बिहार: सरकार के खोखले दावों की फिर खुली पोल, झोपड़ी में स्कूल, शौचालय के लिए खेत में जा रहे बच्चे
नालंदा ज़िला शिक्षा व्यवस्था, इंफ्रा स्ट्रक्चर और उसकी गुणवत्ता को लेकर काफ़ी सुर्खियों में है। सोनू कुमार वाला मामला अभी शांत भी नहीं हुआ था कि शिक्षा व्यवस्था को लेकर सरकार के खोखले दावों की फिर से पोल खुलने लगी है।
नालंदा, 27 मई 2022। सोनू कुमार के वायरल होने के बाद अब बिहार की शिक्षा व्यवस्था पर सभी लोगों की निगाहें टिकीं हुई हैं। एक तरफ़ सरकार शिक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करने की बात कर रही है तो वहीं दूसरी ओर आए दिन शिक्षा व्यवस्था की पोल खुल रही है। ताज़ा मामला बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह जिले नालंदा और ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार के गृह प्रखंड बेन का है। यहां की तस्वीर देख कर ही आपको अंदाज़ा लग जाएगा कि किस तरह से शिक्षा व्यवस्था बदहाल है।
सरकार के खोखले दावों की फिर खुली पोल
नालंदा ज़िला शिक्षा व्यवस्था, इंफ्रा स्ट्रक्चर और उसकी गुणवत्ता को लेकर काफ़ी सुर्खियों में है। सोनू कुमार वाला मामला अभी शांत भी नहीं हुआ था कि शिक्षा व्यवस्था को लेकर सरकार के खोखले दावों की फिर से पोल खुलने लगी है। नालंदा के बेन प्रखंड स्थित बुल्ला बीघा गांव में बीते 8 वर्षों से फूस से बने झोपड़ीनुमा भवन में स्कूल संचालित किया जा रहा है। यह नज़ारा और ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार के गृह क्षेत्र बेन प्रखंड के नोहसा पंचायत (बुल्ला बीघा) का है। भवन नहीं होने की वजह से झोपड़ी में ही सरकारी स्कूल चलाया जा रहा है।
झोपड़ी के अंदर चल रहा है सरकारी स्कूल
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह जिला नालंदा से यह तस्वीर सामने आने के बाद फिर से सियासत गर्मा गई है। झोपड़ी के अंदर चल रहे सरकारी स्कूल का नाम प्राथमिक विद्यालय बुल्ला विगहा है। गौरतलब है कि बिहार के मुखिया नीतीश कुमार का गृह ज़िला होने के साथ ही बिहार के ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार का यह गृह प्रखंड है। यही वजह है कि यहां की शिक्षा व्यवस्था का हाल अब सुर्खियों में बन गया है। राजकीय प्राथमिक स्कूल के भवन के लिए जमीन आवंटित की जा चुकी है। लेकिन अभी तक स्कूल बनाने का काम शुरू नहीं हुआ है।
शौचालय के लिए खेत में जाते हैं बच्चे
स्कूल भवन नहीं होने के बावजूद छात्र झोपड़ी से बने स्कूल में शिक्षा ग्रहण करने के लिए आ रहे हैं। स्थानीय लोगों की मानें तो इस स्कूल में लगभग 70 से भी ज्यादा बच्चे पढ़ते हैं, लेकिन जगह की कमी होने से बच्चे जमीन पर बैठकर शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। शिक्षा व्यवस्था की बदहाली का ये आलम है कि बच्चे पानी पीने के लिए गांव के चापाकल का इस्तेमाल करते हैं वही शौचालय के लिए खेत में जाते हैं। झोपड़ी में पढ़ाई होने की वजह से बारिश के दिनों में बच्चों का काफ़ी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
DEO ने आनन-फानन में जारी किया शिफ्टिंग लेटर
बिहार के मुख्यमंत्री का गृह जिला और ग्रामीण विकास मंत्री का गृह प्रखंड होने के बावजूद सरकार इस ओर ध्यान नहीं दे रही है। सरकार के बेरुखी का नतीजा है कि बच्चे जमीन पर बैठकर शिक्षा ग्रहण करने के लिए मजबूर हैं। मीडिया में बात आने के बाद आनन-फानन में जिला शिक्षा पदाधिकारी केशव प्रसाद के द्वारा शिफ्टिंग का लेटर जारी कर दिया गया। पत्र में जानाकारी दी गई कि नव प्राथमिक विद्यालय बुल्ला विगहा का अपना भवन नहीं रहने के कारण अब अगले आदेश तक इसे उत्क्रमित मध्य विद्यालय अमिया में शिफ्ट किया जाता है। अब यहां पठन पाठन किया जाएगा। पूरे विश्व में ज्ञान देने के लिए जानी जाने वाली नालंदा की धरती आज खुद झोपड़ी से शिक्षा ग्रहण करवाने पर मजबूर है।
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