60 साल के पुरुषोत्तम आनंद महाराज ने ली भूमिगत समाधि, जिला प्रशासन में मचा हड़कंप,3 दिन साधना में रहेंगे लीन
60 साल के पुरुषोत्तम आनंद महाराज ने ली समाधि, भोपाल जिला प्रशासन में मचा हड़कंप 3 दिन साधना में रहेंगे लीन
भोपाल,30 सितंबर। अग्नि से स्नान करने वाले और जल समाधि लेने वाले 60 वर्षीय पुरुषोत्तम आनंद महाराज ने राजधानी भोपाल में आज भूमिगत समाधि ले ली। हालांकि उन्हें प्रशासन ने भूमिगत समाधि लेने से मना कर दिया था उन्होंने इसके लिए प्रशासन से अनुमति मांगी थी। लेकिन प्रशासन ने उन्हें अनुमति नहीं दी थी। गुरुवार को पुलिस साउथ टीटी नगर स्थित मंदिर पर उनको समझाने गई। पुलिस अधिकारी ने कई बार उनसे विनती की कि आप समाधि ना लें। इसके बावजूद आज महाराज ने भूमिगत समाधि ले ली। महाराज ने समाधि लेने से पहले मां दुर्गा की पूजा अर्चना की। इसके बाद वहां उपस्थित सभी साधु संतों को नमन किया। भूमिगत समाधि लेने से पहले उन्होंने गड्ढे को प्रणाम किया। इसके बाद बाबा गड्ढे में बैठ गए और उन्होंने समाधि ले ली। अब तीन बाद ही महारज के बारे में जानकारी मिलेगी। क्योंकि बाबा तीन दिन तक साधना में लीन रहेंगे।
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महाराज की समाधि लेने के बाद मौके पर पहुंचा जिला प्रशासन
पुरुषोत्तम आनंद महाराज ने अपने घर के पीछे 7 फीट गहरा और 6 फीट का गड्ढा खोद रखा था जिसमें उन्होंने आज समाधि ले ली। इसके पहले जिला प्रशासन ने उन को समझाने की बहुत कोशिश की लेकिन महाराज नहीं माने। प्रशासन उनको बाहर निकालने के लिए कई बार कोशिश की,लेकिन महाराज हैं कि मानने को तैयार नहीं हुए। बता दे इससे पहले महाराज करीब 35 साल पहले अग्नि स्नान भी कर चुके हैं। और 12 साल पहले जल समाधि भी ले चुके हैं। इसके बाद प्रशासन भी लौट गया।
अग्नि स्नान कर चुके हैं महाराज
बता दे भूमिगत समाधि लेने वाले 60 साल के महाराज पुरुषोत्तम आनंद 1985 में अग्नि स्नान भी कर चुके हैं। उन्होंने भोपाल के सोमवारा चौक पर अग्नि स्नान किया था यानी शरीर पर पेट्रोल डालकर आग लगा ली थी। और महाराज इसे भी अपनी सिद्धि का ही एक हिस्सा मानते है। उन्होंने बताया कि तब वे 80% तक जल गए थे, लेकिन उनके शरीर पर आज भी एक निशान जलने का नहीं है। वैसे माता की कृपा बताते हैं। महाराज का मानना था कि नवरात्रि में भूमिगत समाधि लेने में मां दुर्गा उन्हें शक्ति देगी।
महाराज ने क्यों ली समाधि
पुरुषोत्तम आनंद महाराज का कहना था कि विश्व कल्याण और भगवान के निकट आने के लिए उन्हें भूमिगत का समाधि लेनी होगी। उनका कहना है कि समाधि अवधि के दौरान साधक और भगवान एक दूसरे के निकट होते हैं समाधि वह अवस्था है जब मनुष्य शरीर अपने आराध्य के साथ पूरी तरह से जुड़ जाता है। साधक और भगवान में इसके बाद बिल्कुल भी दूरी नहीं रह जाती है। जनकल्याण के लिए महात्माओं का इस प्रकार की समाधि लेनी पड़ती है। इससे पहले भी वह जल समाधि ले चुके हैं। उन्होंने बताया कि इस दौरान वे 12 घंटे तक जल में रहे थे। उन्होंने कहा था कि वे 72 पर घंटे तक समाधि में लीन रहेंगे। समाधि लेने से पहले महाराज ने बताया था कि वे 29 सितंबर को समाधि लेंगे और तीन की साधना के बाद समाधि से बाहर आएंगे।
3 अक्टूबर को समाधि से बाहर आएंगे महाराज
भोपाल के साउथ टीटी नगर में रहने वाले रुस्तम आनंद महाराज ने मीडिया से बातचीत के दौरान बताया था कि वे 3 दिन तक समाधि में लीन रहेंगे। इसके बाद वे 3 अक्टूबर को बाहर आ जाएंगे। ऐसा करने से उनको ईश्वर की प्राप्ति होगी। हालांकि प्रशासन ने उन्हें गुरुवार को समझाने की बहुत कोशिश की। पुलिस अधिकारी ने उन से निवेदन किया था कि वह समाधि ना ले। लेकिन जिला प्रशासन के प्रयास असफल रहे और महाराज ने आज सुबह 10 बजे भूमिगत समाधि ले ली। इस दौरान मीडियाकर्मियों के साथ कई साधु संत मंदिर में उपस्थित रहे।