नीतीश के फोन का नहीं हुआ कुछ असर, मणिपुर NIT से बोरिया बिस्तर बांध भागे 150 छात्र
पीड़ित छात्रों को किसी भी तरह की कोई सुविधा नहीं दी गई, जिससे डरे हुए 150 छात्रों ने कॉलेज से अपना बोरिया-बिस्तर समेट लिया। तो वहां रह रहे बिहारी छात्र इतने डरे हुए हैं कि या तो वो लौटकर अपने राज्य आ रहे हैं नहीं तो अपने रिश्तेदार के यहां चले गए हैं।
पटना। बिहारी छात्रों पर मणिपुर के राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान एनआइटी में हुए हमले और बेरहमी से पिटाई के बाद बदसलूकी के कारण कई छात्र घायल हुए थे जिन्हें इलाज के लिए नजदीकी अस्पताल भर्ती कराया गया है लेकिन घटना के बाद अभी भी माहौल शांत नहीं हुआ है। इस घटना को देखते हुए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने खुद मणिपुर के सीएम से फोन पर बातचीत करते हुए दोषियों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई करने की बात कही थी लेकिन उनकी भी बातचीत का कोई असर नहीं पड़ा। पीड़ित छात्रों को किसी भी तरह की कोई सुविधा नहीं दी गई, जिससे डरे हुए 150 छात्रों ने कॉलेज से अपना बोरिया-बिस्तर समेट लिया। तो वहां रह रहे बिहारी छात्र इतने डरे हुए हैं कि या तो वो लौटकर अपने राज्य आ रहे हैं नहीं तो अपने रिश्तेदार के यहां चले गए हैं। आपको बता दें की सोमवार को मणिपुर में बिहारी छात्रों पर हमला किया गया था, जिसमें कई छात्र गंभीर रूप से घायल हो गए थे।
नीतीश के फोन का भी नहीं हुआ कुछ असर
जानकारी के मुताबिक इस घटना के बाद डरे हुए छात्रों ने मणिपुर के रहने वाले एक पूर्व छात्र कुमुद रंजन को इस बात की जानकारी दी कि हमें किसी भी तरह की कोई सुरक्षा नहीं दी गई है। इस कारण हम लोग अब कॉलेज छोड़ कर जा रहे हैं। जिसके बाद कुमुद ने इसे उजागर किया और कहा कि मणिपुर में बिहारी छात्रों के साथ ऐसी घटना आम है। जब वो 2014 में यहां पढ़ाई कर रहे थे तभी इस तरह की घटना उनके साथ भी हुई थी, जब कभी इस तरह की घटना घटती तो उन्हें दबाने की कोशिश की जाती थी। वहीं मीडिया में इस बात की जानकारी मिलने के बाद उन्हें फेल करने की धमकी भी दी जाती थी। इसके वजह से सभी छात्र चुप रहते थे।
छात्रों ने बताया नहीं मिली कोई सुविधा
वहीं इस घटना के बाद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने खुद पूरे मामले का संज्ञान लेते हुए मणिपुर के मुख्यमंत्री से बातचीत की थी और बिहारी छात्रों की सुरक्षा और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की बात कही थी लेकिन उनकी भी बात का असर नहीं हुआ और छात्रों को सुरक्षा मुहैया नहीं कराया गया। जिसके बाद डरे हुए छात्र एनआईटी हॉस्टल से बोरिया बिस्तर बांधकर निकलने लगे लेकिन इस बात की जानकारी एनआईटी प्रशासन को हो गई और उसने कैंपस का मेन गेट ही बंद कर दिया। छात्रों के विरोध के बाद गेट खोला गया जिसके बाद छात्र वहां से बाहर निकले और अपने अपने राज्य लौट गए तो कुछ छात्र वहां आसपास रह रहे अपने रिश्तेदार के घर चले गए।
जानिए क्या था पूरा मामला?
राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआइटी) मणिपुर में सोमवार छात्रों के चल रहे विवाद में पुलिस वालों ने जमकर लाठियां भांजना शुरू किया और इस दौरान पूरा क्षेत्र रणभूमि में तब्दील हो गया। पुलिस ने बिहार और दूसरे राज्य के छात्रों के साथ बेरहमी से मारपीट की जिसमें एक दर्जन से ज्यादा छात्र घायल हो गए, जिनका इलाज अस्पताल में कराया जा रहा है। घायल हुए छात्रों में से भोजपुर के अजीत कुमार और प्रीतम कुमार, नालंदा के मोहित शर्मा, पटना के राजेश सिंह और प्रांजल प्रसून शामिल हैं।
क्रिकेट खेलने को लेकर शुरू हुआ था विवाद
इस घटना के बारे में ऐसा कहा जा रहा है कि क्रिकेट खेलने को लेकर हुए विवाद में मारपीट के बाद स्थानीय छात्रों पर कार्रवाई नहीं करने को लेकर गुस्साए बिहार यूपी सहित दूसरे राज्य के दर्जनों छात्र रजिस्ट्रार कार्यालय के सामने प्रदर्शन कर रहे थे। इस दौरान वहां पहुंची पुलिस ने लाठियां चलाना शुरू कर दिया। जिसके बाद प्रदर्शन कर रहे छात्र अपने आप को बचाने के लिए एक कमरे में बंद हो गए लेकिन पुलिस वालों ने कमरे से बाहर निकालते हुए सभी की जमकर धुलाई की, जिससे कुछ छात्र गंभीर रूप से घायल हो गए। वहीं दर्जनों छात्रों को गिरफ्तार कर हिरासत में ले गया और क्षेत्रवाद फैलाने के आरोप में प्राथमिकी दर्ज कर कैरियर खत्म करने की धमकी दे रही थी, वहीं कॉलेज प्रशासन मूकदर्शक बना हुआ था।
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