Delhi Liquor Scam: जानिए क्या है दिल्ली शराब नीति घोटाला, जिस मामले में मनीष सिसोदिया हुए गिरफ्तार
Delhi Liquor Scam: दिल्ली शराब बिक्री नीति के सिलसिले में सीबीआई ने दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को आज गिरफ्तार कर लिया, जिससे मामला एक बार फिर सुर्खियों में आ गया।
Delhi Liquor Scam: दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने 26 फरवरी को कथित आबकारी घोटाले (शराब घोटाला) मामले में गिरफ्तार कर लिया है। सीबीआई ने डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया पर शराब घोटाले में आपराधिक साजिश रचने और सबूतों को मिटाने की भी कोशिश का आरोप लगाया है। आइए जानें ये शराब घोटाला क्या है, जिसकी वजह से सिसोदिया की गिरफ्तारी हुई है।
जानिए क्या है दिल्ली शराब नीति घोटाला
दिल्ली शराब नीति घोटाले का ये पूरा मामला दिल्ली सरकार की नई शराब नीति 2021-22 से संबंधित है। दिल्ली सरकार ने 17 नवंबर 2021 से दिल्ली में नई एक्साइज पॉलिसी लागू की थी। इस नई शराब नीति के तहत शराब का कारोबार पूरी तरह से निजी हाथों में सौप दिया गया था और दिल्ली सरकार इससे पूरी तरह तरह बाहर आ गई थी। बता दें कि दिल्ली में कुल 32 जोन है, एक जोन में ज्यादा से ज्यादा 27 दुकानें खुल सकती थीं। दिल्ली में शराब की कुल 849 दुकानें खोली गईं।
दावा किया गया कि ' सरकार के राजस्व में इजाफा होगा'
दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार ने कहा कि नई एक्साइज पॉलिसी से माफिया राज भी खत्म होगा। इसके साथ ये भी दावा किया गया कि इससे सरकार के राजस्व में भी इजाफा होगा। लेकिन नई एक्साइज पॉलिसी लागू होते ही सरकार के दावे गलत साबित हुए। सरकार को नुकसान उठाना पड़ा। 31 जुलाई 2022 को कैबिनेट नोट में दिल्ली सरकार ने माना की भारी बिक्री के बावजूद रेवेन्यू का भारी नुकसान हुआ है।
कैसे आया मनीष सिसोदिया का नाम
नई एक्साइज पॉलिसी लागू होने के बाद राजस्व के भारी नुकसान की वजह से दिल्ली सरकार की आलोचनाएं होने लगी। नई एक्साइज पॉलिसी की नीति में गड़बड़ी का आरोप सबसे पहले केंद्र शासित प्रदेश के मुख्य सचिव नरेश कुमार ने लगाया। मुख्य सचिव नरेश कुमार ने ये पूरी रिपोर्ट उपराज्यपाल (एलजी) वीके सक्सेना को सौंपी। रिपोर्ट में मुख्य सचिव ने एक्साइज पॉलिसी में गड़बड़ी के साथ-साथ डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया पर शराब कारोबारियों को अनुचित लाभ पहुंचाने का भी आरोप लगाया। मनीष सिसोदिया दिल्ली के आबकारी विभाग के प्रमुख हैं, जिसकी वजह से वह निशाने पर आ गए हैं।
क्यों उठे शराब नीति पर सवाल?
दिल्ली के एलजी ने मुख्य सचिव की रिपोर्ट के आधार पर 22 जुलाई 2022 सीबीआई जांच की सिफारिश की थी। अब सवाल उठता है कि आखिर शराब नीति पर सवाल क्यों उठने लगे। तो बता दें कि इसके प्रमुख कारण थे, थोक लाइसेंस धारकों का कमीशन बढ़ाकर 12 फीसदी फिक्स कर दिया गया था। बड़ी कंपनियों की मोनॉपोली बढ़ने लगी थी। शराब सरकारी दुकानें नहीं , सिर्फ निजी दुकानें बेचेंगी। जिसकी वजह से पहले से ज्यादा बड़ी दुकानें खुलने लगी थीं।
1 सितंबर 2022 को लागू हो गई थी पुरानी शराब नीति
बता दें कि विरोध और सीबीआई के केस दर्ज करने के बाद मनीष सिसोदिया ने कहा कि नीति रद्द होने जा रही है क्योंकि भाजपा विक्रेताओं को डराने के लिए अपने नियंत्रण वाली जांच एजेंसियों (सीबीआई-ईडी) का उपयोग कर रही है। जिसके बाद 1 सितंबर 2022 से पुरानी शराब नीति को वापस लागू कर दिया गया था।
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