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मधेपुरा के शिक्षक ने कबाड़ से बना दी इलेक्ट्रिक बाइक, अब इलेक्ट्रिक कार बनाने की कर रहे प्लानिंग

किशोर सिंह 30 साल पहले बतौर साइंस टीचर बच्चों को तालीम देते थे। उसके बाद उन्होंने स्कूल में बच्चों को विज्ञान पढ़ाना छोड़कर अपने शहर के मेन बाज़ार में ही इलेक्ट्रॉनिक की दुकान खोल ली।

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पटना, 20 जून 2022। मंहगाई की वजह से अब लोग इलेक्ट्रिक वाहन की तरफ़ ज़्यादा रुख कर रहे हैं। लेकिन इसके बावजूद भारत में अभी भी इलेक्ट्रिक बाइक और कारों को हर घर तक पहुंचने में काफ़ी व़क्त लगेगा। वहीं एक विज्ञान के शिक्षक ने कबाड़ से इलेक्ट्रिक बाइक बनाकर आम लोगों में ई-वाहन की दिलचस्पी बढ़ा दी है और वह अपने इस अविष्कार से खूब सुर्खियां बटोर रहे हैं। मधेपूरा के रहने वाले साइंस शिक्षक किशोर सिंह ने कबाड़ से एक पुरानी बइक ख़रीदी और अपने ई-बाइक के सपने को साकार कर लिया।

पढ़ाना छोड़ कर खोल ली दुकान

पढ़ाना छोड़ कर खोल ली दुकान

किशोर सिंह 30 साल पहले बतौर साइंस टीचर बच्चों को तालीम देते थे। उसके बाद उन्होंने स्कूल में बच्चों को विज्ञान पढ़ाना छोड़कर अपने शहर के मेन बाज़ार में ही इलेक्ट्रॉनिक की दुकान खोल ली। इलेक्ट्रॉनिक का काम करते-करते उनके दिमाग़ में कुछ नया करने का आइडिया आया। उन्होंने अपने काम के साथ-साथ अपने आइडिया को भी अमलीजामा पहनाने का सोचा। क़रीब 10 साल पहले उन्होंने बेल्ट वाली बाइक बनाई लेकिन उनके इनोवेशम में कुछ कमी रह गई जिसकी वजह से बेल्ट वाली बाइक में उन्हें कामयाबी नहीं मिल सकी। बाद में उन्होंने बेल्ट वाली बाइको को चेन वाली बाइक में तब्दील कर दिया।

दोस्तों ने उड़ाया था मज़ाक

दोस्तों ने उड़ाया था मज़ाक

अपने दुकान पर काम करते वक़्त ही उन्हें ई बाइक बनाने का आइडिया आया। जिसके बाद उन्होंने ई बाइक बनाने की ठान ली और उसे बनाने पर विचार विमर्श करने लगे। उन्होंने इस आइडिया को अपने दोस्तों के साथ शेयर किया तो सब उसका मज़ाक बनाने लगे। क्योंकि एक बार पहले भी उन्हें असफलता हाथ लग चुकी थी। इस वजह से वह थोड़ा मायूस ज़रूर हुए लेकिन हिम्मत नहीं हारी। अपने सपने का साकार करने के लिए उन्होंने कबाड़ बाइक को मॉडिफाई किया और बैटरी ऑपरेटेड इलेक्ट्रिक बाइक बना दिया। अब वह बड़े ही शान से अपनी ई बाइक को मधेपुरा की सड़को पर दौरा रहे हैं।

40 हज़ार रुपये में हुई बाइक तैयार

40 हज़ार रुपये में हुई बाइक तैयार

किशोर सिंह ने बताया कि 3 हजार रुपये में उन्होंने कबाड़ी की दुकान से यामाहा बाइक खरीदी। बाइक खरीदने के बाद उसे ई बाइक बनाने के लिए मॉडिफाइ करना शुरू किया। सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए बाइक के अगले टायर को मोटर-युक्त बनाया। किशोर बताते हैं कि जो बाइक को ई बाइक बनाने के लिए जो सामान बाज़ार में उपलब्ध नहीं था उसे ऑनलाइन आर्डर कर मंगाया। इन सब मॉडिफिकेशन के बाद किशोर ने 32 हजार रुपये की लिथियम बैट्री खरीदी और बाइक में इंस्टॉल कर दिया। कुल मिलाकर यह कह सकते हैं कि कबाड़ बाइक को उन्होंने 40 हज़ार ख़र्च कर इलेक्ट्रिक बाइक बना दिया। उनका कहना है कि आने वाले समय ई वाहन का ही है इसलिए उन्हें ई बाइक बनाने का आईडिया आया।

एक चार्ज पर 80 किलोमीटर तक का सफ़र

एक चार्ज पर 80 किलोमीटर तक का सफ़र

किशोर सिंह द्वारा बनाई गई ई बाइक की खासियत की बात करें तो बाइक की नॉर्मल स्पीड 50 किलोमीटर प्रति घंटा है और अधिकतम स्पीड 80 किलोमीटर की रफ़्तार है। एक बार चार्ज करने पर 80 किलोमीटर तक का सफ़र किया जा सकता है। बैट्री की सेफ्टी के मद्देनज़र एक स्टील का बॉक्स भी लगाया गया है। किशोर सिंह ई बाइक बनाने में कामयाबी हासिल करने के बाद अब ई कार बनाने पर काम कर रहे हैं।

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English summary
madhepura science teacher kishore singh electric bike innovation
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