इस शख्स के आइडिया पर पेट्रोल-डीजल की कीमतें छोड़ दी गईं मार्केट के हवाले
नई दिल्ली। तेल की बढ़ती कीमतें सरकार के लिए बड़ी मुसीबत बनती जा रही हैं। विपक्षी पार्टियां इस मसले पर सरकार को घेरने में जुटी है। सोमवार को पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों की वजह से कांग्रेस समेत विपक्षी दलों ने भारत बंद बुलाई, जिसका व्यापक असर देखा गया। पेट्रोल-डीज़ल की बढ़ती कीमतों के खिलाफ विपक्ष सड़कों पर है और सरकार अंतरराष्ट्रीय कारणों की वजह बताकर अपना पल्ला झाड़ने की कोशिश में जुटी है, लेकिन एक्सपर्ट्स ने सरकार की पोल खोल दी है। जिन एनर्जी एक्टपर्ट्स के कहने पर 8 साल पहले पेट्रोल को बाजार के हवाले कर दिया गया अब वहीं सरकार की पोल खोल रहे हैं।
जिसने दिया था पेट्रोल-डीज़ल को डिरेगुलेशन का आइडिया
एनर्जी एक्सपर्ट डॉ. किरिट पारिख वहीं व्यक्ति हैं, जिन्होंने सरकार को पेट्रोल-डीजल की कीमतों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करने की सलाह दी थी। अब डॉ पारिख सरकार के दावे की पोल खोल रहे हैं। डॉ पारिख ने कहा कि 8 साल पहले हमने ही सरकार को पेट्रोल-डीज़ल को डिरेगुलेट करने की सलाह दी थी, जिसे सरकार ने माना, लेकिन अब परिस्थिति बिगड़ गई है,क्योंकि केंद्र सरकार तेल पर जरूरत से ज्यादा टैक्स वसूल रही है। उन्होंने कहा कि करीब 100 फीसदी टैक्स सरकार की ओर से वसूला जा रहा है।
कैसे कम होगी पेट्रोल-डीजल की कीमत
डॉ पारिख ने सलाह दी कि अगर लोगों को परेशानी से बचाना है तो सरकार को तेल से टैक्स को कम करना होगा। केंद्र और राज्य दोनों सरकारों को तेल पर अपने टैक्स कम करने होंगे। उनके मुताबिक केंद्र को 2-3 फीसदी और राज्य सरकारों को 5 फीसदी तक टैक्स में कटौती करनी चाहिए, ताकि तेल की कीमतें कम हो सके।
जीएसटी के दायरे में पेट्रोल-डीजल
डॉ
पारिख
ने
पेट्रोल-डीज़ल
को
जीएसटी
में
शामिल
करने
की
मांग
पर
कहा
कि
अगर
तेल
को
जीएसटी
में
शामिल
किया
जाएगा
तो
कलेक्शन
नहीं
बढ़ेगा।
हालांकि
उन्होंने
सलाह
दी
कि
सरकार
धीरे-धीरे
पेट्रोल-डीज़ल
को
जीएसटी
में
शामिल
कर
सकती
है।
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