महानगरों की तर्ज पर दुर्ग में बनेगा इंटीग्रेटेड ट्रैफिक कंट्रोल रूम, हाईटेक कैमरों से होगी निगरानी
सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाने अब जिले में इंटीग्रेटेड ट्रैफिक कंट्रोल रूम का निर्माण किया जाएगा। चौक चौराहों पर सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे।अधिक सड़क दुर्घटनाओं वाले जगहों को ब्लैक और ग्रे स्पाट के रूप में चिन्हित किया गया
दुर्ग, 08 अगस्त। छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में सड़क दुर्घटनाओं को लेकर अब जिला प्रशासन सजग होता नजर आ रहा है। लगातार सड़क दुर्घटनाओं के आंकड़े जिला प्रशासन व यातायत पुलिस के लिए चुनौती बना हुआ है। जिसे लेकर अब रणनीति तैयार की गई है। सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाने अब जिले में इंटीग्रेटेड ट्रैफिक कंट्रोल रूम का निर्माण किया जाएगा। वही चौक चौराहों पर सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे। इन कैमरों को इंस्टॉल करने सबसे अधिक सड़क दुर्घटनाओं वाले जगहों को ब्लैक और ग्रे स्पाट के रूप में चिन्हित किया गया है।
कलेक्टर
व
एसपी
ने
सड़क
सुरक्षा
को
लेकर
बनाई
रणनीति
दुर्ग
जिले
में
लंबे
समय
बाद
सड़क
सुरक्षा
समिति
की
बैठक
में
जिले
के
सड़क
सुरक्षा
एवं
यातायात
को
सुगम
बनाने
को
लेकर
बैठक
में
कई
अहम
निर्णय
लिए
गए।
इसके
तहत
अब
जिले
के
ग्रामीण
व
शहरी
क्षेत्रों
के
चौक
चौराहों
पर
लगभग
डीएमएफ
फंड
से
लगभग
100
सीसीटीवी
कैमरे
व
पैनिक
स्विच
लगाया
जाएगा।
वही
इसका
कंट्रोल
रूम
कलेक्ट्रेट
में
होगा।
जिससे
अधिकारी
इस
पर
नजर
रख
सकेंगे।
कलेक्टर
पुष्पेंद्र
कुमार
मीणा
तथा
एसपी
डा.
अभिषेक
पल्लव
ने
अधिकारियों
को
जल्द
इस
योजना
की
लागत
तैयार
करने
के
निर्देश
दिए
है।
शहर
में
लगेंगे
लगभग
100
सीसीटीवी
कैमरे
जिला
प्रशासन
की
योजना
के
अनुसार
शहर
के
चौक
चौराहों
बाजारों
व
पार्कों,
संवेदन
शील
व
धार्मिक
स्थलों
पर
लगभग
100
सीसीटीवी
कैमरे
लगाए
जाएंगे।
आईटीएमएस
के
तहत
लगे
पहले
व
दूसरे
फेस
के
50
कैमरों
को
भी
इससे
जोड़ा
जाएगा।
इन
सीसीटीवी
कैमरे
को
सीधा
कलेक्ट्रेट
के
इंटीग्रेटेड
कंट्रोल
रूम
से
कनेक्ट
किया
जाएगा।
जिससे
प्रमुख
चौक
चौराहों
पर
यातायात
व्यवस्था
पर
निगरानी
रखा
जा
सकेगा।
इसके
साथ
ही
यातायात
नियम
तोड़ने
वालों
पर
सीधे
ऑनलाइन
चलानी
कार्रवाई
की
जा
सकेगी।
पैनिक
बटन
का
होगा
इस्तेमाल
पैनिक
बटन
शहर
के
संवेदनशील
व
दुर्घटना
वाले
क्षेत्रों
बाजारों
के
आस
पास
लगाया
जाएगा
इस
पैनिक
बटन
का
इस्तेमाल
करते
ही
कंट्रोल
रूम
में
घटना
की
सूचना
पहुंचेगी
।
इसके
पश्चात
संबंधित
अधिकारियों
व
स्वास्थ्य
विभाग
तक
यह
सूचना
मैसेज
से
भेजी
जाएगी।
जिससे
पीड़ित
को
108
व
112
के
माध्यम
से
तुरंत
ट्रीटमेंट
उपलब्ध
कराया
