जशपुर के किसान ने 25 एकड़ में लगाए स्ट्रॉबेरी के पौधे, अब हो रही बम्पर कमाई, किसानों के लिए बने मिसाल
छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले में स्ट्रॉबेरी की खेती की जा रही है। यहां के किसान लगभग 25 एकड़ में स्ट्राबेरी की फसल ले रहे हैं।
छत्तीसगढ़ को 'धान का कटोरा' कहते है। क्योंकि देशभर में इसे धान की खेती के लिए जाना जाता है। लेकिन अब यहां की जलवायु में कई ऐसे फल भी उगाए जा रहे हैं। जिसकी कल्पना भी नहीं कि जा सकती थी। यहां के जशपुर जिले में किसानों ने 25 एकड़ में स्ट्राबेरी की खेती शुरू की है। जो अब किसानों के लिए अच्छी आमदनी का माध्यम बन रहा है। यानी अब छत्तीसगढ़ से स्ट्रॉबेरी की सप्लाई अन्य राज्यों में की जा रही है।
अन्य
राज्यों
में
की
जाएगी
सप्लाई
जशपुर
जिले
के
किसानों
ने
कैशक्रॉप
की
खेती
को
अपनाया
है।
जिसके
तहत
यहां
के
किसानों
ने
स्ट्राबेरी
उगाने
का
फैसला
किया
है।
इसके
लिए
नाबार्ड
के
तहत
योजना
का
लाभ
भी
दिया
गया।
यहां
के
20
गांवों
के
स्ट्रॉबेरी
की
खेती
के
इच्छुक
50
किसानों
को
2-2
हजार
पौधे
दिए
गए
थे।
इसके
अलावा
जशपुर
में
बड़ी
संख्या
में
स्ट्रॉबेरी
की
खेती
के
लिए
पौधारोपण
किया
गया।
जिसमें
अब
फलों
का
उत्पादन
हो
रहा
है।
इसी
तरह
बगीचा
ब्लाक
में
स्ट्रॉबेरी
के
लगभग
50
हजार
पौधों
में
फल
आना
शुरु
हो
गया
हैं।
इतने
बड़े
पैमाने
पर
स्ट्रॉबेरी
उगाने
के
बाद
देश
भर
में
यहां
से
सप्लाई
की
जा
सकेगी।
सन्ना
के
किसान
ने
25
एकड़
में
लगाई
स्ट्राबेरी
जशपुर
जिले
के
सन्ना
तहसील
के
ग्राम
कोपा
में
जशपुर
कलेक्टर
किसान
धनेश्वर
राम
की
स्ट्रॉबेरी
खेती
देखने
पहुंचे
थे।
से
खेती-बाड़ी
के
साथ
योजना
की
भी
जानकारी
ली
तकनीक
से
खेती
करने
के
लिए
धनेश्वर
राम
को
नाबार्ड
के
तहत
स्ट्राबेरी
की
उन्नत
खेती
के
लिए
योजना
का
लाभ
दिया
गया
है।
किसान
धनेश्वर
ने
योजना
का
लाभ
लेकर
अपने
खेत
में
स्ट्रॉबेरी
की
फसल
ली
है।
कलेक्टर
ने
किया
प्रोत्साहित
किसान
धनेश्वर
ने
बताया
कि
उन्हें
स्ट्रॉबेरी
का
2044
पौधा
उपलब्ध
कराया
गया
था।
3
माह
में
इन
पौधों
में
फल
लगने
शुरू
हो
गए
हैं।
मार्केट
में
400
रुपये
किलो
में
विक्रय
होने
से
लाभ
हो
रहा
है।
अब
तक
40
हजार
रुपए
की
स्ट्राबेरी
विक्रय
कर
चुके
हैं।
कलेक्टर
ने
किसान
को
प्रोत्साहित
करते
हुए
चाय
के
पौधे
लगाने
की
सलाह
दी
है।
इस
अवसर
पर
कर्नाटक
के
चाय
के
कृषि
विशेषज्ञ
प्रदीप
कोचर
भी
उपस्थित
थे।
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सरगुजा
संभाग
का
मौसम
है
अनुकूल
छत्तीगसढ़
में
लगभग
70
प्रतिशत
भूमि
पर
धान
की
खेती
की
जाती
है।
और
यहां
की
उच्च
क्वालिटी
के
चावल
विदेशों
में
भी
निर्यात
किए
जाते
है।
अभी
तक
छत्तीसगढ
में
धान,
गेंहू,
मक्का,
गन्ना,
रहर,
सरसो
उड़द
और
मूंगफली
जैसे
तिलहन
अनाजों
की
पैदावार
होती
थी।
लेकिन
अब
यहां
स्ट्रॉबेरी,
सेब,
लीची,
चाय
की
खेती
भी
शुरू
की
गई
है।
इसके
लिए
सरगुजा
संभाग
के
जशपुर,
अम्बिकापुर,
बलरामपुर
जैसे
जिलों
में
मौसम
अनुकूल
पाए
गए
हैं।
ठंडा
इलाका
होने
के
कारण
यहां
अच्छी
खेती
की
जाती
है।
इस
क्षेत्र
में
लीची
की
भी
अच्छी
पैदावार
होती
हैं।