Maharana Pratap Jayanti: 16 बच्चों के पिता महाराणा प्रताप अपने सीने पर लेकर चलते थे 72 किलो का कवच
नई दिल्ली। मुगलों को नाकों चने चबवाने वाले महान योद्धा महाराणा प्रताप का आज जन्मदिन है। देश के इस महान योद्धा का जन्म 9 मई 1940 को राजस्थान के मेवाड़ में कुम्भलगढ़ में सिसोदिया राजवंश के महाराणा उदयसिंह और माता राणी जीवत कंवर के घर हुआ था।
आज हम आपको बताते हैं देश के इस वीर योद्धा के बारे में कुछ रोचक बातें
महाराणा प्रताप के घोड़े का नाम चेतक था
महाराणा प्रताप के घोड़े का नाम चेतक था, जो काफी तेज दौड़ता था। कहा जाता है कि अपने राजा की जान को बचाने के लिए वह 26 फीट लंबे नाले के ऊपर से कूद गया था। आज भी हल्दीघाटी में उसकी समाधि बनी है।
महाराणा प्रताप ने की थीं 11 शादियां और उनके 16 पुत्र थे
ये हैं उनके रानियों के नाम
- महारानी अजब्धे पंवार
- अमरबाई राठौर
- शहमति बाई हाडा
- अलमदेबाई चौहान
- रत्नावती बाई परमार
- लखाबाई
- जसोबाई चौहान
- चंपाबाई जंथी
- सोलनखिनीपुर बाई
- फूलबाई राठौर
- खीचर आशाबाई
महाराणा प्रताप की छाती का कवच 72 किलो का था
महाराणा प्रताप का भाला 81 किलो वजन का था और उनके छाती का कवच 72 किलो का था। उनके भाला, कवच, ढाल और साथ में दो तलवारों का वजन मिलाकर 208 किलो था।
न तो अकबर जीत सका और न ही राणा हारे
मुगल बादशाह अकबर और महाराणा प्रताप के बीच 18 जून, 1576 ई. को लड़ा गया था। अकबर और राणा के बीच यह युद्ध महाभारत युद्ध की तरह विनाशकारी सिद्ध हुआ था। ऐसा माना जाता है कि हल्दीघाटी के युद्ध में न तो अकबर जीते और न ही राणा हारे। मुगलों के पास सैन्य शक्ति अधिक थी तो राणा प्रताप के पास जुझारू शक्ति की कोई कमी नहीं थी।
अकबर ने जताया था दुख
हल्दीघाटी के युद्ध में महाराणा प्रताप की तरफ से लड़ने वाले सिर्फ एक मुस्लिम सरदार थे और उनका नाम था हकीम खां सूरी। ऐसा कहा जाता है कि महाराणा प्रताप ने युद्द के दौरान घास की रोटी से अपना और अपने परिवार का पेट भरा था। यही नहीं कुछ इतिहास कि किताबों में ये भी लिखा है कि राणा के निधन के बाद अकबर ने अपना शोक संदेश मेवाड़ भिजवाया था जिसमें उन्होंने दुख प्रकट किया था कि मुझे आजीवन इस बात का अफसोस रहेगा कि मैं कभी भी महाराणा को हरा नहीं पाया, वो वाकई में वीर योद्धा थे।
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