जा
सकेगा।
अनाउंसमेन्ट
सिस्ट्म,
ड्रोन
कैमरे
का
होगा
का
इस्तेमाल
इस
योजना
में
समिति
ने
रूट
डायवर्ट,
या
जाम
जैसी
स्थिति
से
लोगों
तक
त्वरित
सूचना
पहुंचाने
पब्लिक
अलाउंसमेन्ट
सिस्टम
के
उपयोग
करने
की
योजना
बनाई
है।
सीएम
व
गृह
मंत्री
के
जिले
होने
कारण
वीआईपी
मूवमेन्ट
होने
पर
भी
यह
सिस्टम
लोगों
तक
सूचना
पहुंचाएगा।
यह
सिस्टम
मेट्रो
सिटी
के
तर्ज
पर
कार्य
करेगा।
इसके
अलावा
अब
कानून
व्यवस्था
जैसी
स्थितियों
से
निपटने
जिला
प्रशासन
ड्रोन
कैमरों
का
इस्तेमाल
करेगी।
प्रदर्शन
व
धरने
के
दौरान
शांति
व्यवस्था
भंग
करने
वालों
पर
ड्रोन
से
नजर
रखा
जाएगा।
इसके
साथ
ही
पुलिस
ऐसे
लोगों
पर
सीधे
कार्रवाई
कर
सकेगी।
भीड़
भाड़
वाले
जगह
के
स्कूलों
के
लिए
नए
नियम
अधिकारियों
ने
बताया
कि
मेन
रोड
के
किनारे
के
इस
संबंध
में
स्कूल
प्रबंधन
को
दो
पालियों
के
बीच
आधे
घंटे
का
अंतर
रखने
के
निर्देश
दिया
गया।
साथ
ही
स्कूल
में
अधिक
दर्ज
संख्या
होने
पर
एंट्री
और
एक्जिट
के
लिए
अलग
अलग
गेट
रखने
निर्देशित
किया
गया।
स्कूल
के
समीप
निर्देशक
बोर्ड
लगाए
जाएंगे।
स्कूलों
के
पास
सड़क
में
रंबल
स्ट्रिप
भी
बनाये
जाएंगे।।
कलेक्ट्रेट
में
होगा
कंट्रोल
रूम
इंटीग्रेटेड
कंट्रोल
रूम
से
प्रमुख
चौक-चौराहों
पर
सीसीटीवी
कैमरों
के
माध्यम
से
नजर
रखी
जायेगी।
डायल
112
की
टीम
के
अधिकारी
इसके
लिए
कलेक्ट्रेट
में
बनाये
गये,
कंट्रोल
रूम
से
स्थिति
पर
नजर
रखेंगे
और
जरूरत
होने
पर
त्वरित
रिस्पांस
कर
सकेंगे।
इसके
लिए
जिला
प्रशासन
नगर
निगम
व
यातायात
पुलिस
की
टीम
बनाई
गई
है।108
एंबुलेंस
का
डिप्लायमेंट
भी
इनके
नजदीक
ही
किया
जाएगा।
ताकि
दुर्घटना
होने
की
स्थिति
में
रिस्पांस
टाइम
और
बेहतर
हो
सके।
एसडीएम-एसडीओपी
तुरंत
पहुंचेंगे
दुर्घटना
स्थल
पर
इस
योजना
के
तहत
अब
एसडीएम
और
एसडीओपी
दुर्घटना
की
सूचना
मिलते
ही
तुरन्त
दुर्घटनास्थल
पर
पहुंचेंगे,
और
हादसे
के
कारणों
की
पड़ताल
करेंगे।
यदि
किसी
तकनीकी
त्रुटि
की
वजह
से
हादसा
हुआ
है,
तो
इसे
ठीक
करने
साथ
में
मौजूद
निर्माण
विभाग
के
अधिकारियों
को
निर्देशित
करेंगे।
दुर्घटनाओं
में
डेथ
की
होगी
आडिट
सड़क
सुरक्षा
समिति
की
बैठक
में
कलेक्टर
ने
कहा
कि
सड़क
दुर्घटनाओं
में
मृतकों
की
संख्या
में
कमी
लाने
के
लिए
दुर्घटना
के
बाद
रिस्पांस
टाइम
को
बेहतर
करना
है।
उसके
बाद
अस्पताल
पहुंचाने
का
समय
भी
न्यूनतम
रखना
है।
हर
ब्लैक
स्पाट
में
होने
वाली
दुर्घटना
के
लिए
नोडल
अस्पताल
का
चिन्हांकन
होगा।जैसे
कुम्हारी
में
यदि
दुर्घटना
होती
है
तो
नजदीकी
अस्पताल
एम्स
हो
सकता
है।
सामान्यतः
विशेषज्ञ
डाक्टरों
की
वजह
से
रिफरल
की
जरूरत
कम
ही
होती
है।
ऐसे
में
यदि
रिफर
केस
आते
हैं
तो
उसकी
गंभीरता
से
समीक्षा
होगी।
इसके
साथ
ही
दुर्घटना
में
होने
वाले
हर
डेथ
की
आडिट
होगी।