Indian Armed Forces: भारतीय सेना के तीनों अंगों में हुआ ‘अपग्रेडेशन’, महत्वपूर्ण रहा बिता साल
समय के साथ बदलती वैश्विक चुनौतियों के बीच भारतीय सेना के तीनों अंगों – जल, थल और वायु ने अपनी सैन्य क्षमता को पहले से बेहतर किया है।
Indian Armed Forces: पिछले दिनों भारतीय वायुसेना द्वारा ब्रह्मोस एयर-लॉन्च मिसाइल के उन्नत संस्करण (Advanced version) का सफल परीक्षण किया गया। सुखोई एसयू-30 लड़ाकू विमान से यह परीक्षण किया गया था। यह मिसाइल 400 किलोमीटर की रेंज में किसी भी लक्ष्य को मार गिराने में सक्षम है। सेना के अनुसार इस परीक्षण से वायुसेना ने SU-30MKI लड़ाकू विमान से लंबी दूरी पर जमीन या समुद्री लक्ष्य पर सटीक हमला करने में महत्वपूर्ण क्षमता हासिल कर ली है। बयान में कहा गया है कि भारतीय वायुसेना, भारतीय नौसेना, रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ), बीएपीएल और एचएएल के समर्पित प्रयासों ने इस उपलब्धि को हासिल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
यह एक ऐसी मिसाइल है जिसे पनडुब्बी से, पानी के जहाज से, विमान से या जमीन से भी छोड़ा जा सकता है। रूस की एनपीओ मशीनोस्ट्रोयेनिया (NPO Mashinostroeyenia) और भारत के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने संयुक्त रूप से इसका निर्माण किया है। यह मिसाइल हवा में ही मार्ग बदल सकती है और चलते फिरते लक्ष्य को भी भेद सकती है। इसके अलावा, बीते साल में भारतीय सेना ने अपनी सैन्य क्षमता में भारी अपग्रेडेशन किये हैं। एक तरफ रक्षा के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता कायम की है, वहीं दूसरी तरफ INS विक्रांत जैसा बड़ा युद्धक पोत भी भारतीय सेना ने अपने बेड़े में शामिल किया है।
INS
विक्रांत
उतरा
समुद्र
पर
राज
करने
सितम्बर
2022
में,
प्रधानमंत्री
नरेंद्र
मोदी
ने
पहले
स्वदेशी
विमान
वाहक
पोत
आईएनएस
विक्रांत
को
राष्ट्र
की
सेवा
में
समर्पित
किया।
40
हजार
टन
वजन
वाला
विमान
वाहक
जहाज
INS
विक्रांत
एयरक्राफ्ट
कैरियर
समुद्र
के
ऊपर
तैरता
एक
एयरफोर्स
स्टेशन
है,
जहां
से
फाइटर
जेट्स,
मिसाइलें,
ड्रोन
के
जरिए
दुश्मनों
के
नापाक
मंसूबों
को
नेस्तनाबूद
किया
जा
सकता
है।
दुनिया
में
केवल
अमेरिका,
रूस,
ब्रिटेन
और
फ्रांस
के
पास
ही
40
हजार
और
इससे
ज्यादा
वजन
वाले
विमान
वाहक
जहाज
का
निर्माण
करने
की
क्षमता
है।
INS
विक्रांत
से
32
बराक-8
मिसाइल
दागी
जा
सकेंगी।
राफेल
और
सुखोई
करेंगे
दुश्मनों
का
