गोपाल दास 'नीरज': जिनकी कविताओं में था शराब से ज्यादा नशा और मोहब्बत से ज्यादा बेचैनी
नई दिल्ली। मां सरस्वती के महान उपासक गोपालदास नीरज आज हमारे बीच में नहीं हैं, नीरज साहित्य के आंगन का वो फूल थे, जिसकी महक कभी भी कम नहीं होगी। उनके शब्द सीधे लोगों के दिलों पर दस्तक देते हैं और इसी वजह से उनके लिखे गीत आज नौजवानों को भी गुदगुदा जाते हैं। अपना पूरा जीवन साहित्य को समर्पित करने वाले नीरज ने एक कवि सम्मेलन में कहा था कि लेखनी पुरानी शराब की तरह होती है, जिसे जब भी पढ़ो नशा पहले से ज्यादा होता है।
लेखनी पुरानी शराब की तरह होती है....
नीरज ने ये बात इसलिए कही थी क्योंकि अक्सर कवि सम्मेलन में उनसे उनके लिखे फिल्मी गानों की फरमाइश की जाती थी और कभी-कभी ऐसा होता था कि नए नगमों को सुनाने का वक्त ही नहीं आता था और कवि सम्मेलन में रात से सुबह हो जाती थी। नीरज ने कहा था कि लोग मेरी कविताओं पर वाह-वाह करते हैं लेकिन मैं तब वाह-वाह करता हूं जब श्रोतागण मुझसे आकर कहते हैं कि आपकी कविताओं में शराब से ज्यादा नशा और मोहब्बत से ज्यादा बेचैनी है, जो हमें बार-बार आपको सुनने के लिए बेकरार करती है।
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आइए
एक
नजर
डालते
हैं
उनकी
कुछ
चुनिंदा
रचनाओं
पर....
गोपाल दास 'नीरज' साहित्य के आंगन का वटवृक्ष थे...
हम
तेरी
चाह
में,
ऐ
यार
!
वहां
तक
पहुंचे
।
होश
ये
भी
न
जहां
है
कि
कहां
तक
पहुंचे
।
इतना
मालूम
है,
खामोश
है
सारी
महफ़िल,
पर
न
मालूम,
ये
खामोशी
कहां
तक
पहुंचे
।
'नीरज' की लेखनी दिल पर दस्तक देती है..........
अब
के
सावन
में
शरारत
ये
मेरे
साथ
हुई
मेरा
घर
छोड़
के
कुल
शहर
में
बरसात
हुई
|
आप
मत
पूछिये
क्या
हम
पे
'सफर'
में
गुज़री
?
आज
तक
हमसे
हमारी
न
मुलाकात
हुई
|
'नीरज' की कविताओं में था-शराब से ज्यादा नशा....
जितना
कम
सामान
रहेगा
उतना
सफ़र
आसान
रहेगा
जितनी
भारी
गठरी
होगी
उतना
तू
हैरान
रहेगा
उससे
मिलना
नामुमकिन
है
जब
तक
खुद
का
ध्यान
रहेगा।