पति की जान बचाने कि खातिर उसे कंधे पर लेकर दौड़ पड़ी पत्नी
ऐसे में घर जाने के लिए उसे एंबुलेंस की जरूरत थी लेकिन पैसे न होने के कारण उसे एंबुलेंस नहीं मिल पाई।
पटना। बिहार के स्वास्थ्य विभाग के कारनामे दिन-प्रतिदिन उजागर होते जा रहे हैं। पिछले कई दिनों से बिहार के स्वास्थ्य विभाग से कुछ ऐसी तस्वीर सामने आई है जिसे देखने के बाद जिला अस्पताल एक बार फिर सवालों के घेरे में आ गया है। कभी बेटे की लाश को कंधे पर उठाए बाप तो कभी कचरों की ट्रॉली में लावारिस महिला की लाश तो कभी मोटरसाइकिल पर लाश लेकर घर जा रही तस्वीर सामने आई थी। इस बार बिहार के सासाराम में एक ऐसी तस्वीर सामने आई है जिसे देखने के बाद फिर से स्वास्थ्य विभाग शर्मसार हो गया है। हो भी क्यों नहीं बिहार के स्वास्थ्य मंत्री जिनके कंधे पर पूरे बिहार के अस्पतालों का जिम्मा सौंपा गया है वो भगवान की भक्ति में लीन हैं तो अस्पताल के डॉक्टर उनके आवास को ही हॉस्पिटल बनाए हुए हैं। इसी का नतीजा है कि ऐसी तस्वीर सामने आती है।
जानकारी के मुताबिक बिहार के सासाराम जिले में अपने पति की बीमारी से लाचार पत्नी जिले के सरकारी अस्पताल में इलाज कराने पहुंची। दरअसल कैमूर जिले के कुदरा थाना क्षेत्र केसरी गांव की रहने वाली संगीता देवी के पति का रोड एक्सीडेंट में पैर टूट गया था। पैर टूटने और शरीर में गहरा जख्म लगने के कारण वो 15 दिनों तक वहीं इलाज करवाती रही पर जब कुछ सुधार नहीं हुआ तो उसे सासाराम के विकास नर्सिंग होम रेफर कर दिया गया। सासाराम में इलाज के बाद अपने घर वापस लौटने के लिए उसके पास पैसे नहीं थे। तो डॉक्टर भी उसके पति पूर्णमासी का नाम काटकर अस्पताल के बाहर निकाल दिया था। ऐसे में घर जाने के लिए उसे एंबुलेंस की जरूरत थी लेकिन पैसे न होने के कारण उसे एंबुलेंस नहीं मिल पाई।
एंबुलेंस के लिए महिला ने अस्पताल के डॉक्टर से लेकर नर्श तक सभी के हाथ-पैर जोड़े पर किसी ने भी उसकी मदद नहीं की। चारों तरफ से मदद की गुहार लगाकर हार चुकी पत्नी ने अपनी पीठ पर पति को लादते हुए घर तक का सफर किया। इसी दौरान रास्ते में किसी ने उसकी तस्वीर ले ली और सोशल मीडिया पर वायरल कर दी। ये नजारा तब का है जब जिले के स्वास्थ्य विभाग में गरीबों के इलाज के लिए और आने-जाने के लिए मुफ्त एंबुलेंस की सुविधा उपलब्ध कराई गई है लेकिन गरीबों को इस सुविधा का कितना लाभ मिलता है ये तस्वीर बता रही है।