Bhopal Latest News : यूनियन कार्बाइड के जहरीले पानी में अवैध तरीके से उगाए जा रहे सिंघाड़े, प्रशासन बेखबर
राजधानी भोपाल में 38 साल पहले हुए गैस कांड में चंद लोगों की लापरवाही के चलते हजारों लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी, लेकिन इसके बावजूद कुछ लोग मुनाफा कमाने के चक्कर में दूसरों की जान के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। दरअसल भोपाल की जिस फैक्ट्री से जहरीली गैस का रिसाव हुआ था। उसी यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री के पास स्थित तालाब में इस बार फिर से सिंगाड़े उगाए जा रहे हैं। पास के रहवासी क्षेत्र के लोग यहां पर अवैध तरीके से सिंघाड़े को उगाने का काम कर रहे हैं और तालाब के पानी में पनप रही मछलियों को भी बड़े स्तर पर पकड़ा जा रहा है।
Recommended Video

मौके पर पहुंचे वनइंडिया के संवाददाता ने जब मछली पकड़ने वालों से बातचीत की तो उन्होंने बताया कि वे रोजाना यहां मछली पकड़ने आते हैं और सिंघाड़े के सवाल पर उन्होंने कहा कि सिंघाड़े अपने आप उग गए। इसके अलावा तालाब में कमल के फूल की खेती होते हुए भी दिखी। कमल के तने का उपयोग बड़े स्तर पर सब्जी के रूप में किया जाता है। मीडिया की टीम को देखकर मछली पकड़ने वालों ने अपना सामान समेट लिया, लेकिन रिपोर्टर्स के जाते ही फिर से मछली पकड़ने लग गए।
प्रशासन बेखबर
इस पूरे मामले पर नगर निगम के अपर आयुक्त एमपी सिंह का कहना है कि पूर्व में भी लोगों ने अवैध तरह से खेती शुरू की थी। उसे हमने हटाया था। मौके पर टीम को भेजा है। जांच के बाद कार्रवाई करेंगे और सिंघाड़े और कमल की खेती को नष्ट करवाएंगे। वहीं इस मामले पर तहसीलदार याचना दीक्षित का कहना है कि पहले जब यहां सिंघाड़े की खेती की जा रही थी, तब प्रशासन ने कार्रवाई करते हुए रोक लगा दी थी। वर्तमान में ये खेती की जा रही है इसकी जानकारी मुझे नहीं है, हालांकि यह मामला सिविल कोर्ट में चल रहा है।
इस तरह के पदार्थों से जान को खतरा
पहले भी सरकार द्वारा यूनियन कार्बाइड के आसपास के 17 किलोमीटर के क्षेत्र में अंजन करवाया गया था। जिसमें यह बात सामने आई थी कि यूनियन कार्बाइड के 3 किलोमीटर के क्षेत्र के पानी में मस्तिक, गुर्दे और फेफड़ों को नुकसान पहुंचने वाले रसायन मौजूद हैं। ऐसे में इन खाद्य पदार्थों में भी इन तत्वों की उपस्थिति हो सकती है। जिनका मानव शरीर पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है। मछली पकड़ने वालों में विशेष रूप से शिव शक्ति नगर और आरिफ नगर के लोग हैं।
ये भी पढ़ें : भोपाल गैस कांड के 38 साल बाद भी नहीं भरे हैं जख्म, रुला देगी इन पीड़ितों की दास्तां