Rajasthan Assembly Elections 2018: किसी फिल्मी स्टोरी से कम नहीं है सचिन पायलट और सारा की प्रेम-कहानी
नई दिल्ली। राजस्थान विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा और कांग्रेस दोनों ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है, जब से सर्वे और ओपिनियन पोल में ये खबर आई कि यहां भाजपा की हालत काफी खराब है तब से कांग्रेस पार्टी में कुछ ज्यादा ही जोश नजर आ रहा है और सबसे ज्यादा सक्रिय सचिन पायलट नजर आ रहे हैं। ऐसा कहा जा रहा है कि अगर यहां कांग्रेस की सत्ता में वापसी होती है तो सीएम का ताज सचिन पायलट के सिर ही सजेगा।
बड़ी दिलचस्प है सचिन-सारा की प्रेमकहानी
लेकिन इसमें कोई शक नहीं कि इस वक्त सचिन पायलट राजस्थान में सबसे चर्चित चेहरा हैं और वो आम रैली से लेकर सोशल मीडिया पर हर जगह काफी एक्टिव भी नजर आ रहे हैं। टि्वटर और फोन लाइन के बाद फेसबुक लाइव के जरिए भी वो लोगों से सीधे जुड़कर उनके सवालों के जवाब दे रहे हैं, कल तक सचिन पायलट राज्य के एक चर्चित युवा नेता थे और आज उनकी गिनती राजस्थान के स्मार्ट और एक्टिव नेताओं में हो रही है, अब इसका फायदा उन्हें मिलेगा या नहीं ये तो चुनाव परिणाम बताएगा फिलहाल आज उनकी लव लाइफ के बारे में बात कर लेते हैं, जो किसी फिल्मी पटकथा से कम नहीं है।
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प्यार के रास्ते में धर्म, जाति और राजनीति की रूकावटें
सुपर स्टार शाहरुख खान की हिट फिल्म 'ओम शांति ओम' का डॉयलाग है कि किसी को अगर आप शिद्दत से चाहें तो सारी कायनात उसे आपसे मिलाने में जुट जाती है और ऐसा ही विश्वास कांग्रेस के दिग्गज नेता राजेश पायलट के बेटे सचिन पायलट और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारुख अब्दुल्ला की बेटी सारा अब्दुल्ला को अपने इश्क पर था, जिनकी मोहब्बत के आगे कायनात ने घुटने टेक दिए। एक बॉलीवुड फिल्म की तरह इन दोनों के प्यार के रास्ते में धर्म, जाति और राजनीति की रूकावटें थीं जिन्हें पार करना आसान नहीं था।
लंदन में प्यार और भारत में बवाल
क्योंकि बेहद ही संस्कारी परिवार कहे जाने वाले पायलट खानदान को एक मुस्लिम बहू नागवार थी तो वहीं कश्मीर सियासत का बड़ा नाम फारुख अब्दुल्ला को बर्दाश्त नहीं हो रहा था कि उनकी नूरे-नजर सारा का हमसफर एक हिंदू हो। सचिन और सारा की मुलाकात विदेश में पढ़ाई के दौरान हुई थी, दोनों अच्छे दोस्त बन गये थे। कश्मीरी बाला सारा की खूबसूरती के कायल तो सचिन पहले ही हो चुके थे लेकिन उनसे वो प्यार करने लगे है इस बात का एहसास उन्हें तब हुआ जब वो विदेश से पढ़ाई करके हिंदुस्तान आ गये और सारा विदेश में ही रह गईं।
सचिन ने सारा को फोन पर ही प्रपोज कर दिया
कहा जाता है कि इन दूरियों ने सारा-सचिन को पास कर दिया और सचिन ने सारा को फोन पर ही प्रपोज कर दिया। सारा के दिल में भी ना जाने सचिन कब से घर कर गये थे उन्हें तो बस एक आवाज की जरूरत थी और उन्होंने भी सचिन को अपना हमसफर चुन लिया लेकिन दोनों के बीच में मजहबी तलवार लटक रही थी लेकिन सचिन की जिद के आगे उनका परिवार झुक गया और सारा को बहू स्वीकार लिया लेकिन सारा के परिवार ने ये रिश्ता कबूल नहीं किया फिलहाल सारा और सचिन की शादी साल 2004 में हुई वो भी बिना फारूख और उमर की मर्जी के।
बाद में फारुख अब्दुल्ला भी मान गए
लेकिन जब सचिन पायलट ने राजनीति में कदम रखा और वो दौसा से रिकार्ड वोट जीतकर मनमोहन सरकार में मंत्री बने तो फारूख ने उन्हें दिल से अपना लिया और खुल कर उन्हें अपना आशीष, प्यार और दुलार दे बैठे। आज सचिन-सारा दुनिया के सामने मिसाल है दोनों के प्यार के आंगन में दो फूल यानी दो बेटे आरन और विहान खिलखिला रहे हैं।