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Anupshahr Assembly Seat: इस सीट पर सपा का कभी नहीं खुला खाता, BJP की भी आसान नहीं होगी राह

Anupshahr Assembly Seat: इस सीट पर सपा का कभी नहीं खुला खाता, BJP की भी आसान नहीं होगी राह

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बुलंदशहर, 03 दिसंबर: अनूपशहर विधानसभा सीट, उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले में आती हैं और छोटी काशी के नाम से मशहूर है। यह सीट राजनीतिक लिहाज से तो काफी महत्वपूर्ण है ही, बल्कि ऐतिहासिक दृष्टिकोण से भी बेहद अहम है। अनूपशहर गंगा किनारे बसा हुआ है और रामसर साइट एरिया घोषित है। रामसर साइट होने की वजह लोग यहां डॉल्फिन को अठखेलियां करते हुए भी देख सकते है। साथ ही देश के जाने-माने उद्योगपति जयप्रकाश गौड़ ने यहां विश्वविद्यालय की स्थापना की है। बता दें, अनूपशहर विधानसभा सीट पर आजादी के बाद से 17 बार चुनाव हुए हैं, जिसमें 7 बार कांग्रेस, तीन बार बीजेपी और दो बार बीएसपी ने जीत दर्ज कराई है। हालांकि, समाजवादी पार्टी को अब तक इस सीट पर जीत का इंतजार है। आइए जानते है अनूपशहर सीट के इतिहार, पिछले चुनावों का रिल्ट और भी बहुत कुछ...

ऐतिहासिक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है अनूपशहर

ऐतिहासिक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है अनूपशहर

अनूपशहर सीट ऐतिहासिक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है और गंगा किनारे बसा होने के कारण इसे छोटी काशी भी कहा जाता है। अनूपशहर सीटे के इतिहास की बात करें तो यहां मुगलकालीन शासक जहांगीर एक बार शिकार खेलने के लिए आए थे। इस दौरान उन्हें एक शेर ने घेर लिया तब राजा अनूप राय ने जहांगीर को शेर के हमले से बचाया और तलवार से शेर के दो टुकड़े कर दिए। अनूप राय की वीरता से प्रभावित होकर जहांगीर ने आसपास के करीब 84 गांव उन्हें दे दिए। अनूप राय के नाम पर इस सीट का नाम अनूपशहर पड़ा। यहां भृगु ऋषि ने भी यहां तपस्या की थी। भृगु आश्रम भी यहां स्थित है। भगवान श्रीकृष्ण ने आहार के मंदिर से रुक्मणी का हरण किया था, रुक्मणी कुंड यहां स्थित है। मोहरसा गांव में भगवान श्री कृष्ण ने मोहर रुक्मणी जी के सर पर बांधा था।

जानें अनूपशहर सीट का सियासी सफर

जानें अनूपशहर सीट का सियासी सफर

अनूपशहर सीट के सियासी सफर पर नजर डाली जाए तो यह सीट शुरुआत में कांग्रेस के दबदबे वाली सीट रही है। लेकिन बाद में यहां कांग्रेस की पकड़ कमजोर होती चली गई और अन्य राजनीतिक दलों को यहां जीत मिलनी शुरू हुई। लेकिन किसी एक दल की यहां पकड़ मजबूत नहीं हो पाई। हर चुनावों में अनूपशहर सीट पर कड़ी टक्कर देखने को मिली है। अब तक हुए 17 चुनावों में से कांग्रेस को यहां सात बार जीत मिली है। जबकि तीन बार बीजेपी और दो बार बसपा ने यहां जीत दर्ज की है। हालांकि, समाजवादी पार्टी को अब तक इस सीट पर जीत का इंतजार है।

अनूपशहर सीट का राजनीतिक इतिहास

अनूपशहर सीट का राजनीतिक इतिहास

1952 से 1962 तक कांग्रेस पार्टी ने लगातार तीन बार इस सीट पर जीत हासिल की। लेकिन 1967 में भारतीय जनसंघ के डी.कुमार ने कांग्रेस से यह सीट छीन ली। हालांकि, 1969 में कांग्रेस के खचेरू सिंह महरिया ने अनूपशहर सीट पर जीत दर्ज कराई। लेकिन खचेरू सिंह महरिया का कांग्रेस से महोभंग हो गया और वो भारतीय क्रांति दल में चल गए। भारतीय क्रांति दल के टिकट पर 1974 में चुनाव लड़ा और जीते। लेकिन 1977 में अनूपशहर सीट जनता पार्टी के पास चली गई और विधायक बने बेनी प्रसाद। 1980 में कांग्रेस ने यह सीट जनता पार्टी से छीन ली और विधायक बने प्रवीन कुमार शर्मा। 1985 में यह सीट कांग्रेस के खाते में गई। लेकिन जनता दल ने 1989 में यह सीट फिर से कांग्रेस से छीन ली और विधायक बने होशियार सिंह।

1991 में खुल सका भाजपा का खाता

1991 में खुल सका भाजपा का खाता

अनूपशहर सीट पर भारतीय जनता पार्टी का खाता 1991 में खुला सका। नवल किशोर यहां से चुनाव जीतकर विधायक बने। नवल किशोर ने कांग्रेस के सतीश शर्मा को चुनाव हराया था। नवल किशोर ने अपनी जीत 1993 में भी बरकरार रखी। इस बार भी उन्होंने कांग्रेस के सतीश शर्मा को ही फिर से शिकस्त दी। 1996 विधानसभा चुनाव में इस सीट से कांग्रेस के सतीश शर्मा विधायक चुने गए थे। उन्होंने भाजपा (BJP) के दो बार के विधायक रहे नवल किशोर को शिकस्त दी थी। वहीं 2002 के विधानसभा चुनाव में इस सीट से निर्दलीय उम्मीदवार होशियार सिंह विधायक चुने गए थे, जबकि बसपा के चौधरी गजेंद्र सिंह दूसरे नंबर पर थे।

लगातार दो बार बीएसपी का कब्जा

लगातार दो बार बीएसपी का कब्जा

2007 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर बीएसपी के गजेंद्र सिंह विधायक चुने गए थे। उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार होशियार सिंह को चुनाव में हराया था। इस चुनाव में बसपा प्रत्याशी गजेंद्र सिंह को 40,478 वोट मिले थे, जबकि दूसरे नंबर पर रहे निर्दलीय प्रत्याशी होशियार सिंह को 30,013 वोट मिले थे। 2012 की बात करते अनूपशहर सीट पर बीएसपी के गजेंद्र सिंह दूसरी बार लगातार विधायक चुने गए। उन्होंने इस चुनाव में समाजवादी पार्टी के हिमायत अली को हराया था। इस चुनाव में बसपा के गजेंद्र सिंह को 51,761 वोट मिला था, जबकि समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी हिमायत अली खान को 48,260 वोट मिला था। 2017 के विधानसभा चुनाव में इस सीट से भाजपा के संजय विधायक चुने गए। उन्होंने बीएसपी के दो बार विधायक रहे गजेंद्र सिंह को हराया था। इस चुनाव में भाजपा के संजय को 1,12,431 वोट मिला था, जबकि दूसरे नंबर पर रहे बसपा के गजेंद्र सिंह को 52,117 वोट मिला थे।

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English summary
UP Elections 2022: Samajwadi Party never won Anupshahr seat
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