यूरोप में बिखरेगी छत्तीसगढ़ में बने हर्बल गुलाल की रंगत, सीएम भूपेश बघेल ने दिखाई गुलाल वाहन को हरी झंडी
रायपुर, 21 मई। छत्तीसगढ़ में बने देसी उत्पादों की डिमांड अब सात समंदर पार भी होनी लगी है। शनिवार को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल अपने निवास कार्यालय में आयोजित कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ में तैयार हर्बल गुलाल से भरे ट्रक को यूरोप एक्सपोर्ट करने के लिए झंडी दिखाकर रवाना किया। मिली जानकारी के मुताबिक यह हर्बल गुलाल महिला स्व-सहायता समूह के सखी क्लस्टर संगठन अंजोरा राजनांदगांव और कुमकुम महिला ग्राम संगठन सांकरा, दुर्ग की महिलाओं ने अपनी मेहनत से तैयार किया है।
मुख्यमंत्री श्री @bhupeshbaghel ने यूरोप भेजे जा रहे हर्बल गुलाल से भरे ट्रक को झंडी दिखाकर किया रवाना।
यूरोप में छत्तीसगढ़ के हर्बल गुलाल की है भारी मांग, प्रदेश की विभिन्न स्व-सहायता समूह की महिलाओं ने तैयार किया है हर्बल गुलाल। pic.twitter.com/LPKnnJqTRf
— CMO Chhattisgarh (@ChhattisgarhCMO) May 21, 2022
गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार राज्य में महिला समूहों को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने के लिए गौठानों में कई प्रकार की आय देने वाली गतिविधियां संचालित की जा रही हैं। गौठानों के सामुदायिक बाड़ियों में फूलों की खेती शुरू की गई है,जिसमे विशेषकर गेंदा फूल की खेतीज्यादा हो रही है। सरकार का मानना है कि इन गतिविधियों से राज्य की महिला समूहों को अधिक आय हासिल हो सके।
18 फरवरी 2022 को फूल से हर्बल गुलाल के निर्माण के लिए सीएम भूपेश बघेल की मौजूदगी में श्री गणेशा ग्लोबल गुलाल प्राइवेट लिमिटेड और छत्तीसगढ़ शासन के उद्यानिकी एवं प्रक्षेत्र वानिकी के संचालक के बीच एमओयू हुआ था। इसके पहले चरण में 150 महिला स्व-सहायता समूहों के माध्यम से हर्बल गुलाल एवं हर्बल पूजन सामग्री तैयार की जा रही है। महिला समूहों की ओर से तैयार 23 हजार 279 किलो हर्बल गुलाल को श्री गणेशा ग्लोबल गुलाल प्राइवेट लिमिटेड की मदद से यूरोप एक्सपोर्ट किए जाने के लिए रायपुर से गुजरात में मौजूद मुंदरा पोर्ट भेजा जाएगा। एक्सपोर्ट हर्बल गुलाल को अलग-अलग वजन में पैकेजिंग करके आकर्षक बनाया गया है। हर्बल गुलाल की कुल कीमत 54 हजार 491 यू.एस. डॉलर यानी भारतीय रूपए में इसकी कीमत 41 लाख 95 हजार 302 रूपये है। गौठान की महिला समूहों की लगन से तैयार हर्बल सामग्री का विदेशों में निर्यात किया जाना,छत्तीसगढ़ राज्य और स्व-सहायता समूहों के लिए गौरव की बात है।