ओडिशा: कोरोना मैनेजमेंट में इंटर्न डॉक्टर्स निभा रहे हैं बेहद अहम भूमिका
भुवनेश्वर। सुवम कुमार ने नॉर्मल टाइम में कभी भी ICU में मेडिकल इंटर्न के रूप में ड्यूटी नहीं की। हालांकि, वेंटिलेटर पर रहने वालों सहित गंभीर रोगियों की निगरानी करना और उनके उपचार के बारे में निर्णय लेना उनका डेली रूटीन रहा है। वीएसएस इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च (VIMSAR) से पढ़ाई खत्म करने के बाद सुवम सीधे सुंदरगढ़ में कोरोना अस्पताल पहुंच गए। यहां आने और आईसीयू में काम शुरू करने से पहले उन्हें सिर्फ तीन दिन की ट्रेनिंग दी गई। आपको बता दें कि बीते 3 मई को पीएम मोदी ने कोरोना के हालात की समीक्षा के लिए एक बैठक की थी। इसमें यह निर्णय लिया गया कि देश में कोरोना प्रबंधन में मेडिकल इंटर्न को तैनात किया जाए।
ओडिशा सरकार ने उसी दिन तत्काल प्रभाव से 500 मेडिकल इंटंर्स को कोरोना मरीजों के उपचार से लेकर ऑक्सीजन सप्लाई और हेल्पडेस्क के काम के लिए अस्पतालों में तैनात कर दिया। पिछले दो हफ्तों से, वो महामारी प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। गौरतलब है कि एमबीबीएस के साढ़े चार महीने पूरे होने के बाद, उत्तीर्ण छात्रों को इंटर्न के रूप में तैनात किया जाता है। उन्हें हाउस सर्जन भी कहा जाता है। इस दौरान वो मरीजों की देखभाल और प्रत्यक्ष अनुभव सीखते हैं। लेकिन इस बार ज्यादातर इंटर्न को कॉलेज से सीधे कोरोना अस्पतालों में शिफ्ट कर दिया गया है।
सरकारी अधिकारियों ने कहा कि असाधारण स्थिति ने ऐसी व्यवस्थाओं को जन्म दिया है जो असामान्य लग सकती हैं। ओडिशा सरकार के तकनीकी सलाहकार जयंत पांडा ने कहा, 500 इंटर्न की उपलब्धता ने राज्य को अस्पताल में भर्ती होने के बढ़ते मामलों के बीच स्थिति का प्रबंधन करने में मदद की। उन्होंने कहा कि सरकार जरूरत पड़ने पर एमबीबीएस और नर्सिंग के अंतिम वर्ष के छात्रों को भी तैनात करेगी।
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