बीजापुर से गंगालूर जाने वाली सड़क बनने का सपना अब आठ साल बाद पूरा होगा
बीजापुर, 25 मई। बीजापुर के इलाके में आईडी ब्लास्ट, नक्सल हत्या, स्पाइक होल से जवानों के घायल या मुठभेड़ की खबरें आती थी. आज भी नक्सलियों की दहशत इस इलाके में बरकरार है. यही वजह है कि 5 करोड़ 30 लाख 17 हजार की लागत से बन रही इस सड़क को शुरू होने में 8 साल से ज्यादा का वक्त लग गया.
2013-14 में लोक निर्माण विभाग ने यहां सड़क बनाने का जिम्मा लिया था लेकिन नक्सलियों की दमदार मौजूदगी और सड़क कार्य के विरोध के चलते काम शुरू नही हुआ. अब जिला निर्माण समिति से दोबारा इसका काम शुरू कराया गया है.
दरअसल अब सुरक्षा बल की मुस्तैदी और तैनाती के बाद सरकार इस नक्सलगढ़ में सड़क बनाने के लिए जुट गई है. इसके पीछे एक बड़ी वजह यह है कि यहां के लोग जो दशकों से जिला मुख्यालय से कटे हुए थे वो अब यहां सड़क की मांग करते हैं साथ ही सरकारी योजनाओं और एंबुलेंस जैसी मूलभूत जरूरतों को के लिए भी वह प्रशासन से मांग कर रहे हैं.
हम बात कर रहे हैं बीजापुर जिले से गंगालूर जाने वाली अतिसंवेदनशील सड़क से होकर किकलेर से रेड्डी को जोड़ने वाली सड़क की जिसकी करीब 8 साल पहले नींव रखी गई थी, लेकिन नक्सली दहशत और बम बारूद और धमाकों के बीच इस सड़क का सपना अधूरा रह गया. जिसके साथ ग्रामीणों की आशाएं और उम्मीदें भी अधूरी रह गई थी.
अब जिला प्रशासन की पहल से किकलेर से रेड्डी तक 5 किलोमीटर की सड़क का काम शुरू कराया गया है और जिले के आला अधिकारी उस इलाके में पहुंचकर लोगों से गुफ्तगू करते हैं और ग्रामीण बढ़-चढ़कर सरकारी नुमाइंदों के सामने अपनी बात रखते हैं. अपनी मांग रखते हैं और जरूरत के वह सारे साजो सामान की मांग करते हैं. जिससे इस नक्सलवाद के साये से निकला जा सके.
जवान मुस्तैद कैंप लगाया गया
वहीं बम बारूद मुठभेड़ और स्पाइक होल के बीच बड़े नक्सल कैडरों के धमक के बीच सुरक्षा बल के जवान भी इस इलाके में मुस्तैद हो चुके हैं. रेड्डी में सीआरपीएफ 85 बटालियन का एक कैंप लगाया गया है और सीआरपीएफ के जवान इस सड़क निर्माण के चप्पे-चप्पे पर मुस्तैद रहते हैं और पूरी सुरक्षा के बीच सड़क का काम किया जा रहा है.