सफाया
फाइटर
एयरक्राफ्ट
की
बात
की
जाये
तो
भारतीय
वायुसेना
के
पास
फिलहाल
सात
तरह
के
लड़ाकू
विमान
हैं
जिसमें
तेजस,
मिराज
2000,
मिग-29,
मिग-21
और
जेगुआर
शामिल
हैं।
वायुसेना
ने
15
दिसंबर
2022
को
ट्वीट
कर
बताया
कि
फ्रांस
से
खरीदे
गये
36
राफेल
विमानों
में
से
अंतिम
विमान
भी
भारतीय
सरजमीं
पर
उतर
गया
है।
इसके
साथ
ही
राफेल
की
खेप
पूरी
हो
गई
हैं।
इनमें
हेलमेट-माउंटेड
विजन,
रडार
रिसीवर,
10
घंटे
की
उड़ान
लायक
ईंधन
टैंक,
उड़ान
डेटा
रिकॉर्डर,
इन्फ्रा-रेड
सर्च
और
ट्रैक
सिस्टम
और
अपनी
ओर
आने
वाली
मिसाइलों
को
नष्ट
करने
जैसी
तकनीकें
शामिल
हैं।
वही,
इंडियन
एयरफोर्स
के
पास
कुल
272
सुखोई-30
एमकेआई
हैं।
सुखोई-30MKI
रूस
के
सुखोई-27
का
अत्याधुनिक
वर्जन
है।
अग्नि
5
का
सफल
परिक्षण
भारतीय
सेना
ने
अग्नि
5
मिसाइल
का
पहला
सफल
परीक्षण
कर
लिया
है।
यह
भारत
की
सबसे
लंबी
दूरी
की
परमाणु
बैलिस्टिक
मिसाइल
है
जिसकी
रेंज
5000
किलोमीटर
के
आसपास
है।
अब
यह
मिसाइल
पूरे
एशिया,
यूरोप,
आधे
से
ज्यादा
अफ्रीका
सहित
ऑस्ट्रेलिया
तक
मार
कर
सकती
है।
बैलिस्टिक
मिसाइल
से
लैस
हुआ
INS
अरिहंत
अक्टूबर
2022
में
परमाणु
पनडुब्बी
आईएनएस
अरिहंत
से
बंगाल
की
खाड़ी
में
सबमरीन
लॉन्च
बैलिस्टिक
मिसाइल
(एसएलबीएम)
का
सफल
परीक्षण
किया
गया
था।
इस
परीक्षण
के
साथ
भारत
ने
समुद्र
के
भीतर
से
परमाणु
हमला
करने
में
भी
सफलता
हासिल
कर
ली
है।
इस
पनडुब्बी
के
आधुनिक
संस्करण
में
कई
परमाणु
हथियार
रखकर
एक
ही
मिसाइल
लॉन्च
करके
कई
लक्ष्यों
पर
हमला
किया
जा
सकता
है।
शस्त्रों
का
निर्यात
भी
शुरू
आत्मनिर्भरता
की
तरफ़
बढ़
रहे
भारत
ने
एक
कदम
आगे
बढ़ाते
हुए
हथियारों
का
निर्यात
भी
शुरू
कर
दिया
है।
फिलहाल
भारत
75
देशों
को
हथियारों
का
निर्यात
कर
रहा
है।
जिन
हथियारों
को
एक्सपोर्ट
किया
जा
रहा
है
उनमें
सबसे
ज्यादा
डिमांड
सुपरसोनिक
मिसाइल
ब्रह्मोस,
अग्नि
और
पृथ्वी
मिसाइल,
पिनाका
रॉकेट
लॉन्चर,
आकाश,
अस्त्र
और
नाग
मिसाइल,
तेजस
लड़ाकू
विमान,
ध्रुव
और
प्रचंड
हेलिकॉप्टर
और
अर्जुन
टैंक
की
हैं।
सितंबर
में
भारत
ने
अर्मेनिया
की
सेना
को
पिनाका
रॉकेट्स
देने
की
भी
अनुबंध
कर
लिया
है।
इसके
साथ
ही
जनवरी
2022
में
भारत
ने
फिलिपींस
को
ब्रह्मोस
मिसाइल
देने
का
कॉन्ट्रैक्ट
हासिल
किया
था।
सैनिकों
के
लिए
80
हजार
बैलिस्टिक
हेलमेट
एयरबोर्न
हेलमेट
में
खराबी
के
कारण
भारत
सरकार
ने
सैनिकों
के
लिए
80
हजार
बैलिस्टिक
हेलमेट
खरीदने
की
अनुमति
दे
दी
है।
रक्षा
अधिग्रहण
परिषद
ने
22
दिसंबर
2022
को