिम्हराजा वाडियार का निधन हो गया था। उनकी कोई संतान नहीं थी। उन्होंने अपना उत्तराधिकारी भी किसी को नहीं बनाया था।
तोपों की सलामी
गोम्बे थोट्टी(गुड़िया घर) के सामने सात तोपें रखी हुई हैं। इन्हें हर साल दशहरा के आरंभ और समापन के मौके पर दागा जाता है।
राजसी सजावट
यहां बहुत से कक्ष हैं जिनमें चित्र और राजसी हथियार रखे गए हैं। राजसी पोशाकें, आभूषण, लकड़ी की बारीक नक्काशी वाले बड़े-बड़े दरवाजे और छतों में लगे झाड़-फानूस महल की शोभा में चार चांद लगाते हैं।
200 किलो सोने का राजसिंहासन
दशहरा में 200 किलो शुद्ध सोने के बने राजसिंहासन की प्रदर्शनी लगती है। कुछ लोगों का मानना है कि यह पांडवों के जमाने का है।
अद्भुत सजावट
हफ्ते के अंतिम दिनों में, छुट्टियों में और खास तौर पर दशहरा में महल को रोशनी से इस तरह सजाया जाता है, आंखें भले ही चौंधिया जाएं लेकिन नजरें उनसे हटना नहीं चाहतीं।
सजावट के साथ कई कार्यक्रम
हफ्ते के अंतिम दिनों और त्योहारों में यहां कई तरह के कार्यक्रम भी होते हैं, जिसका लुफ्त लोग टिकट खरीद कर ले सकते हैं।