महाराष्ट्र की सबसे ऊंची चोटी पर सबसे अनोखी शादी
नासिक
(महाराष्ट्र)।
कई
अनोखी
शादियों
के
बारे
में
आपने
सुनी
होगी,
लेकिन
महाराष्ट्र
की
सबसे
ऊंची
चोटी
पर
हुई
यह
शादी
अपने
आप
में
बेहद
रोमांचक
और
अनोखी
रही।
महाराष्ट्र
के
कलसुबाई
पहाड़
की
सबसे
ऊंची
चोटी
पर
मुंबई
के
एक
इंजीनियर
तथा
एक
अकाउंटैंट
ने
पारंपरिक
रीति-रिवाजों
से
शादी
की।
रोमांच
में
खासा
रुचि
रखने
वाले
लार्सन
एंड
टूब्रो
कंपनी
में
इंजीनियर
विवेक
पाटिल
ने
खार
में
सोशल
एक्सिस
कंपनी
में
कार्यरत
पवई
की
रहने
वाली
स्वप्नाली
धाबुगादे
से
रविवार
को
बिल्कुल
अनोखे
स्थान
पर
शादी
की।
मई में ट्रेकिंग के दौरान दोनों की मुलाकात हुई थी, जो बाद में प्यार में बदल गई। यही नहीं, दोनों ने एक दूसरे के साथ ज्यादा समय व्यतीत करने के लिए एक स्वतंत्र समूह 'ट्रेकलवर्स' बनाया है। दोनों परिवारों की मर्जी के बाद ठाणे के विवेक और चेंबूर की स्वप्नाली ने ठाणे जिला स्थित एक वृद्धाश्रम में दो नवंबर को एक समारोह के दौरान सगाई की थी। इसके बाद दोनों ने माता कल्सुबाई मंदिर में शादी करने का फैसला किया।
विवेक ने मुस्कुराते हुए से कहा, "अपने परिवार को तैयार करने के लिए हमें महीनों का समय लगा, लेकिन फिर भी वे तैयार नहीं हो रहे थे। मेरे पिताजी तो शनिवार (27 दिसंबर) तक इसके लिए तैयार नहीं थे। जब हम बाड़ी (ट्रैक बेस विलेज) पहुंचे, तब वह शादी समारोह में शामिल हुए।"
शादी की पार्टी बाड़ी गांव में संपन्न हुई, जिसमें 150 संबंधियों ने हिस्सा लिया। यह गांव देश भर के ट्रेकरों के लिए एक बेस विलेज है। यहां से 200 मिनट की चढ़ाई पूरी कर लोग शादी समारोह स्थल तक पहुंचे।
स्वप्नाली ने कहा, "शुरुआत में तो पुजारी भी अनिच्छुक थे। बाद में वह मान गए। हमारी शादी के लिए पहाड़ की ऊंची चढ़ाई के लिए उन्हें कई सप्ताह के प्रशिक्षण सत्र में भाग लेना पड़ा।"
27 दिसंबर को शादी समारोह पूरे शवाब पर पहुंच गया। चार डिग्री सेल्सियस तापमान के बीच हल्दी एवं संगीत समारोह संपन्न हुआ। इस दौरान नाच गा कर लोगों ने खूब खुशियां मनाईं।
रात के खाने का इंतजाम बाड़ी गांव के लोगों ने ही किया था जिसमें रोटी, सब्जी और खिचड़ी परोसी गई थी। इसके बाद लोगों के रहने के लिए मंदिर के चारों ओर टेंट का इंतजाम किया गया था।
रविवार सुबह लगभग पांच बजे लोगों ने शादी की तैयारियां शुरू की, जिसके बाद पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ शादी संपन्न हुई। शादी के बाद नवदंपति ने कहा, "शादी के बाद नाश्ते में पोहा तथा गरम चाय की व्यवस्था थी, जिसे बाड़ी गांव के लोगों ने ही तैयार किया था। इसके बाद सभी लोग गांव में पहुंचे, जहां खाने की व्यवस्था की गई थी।"
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।