ओडिशा सरकार ने दिए शिक्षकों को दिए निर्देश, बच्चों से पता करें स्कूल ना आने का कारण
कोविड महामारी के बाद ओडिशा में ऑफलाइन कक्षाएं आयोजित की जा रही हैं, लेकिन करीब 30 प्रतिशत छात्र स्कूल नहीं आ रहे हैं।
भुवनेश्वर, 16 मई: ओडिशा सरकार ने शिक्षकों को निर्देश दिए हैं कि वो स्कूल नहीं आ रहे छात्रों से गैरहाजिर होने का कारण पता करें। दरअसल कोविड-19 महामारी के कारण ओडिशा में दो साल बाद स्कूलों में एक बार फिर से विद्यार्थियों और शिक्षकों की प्रत्यक्ष मौजूदगी के साथ कक्षाएं आयोजित की जा रही हैं, लेकिन करीब 30 प्रतिशत छात्र स्कूल नहीं आ रहे हैं। ओडिशा सरकार ने स्कूलों में विद्यार्थियों की उपस्थिति में कमी को देखते हुए जिलाधिकारियों को भी आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिए हैं और कक्षाओं में बच्चों की उपस्थिति में इजाफा हो यह सुनिश्चित करने को कहा है।
राज्य के स्कूल एवं जन शिक्षा विभाग के सचिव बी पी सेठी ने विभिन्न जिलों को लिखे पत्र में कहा कि जिला शिक्षा अधिकारियों (डीईओ) द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के मुताबिक स्कूलों में विद्यार्थियों की दैनिक उपस्थिति के विश्लेषण से पता चला है कि लगभग 70 प्रतिशत छात्र कक्षाओं में आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि विस्तृत विश्लेषण करने पर यह पता चला कि मल्कानगिरि, बौध, गजपति, संबलपुर और नुआपाड़ा जैसे जिलों में कक्षा एक से पांचवीं के बच्चों की उपस्थिति राज्य के औसत से कम है।
इन
जिलों
में
भी
स्थिति
खराब
उन्होंने
कहा
कि
मल्कानगिरी,
बौध,
संबलपुर
और
नुआपाड़ा
जिलों
के
स्कूलों
में
कक्षा
छठी
से
आठवीं
कक्षा
तक
के
छात्रों
की
उपस्थिति
भी
बहुत
खराब
है।
सेठी
के
मुताबिक
गजपति,
बोलांगीर,
बारगढ़,
सोनपुर,
नुआपाड़ा,
कटक,
खोरधा,
कोरापुट,
गंजम,
बौध,
मल्कानगिरि,
क्योंझर
और
संबलपुर
जिलों
के
स्कूलों
में
माध्यमिक
कक्षाओं
के
बच्चों
की
उपस्थिति
भी
राज्य
के
औसत
से
कम
है।
उन्होंने
कहा
कि
गजपति,
सोनपुर,
बारगढ़,
कंधमाल
और
नुआपाड़ा
जिलों
के
स्कूलों
में
उच्च
माध्यमिक
कक्षाओं
में
बच्चों
की
उपस्थिति
बेहद
कम
है,
जो
कि
एक
चिंता
का
विषय
है।
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