घबराहट के साथ आम आदमी ने लिखा अरविंद केजरीवाल को पत्र
मैं यह पत्र एक उम्मीद और घबराहट के साथ लिख रहा हूं। मुझे उम्मीद है कि आप मेरी बातों को संज्ञान में जरूर लेंगे, क्योंकि मुझे लगता है कि मेरी हर बात में वजन है। मुझे आपके साथ चर्चा करने का मौका कई बार मिला और मैंने कई बार आपके सामने अपनी बात पहुंचायी। एक बार फिर मैं अपनी बात इस खुले पत्र के माध्यम से पहुंचा रहा हूं। मैं भी चाहता हूं कि कांग्रेस का पतन हो और आम आदमी पार्टी एक सशक्त पार्टी के रूप में देश में उभरे और देश के लिये अगले पांच साल के लिये मजबूत विकल्प बने। परिवारवाद और आंदोलन के बीच जंग में आंदोलन की जीत जरूर होनी चाहिये।
हालांकि कुछ मुद्दे ऐसे हैं, जिन पर राइट विंग के लोग आपका समर्थन जरूर करेंगे। मुझे लगता है कि जिस प्रकार सत्ताधारी पार्टी अपने कार्यों में फेल हो रही है, उस तरह आम आदमी पार्टी स्वत: एक विकल्प नहीं बनेगी। मुझे लगता है कि आप अपना गुस्सा और भर्त्सना को अपने समर्थन में परिवर्तित नहीं करेंगे।
तमाम लोगों ने मेरा विरोध किया है, लेकिन फिर भी मैं अपनी बात आपके समक्ष रख रहा हूं, जिसमें 10 मुद्दे शामिल हैं।
1. आप खुद इस बात का निर्णय लीजिये कि महज 45 दिन में क्या किया जा सकता है। आपका रिपोर्ट कार्ड कहता है- 1984 दंगों में एसआईटी, एमडीए के खिलाफ एफआईआर, पानी और बिजली पर सब्सिडी, आदि, आपने किया। आपको नहीं लगता है कि आपके अंदर अभी और क्षमता है।
2. अब केजरीवाल आप हैं और आप केजरीवाल है। आप या तो मुख्यमंत्री हो सकते हैं या संसद के नेता। मेरा वोट आपके लिये है, लेकिन मैं आपको किस पोस्ट के लिये वोट करूं सीएम या पीएम? आप नेतृत्व की एक दूसरी रेखा क्यों नहीं खींचते हैं। आपको ऐसा नहीं लगता कि नेतृत्व की दूसरी रेखा खींचने में आप खुद भी फेल होते नजर आ रहे हैं- वो रेखा जिसका एक विजन हो, स्पष्ट नीतियां हों, बुद्धिमता हो और हर व्यक्ति उस पर विश्वास कर सके।
3. आप एक बहुत अच्छे वक्ता हैं आपके विचार स्पष्ट हैं, लेकिन आंदोलन के वक्त इस्तेमाल किये जाने वाले शब्द गवरर्नेन्स के वक्त इस्तेमाल नहीं किये जा सकते हैं। सामान्य पेंटिंग्स तो एक ब्रश से की जा सकती हैं, लेकिन विशेष प्रकार की पेंटिंग्स के लिये ब्रश बदलना पड़ता है।
4. यदि पार्टी का प्रतिनिधित्व उसके प्रवक्ता करते हैं, तो आप में तो प्रवक्ताओं की भरमार है। इसमें बाकियों की बात क्या करें, सबसे बड़े दोषी तो आप खुद हैं।
5. आप सोचते हैं कि अधिकारी और कानून बनाने व उसे लागू करने वाली संस्थाएं भ्रष्ट और अक्षम हैं। अच्छा होगा यदि आप उनमें से अच्छे लोगों और संस्थाओं को चुनकर अलग करें।
6. लाभ कमाने के लिये काम करना अपराध नहीं है। मैंने सुना है कि कोई भी देश इस प्रकार की सोच के साथ आगे नहीं बढ़ सकता है। मुनाफा और मुनाफाखोरी दो अलग-अलग शब्द हैं। आपने सीआईआई में जो बातें कहीं, वो मुझे अच्छी लगीं।
7. नीतियों स्पष्ट नहीं होता है कि बात 'माई वे' की हो रही है या 'हाईवे' की। हर बात पर बहस अच्छा विकल्प है, लेकिन काम में पारदर्शिता बहुत जरूरी है। यह पारदर्शिता बार-बार आदेश लागू करने और प्रेस कॉन्फ्रेंस करने से कई गुना बेहतर है।
8. आप अब उन लोगों को आकर्षित कर रही है, जो फ्रस्टेट हैं। वो भी वही भाषा बोलते हैं, जो आप बोलते हैं। मुझे उम्मीद है कि उनकी भाषा में विविधता नजर आयेगी।
9. जरूरी नहीं है कि रीयल लाइफ हीरो, अपने क्षेत्र में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले लोग या शहीदों के परिवार वाले अच्छा शासन चला सकें। आपका लक्ष्य आम आदमी पार्टी में ऐसे लोगों को शामिल करने का होना चाहिये, जो अच्छा शासन चला सकें।
10. पारदर्शिता और क्षमता दोनों ही शासन के लिये जरूरी हैं, लेकिन ईमानदार शासन के लिये जरूरी नहीं है कि वही व्यक्ति चुना जाये जो त्वरित निर्णय लेता हो।
श्रीमान जी, देश में परिवर्तन हो रहा है। यदि आम आदमी पार्टी 40 सीटें अगले संसदीय चुनाव में ले आयी तो आपकी भूमिका बेहद महत्वपूर्ण हो जायेगी। मुझे उम्मीद है कि आप उस भूमिका को निभाने में देश को निराश नहीं करेंगे।
शुभकामनाओं
के
साथ
एक
आम
आदमी