बिहार न्यूज़ के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
Oneindia App Download

Navratri 2022: इस मंदिर में लगता है मांसाहारी भोग, पंडित ने बताई ये ख़ास वजह

बिहार के मुंगेर जिले में 52 शक्तिपीठों में से एक मां चंडिका गंगा नदी किनारे है। मान्यता है कि यह मंदिर काफी चमत्कारी और शक्तिशाली। माता सती के 52 टुकड़ों में से बायां आंख यहां गिरा था, आज भी सोने की कवज से ज़डा नेत्र...

Google Oneindia News

पटना, 26 सितंबर 2022। आज से नवरात्रि शुरू हो गई है, नवरात्रि के 9 दिन काफी खास माना जाता है। इन 9 दिनों में विभिन्न तरीकों से माता की पूजा अर्चना की जाती है। इसी कड़ी में आज हम आपको विश्व भर में मशहूर बिहार के मंदिरों के बारे में बताने जा रहे हैं। इसके साथ ही इन मंदिरों की अलग-अलग मान्यता भी है। इन मंदिरों में श्रद्धालुओं की खास आस्था है, मान्यता है कि इन मंदिरों में जो भी इंसान अपनी मुरादें लेकर गया है, उसे कामयाबी ज़रूर मिली है। मान्यता है कि मां चंडिका स्थान मंदिर मुंगेर का दर्शन करने से आंखों की रोशनी वापस आती है।

'राजा कर्ण खौलते घी की कढ़ाई में अपनी आहुति देते थे'

'राजा कर्ण खौलते घी की कढ़ाई में अपनी आहुति देते थे'

बिहार के मुंगेर जिले में 52 शक्तिपीठों में से एक मां चंडिका गंगा नदी किनारे है। मान्यता है कि यह मंदिर काफी चमत्कारी और शक्तिशाली। माता सती के 52 टुकड़ों में से बायां आंख यहां गिरा था, आज भी सोने की कवज से ज़डा नेत्र यहां सुरक्षित मोजूद है। मां चंडिका स्थान के पुजारी गजेंद्र बाबा की मानें तो पौराणिक कथाओं में माता चंडिका के सबसे बड़े भक्त महाभारत काल के योद्धा दानवीर कर्ण थे। राजा दानवीर कर्ण उस ज़माने में हर रोज यहां आते थे।

'सवा महीने में ठीक हो जाते हैं नेत्रहीन'

'सवा महीने में ठीक हो जाते हैं नेत्रहीन'

एक कढ़ाई नुमा आकार में इस जगह पर घी खौलता रहता था। अपनी पूजा से माता को खुश करने के लिए राजा कर्ण खौलते घी की कढ़ाई में अपनी आहुति देते थे। राजा कर्ण की पूजा-अर्चना से खुश होकर माता उन्हें ज़िंदा करती थी। वरदान के तौर पर उन्हें रोजाना 50 किलो सोना मिलता था, जो वह गरीबों को दान कर देते थे। मंदिर के बुजुर्ग पुजारी अशोक की मानें तो नेत्रहीन लोगों को यहां आंख की रोशनी मिल जाती है।

'नेत्रहीन मरीज़ों को होता है फायदा'

'नेत्रहीन मरीज़ों को होता है फायदा'

पुजारी अशोक बताया कि यहां वैसे रोगी आते हैं जिन्हें डॉक्टर ने जवाब दे दिया, आंख की रोशनी वापस आने की कोई उम्मीद नहीं बची। उन्हें मां को प्रणाम कराकर पुष्प दिया जाता है। इसके साथ ही नेत्र रोगी को गाय का घी और कपूर से आरती लगाकर बनाया हुआ का काजल दिया जाता है। इस काजल को सुबह शाम लगाने से सवा महीने में मरीज़ ठीक हो जाता है। मैया के चमत्कार से उसके आंख की रोशनी वापस आ जाती है।

माता को चढ़ाया जाता है मांसाहारी भोग

माता को चढ़ाया जाता है मांसाहारी भोग

बिहार के दरभंगा जिले के काली मंदिर (सैदनगर) में तांत्रिक विधि से पूजा होती है। स्थानीय लोग बताते हैं कि दूसरे प्रदेश के साथ-साथ विदेशों से साधक यहां आते हैं। नेपाल और झारखंड, पश्चिम बंगाल, आसाम जैसे प्रदेशों के तांत्रिक और उपासक यहा तंत्र विद्या को सिद्ध करने आते हैं। 9 दिनों तक यहां कठोर साधना की जाती है। साधारण तौत पर यही माना जाता है कि पूजा पाठ के दौरान लोग मांसाहारी भोजन से काफी दूर रहते हैं।

3 दिनों तक मां काली को मांसाहारी भोग

3 दिनों तक मां काली को मांसाहारी भोग

दरभंगा के सैदनगर स्थित काली मंदिर में नवरात्रि के 3 दिनों तक मां काली को मांसाहारी भोग लगाए जाते हैं। पंडितों की मानें तो यह एक खास आस्था है। माता को पशु की बलि चढ़ाकर उसी का भोग लगाया जाता है। बुज़र्गों की मानें तो 1972 में सैदनगर दुर्गा पूजा की स्थापना की गई थी, उस वक्त से लेकर आज तक यहां भव्य रूप से पूजा अर्चना की जाती रही है। इस बार खास तरह से पूजा अर्चना की जा रही है क्योंकि मंदिर की 50वीं वर्षगांठ मनाई जा रही है।

ये भी पढ़ें: बिहार: बूढ़ी काली मंदिर में पूजा करने वाले अमित शाह पहले गृहमंत्री, मुस्लिम नवाब ने दी थी मंदिर के लिए जमीन

Comments
English summary
munger maa chandika sthan and darbhanga kali mandir saidnagar news
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X