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'मैंने मांस खाना छोड़ दिया था, मेरी पीठ जल गई थी...' आसान नहीं थी कांतारा की शूटिंग, डायरेक्टर ने किया खुलासा

शानदार कन्नड़ संस्कृति को फिल्म के तौर पर दर्शकों के सामने रखने वाले ऋषभ शेट्टी ने हाल ही में एक बड़ा खुलासा किया है। डायरेक्टर ने बताया कि ये बहुत दर्दनाक शूट था।

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Kantara Director Rishab Shetty: इन दिनों 'कांतारा' फिल्म और इसके डायरेक्टर ऋषभ शेट्टी सुर्खियों में बने हुए हैं। फिल्म देखकर फैंस से लेकर बॉलीवुड सेलेब्स तक इसकी तारीफ करने से खुद को रोक नहीं पा रहे हैं। वहीं दूसरी ओर डायरेक्टर ऋषभ शेट्टी भी खूब वाहवाही लूट रहे हैं। अब हाल ही में ऋषभ शेट्टी अपने एक बयान को लेकर चर्चा में बने हुए हैं। डायरेक्टर ने खुलासा किया है कि 'कांतारा' में 'दैव कोला' सीक्वेंस की शूटिंग से 20-30 दिन पहले उन्होंने नॉन वेज खाना छोड़ दिया था। उन्होंने ये भी कहा कि दैव कोला अलंकार लेने के बाद उन्हें सिर्फ नारियल पानी ही पीना था। ये बहुत मुश्किल था।

Kantara

कन्नड़ की शानदार संस्कृति को फिल्म के तौर पर दर्शकों के सामने रखने वाले ऋषभ शेट्टी ने हाल ही में एक बड़ा खुलासा किया है। हिंदुस्तान टाइम्स की खबर के मुताबिक, एक इंटरव्यू में डायरेक्टर ने बताया कि दैव कोला सीक्वेंस की शूटिंग के वक्त 20-30 दिन पहले उन्होंने मांस खाना छोड़ दिया था।

ऋषभ शेट्टी ने वो सीन भी याद किया, जब उन्हें फायरस्टिक से पीटा गया था। डायरेक्टर ने कहा कि ये असली था और मेरी पीठ जल गई थी। डायरेक्टर के इस खुलासे के बाद से फैंस काफी हैरान हैं। फिल्म जितनी दिलचस्प है, उतनी ही दिलचस्प इसके शूटिंग के वक्त की स्टोरी भी है।

ई टाइम्स संग बातचीत में ऋषभ शेट्टी ने बताया कि एक्टिंग का एक हिस्सा निश्चित तौर पर काफी मुश्किल था। एक्सप्रेस करने के लिए नहीं बल्कि एक्शन सीक्वेंस के लिए। खासतौर पर वो सीन, जिसमें 50-60 किलो के वजन के साथ दैव कोला की परंपरा निभाते हुए दिखाया जाना था। मैंने 20-30 दिनों पहले ही नॉन-वेज खाना छोड़ दिया था।

इतना ही नहीं, डायरेक्टर ने बताया कि परंपरा के दौरान उन्हें फायरस्टिक से भी पीटा गया। ये एकदम वास्तविक था और मेरी पीठ तक जल गई थी। ये एक दर्दनाक शूट था।

दरअसल, फिल्म में दिखाई गई भूत कोला की परंपरा से कन्नड़ लोगों का खास धार्मिक जुड़ाव है। ये परंपरा वहां सदियों से चली आ रही है, जिसके मुताबिक गांव का ही कोई शख्स अपना परिधान (वस्त्र) बदलता है और गांव के लोग उसकी पूजा करते हैं। ये बेहद पवित्र माना जाता है और इसी को फिल्माते वक्त डायरेक्टर ने कुछ दिन पहले मांस खाना छोड़ दिया था।

कांतारा दक्षिण कन्नड़ के काल्पनिक गांव में है। जंगल के निवासियों में एक देवता के मिथक की मान्यता है। फिल्म का अहम किरदार शिवा है, जिसका परिवार कई सालों से देवता की पूजा करता आया है। लेकिन शिवा एक मनमौजी लड़का है, जो सिर्फ अपनी मौज-मस्ती में ही रहता है। फिल्म में एक सीन में दिखाया जाता है कि शिवा बहुत ही एक्टिव है।

कांतारा को इसकी कहानी इसलिए भी खास बनाती है क्योंकि इसमें ऐसे समुदायों की झलक देखने को मिलती है, जो सीधे तौर पर जंगल से जुड़े हुए हैं। इसमें उन लोगों द्वारा झेले जा रहे संघर्ष की झलक भी देखने को मिलती है। कांतारा टेक्निकली भी काफी दमदार फिल्म है। ये दर्शकों को कहानी में शामिल होना जैसा महसूस कराता है।

ये भी पढ़ें : 'भूत कोला' की परंपरा का मजाक बनाना पड़ा भारी, 'कांतारा' एक्टर के खिलाफ दर्ज हुई शिकायतये भी पढ़ें : 'भूत कोला' की परंपरा का मजाक बनाना पड़ा भारी, 'कांतारा' एक्टर के खिलाफ दर्ज हुई शिकायत

English summary
Kantara director Rishab Shetty reveals shocking disclosure during shooting
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